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क्या हैं एसटीडी रोग के लक्षण और कैसे करें इनकी रोकथाम?

पिछले कुछ समय में एसटीडी रोग यानी यौन संचारित रोगों के मामले बढ़े हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं एसटीडी, इसके कारण और बचाव के बारे में?

पिछले कुछ समय में एसटीडी रोग यानी यौन संचारित रोगों के मामले बढ़े हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं एसटीडी, इसके कारण और बचाव के बारे में?

नोट – इस लेख में सामान्य जानकारी दी गयी है। आपसे अनुरोध है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरुर संपर्क करें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, विश्व स्तर पर हर दिन 10 लाख से अधिक लोग यौन संचारित संक्रमण (एसटीडी) का शिकार होते हैं। अगर भारत की बात करें तो, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा 2002-03 के दौरान किए गए सामुदायिक-आधारित एसटीआई / आरटीआई प्रचलन अध्ययन से पता चला है कि भारत में 6% वयस्क आबादी में एक या एक से अधिक एसटीडी/आरटीआई हैं। इनमें से अधिकतर लोगो को पता नहीं होता है कि वे संक्रमित हैं, जो उनके भविष्य में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। 

और पिछले कुछ समय में एसटीडी रोग यानी यौन संचारित रोगों के मामले बढ़े हैं। और ये महिलाओं में बहुत अधिक पायी जाती हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। लेकिन अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज करवा लिया जाएं और कुछ सावधानियाँ बरती जाएं तो ये इससे हम बच सकते हैं। इसलिए इन संक्रमणों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षित करना महत्वपूर्ण हैं। तो आइये आज जानते हैं एसटीडी रोग, इसके कारण और बचाव के बारे में :

यौन संचारित रोग क्या हैं? (yaun sancharit rog kya hai)

STD रोग या यौन संचारित रोग वो रोग या संक्रमण हैं जो यौन संपर्क द्वारा एक व्‍यक्ति से दूसरे में सं‍चारित हो सकते हैं। लेकिन यह जानना ज़रूरी है कि यौन संपर्क में केवल संभोग (सेक्स) ही नहीं आता है।  ये मौखिक-जननांग संपर्क, सेक्स टॉयज जैसे वाइब्रेटर, कभी- कभी कुछ यौन संचारित रोग संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल, गर्भ धारण के समय माँ के द्वारा बच्चे और संक्रमित व्यक्ति के ब्लड ट्रांसफ़्यूजन से भी फ़ैल सकता है। एस टी डी रोग कई स्थिति में जानलेवा बीमारी साबित हो सकती है क्योंकि एसटीडी से अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं। 

यौन संचारित रोग कई प्रकार के होते हैं। गोनोरिया, क्लैमिडिया, सिफलिस, जेनिटल हर्पीस, एचआईवी/एड्स आदि बीमारियां महिलाओं में अधिक पायी जाती है। 

एसटीडी रोग के लक्षण (STD rog ke symptoms)

कई यौन संचारित रोगों में लक्षण देर से महसूस होते हैं और संक्रमण के प्रकार के साथ अलग-अलग हो सकते हैं। पुरूषों व महिलाओं में इसके लक्षण अलग−अलग हो सकते हैं। आप भी नीचे दिए गए लक्षण देखते ही चिकित्सक से परामर्श ज़रूर लें।

  • लिंग या योनि से स्राव या बहाव। 
  • यूरीन या सेक्‍स करते समय दर्द या बहुत अत्याधिक दर्द के साथ जलन महसूस होना और सेक्स के बाद ब्‍लड आना। 
  • असामान्य वजाइनल डिस्चार्ज।
  • असुरक्षित सेक्स करने के बाद आम सर्दी-ज़ुकाम। 
  • भूख न लगने और वजन घटने के साथ-साथ उल्टी और दस्त होना। 
  • जननांग के आसपास खुजली।
  • मासिक धर्म के अलावा भी योनि से ब्‍लड आना। 
  • जननांगों पर मस्से होना।

 लेकिन ध्यान दे, ये प्रकार के साथ अलग अलग हो सकते हैं और एक से दूसरे में अलग हो सकते हैं।

एसटीडी रोग के रोकथाम के लिए इन पर ध्यान दें (STD rog ke roktham ke liye kya krein)

  • कंडोम का इस्तेमाल – खुद को यौन संचारित रोगों के संक्रमण से बचाने और फैलाने से बचने के लिए हमेशा कंडोम का प्रयोग करें।
  • स्वच्छतासेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से बचने के लिए दौरान व बाद में सफाई का विशेष ध्यान रखें। सेक्स के बाद गुप्तांगों को ज़रूर साफ़ करें। 
  • टीकाकरण –  एसटीडी की रोकथाम के लिए बाजार में कई टीके उपलब्ध हैं। यह टीकाकरण सेक्स करने से पहले लेना चाहिये। 
  • शराब, धुम्रपान आदि के सेवन से बचें। 
  • खुलकर बातचीत – अपने पार्टनर के साथ सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाने से पहले इस बारे में खुलकर बात करें। पहले यह अवश्य सुनिश्चित करें कि सामने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार का यौन रोग न हो।
  • यदि आप सेक्शुअल एक्टिविटी में इन्वॉल्व हैं, तो समय समय पर डॉक्टर से परामर्श लें और एसटीडी स्क्रीनिंग करवाएं। मार्केट में कुछ एसटीडी के लिए होम टेस्टिंग किट भी अवेलेबल हैं, लेकिन वे हमेशा विश्वसनीय नहीं होती हैं। इनका उपयोग सावधानी से करें।
  • गर्भवती महिलाओं को एसटीडी स्क्रीनिंग टेस्ट के बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए क्योंकि  स्तनपान के माध्यम से या गर्भावस्था के दौरान अजन्मे बच्चे को भी इसका खतरा हो जाता है 
  • अपना निजी समान जैसे रेजर, कंघी आदि किसी के साथ शेयर न करें।

यह हम सबको पता है कि भारत में सेक्स एजुकेशन की कमी है जिस वजह से एसटीडी रोग पर भी कभी खुलकर बात नहीं होती है। लेकिन इलाज़ से बेहतर सावधानी बरतना है। तो स्वंय को इस बारे में जागरूक करें और अपने पार्टनर के साथ खुलकर बात करें। इसमें झिझक या शर्मिंदगी महसूस करने जैसा कुछ नहीं है। इस जानकारी के बारे में अधिक से अधिक के साथ चर्चा करें और डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दें।

मूल चित्र : Aghavni Shahinyan from Getty Images via CanvaPro

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Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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