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यहां जानें महिलाओं में सबसे अधिक पाए जाने वाले यौन संचारित रोगों के प्रकार के बारे में क्योंकि इनसे कई बार जानलेवा बीमारी हो सकती है।
नोट – इस लेख में सामान्य जानकारी दी गयी है। आपसे अनुरोध है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरुर संपर्क करें।
STD रोग या यौन संचारित रोग वो रोग या संक्रमण हैं जो यौन संपर्क द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे में संचारित हो सकते हैं। एस टी डी रोग कई स्थिति में जानलेवा बीमारी साबित हो सकती है क्योंकि यौन संचारित रोगों से अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं। वैसे ये बीमारियां महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करती हैं लेकिन ये बीमारियां महिलाओं में अधिक पायी जाती हैं।
यौन संचारित रोगों से पीड़ित महिला में प्रसव के दौरान माँ से शिशु में फैलने का खतरा भी अधिक रहता है। अभी तक 20 से ज्यादा प्रकार के यौन संचारित रोगों के बारे में पता लगाया जा चुका है। इनमें से कुछ घातक है। तो आइये जानते हैं महिलाओं में सबसे अधिक पाएं जाने वाले यौन संचारित रोगों के प्रकार बारे में।
गोनोरिया यौन संचारित रोगों में होने वाला सबसे आम रोग है। ये वयस्कों में अधिक पाया जाता है। इसका मुख्य कारण नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु को बताया गया है। गोनोरिया संक्रमित पार्टनर के साथ संपर्क से फैल सकता है। इसमें कई बार कोई लक्षण नज़र नहीं आते हैं।
लेकिन अगर आपको निम्नलिखित लक्षणों में से कोई भी महसूस हो तो वे गोनोरिया के हो सकते हैं:
सेक्स के दौरान अधिक दर्द होना, योनि स्राव और पैल्विक में तेज़ दर्द, वजाइनल डिस्चार्ज, गुप्तांगों के आसपास खुजली होना इसके लक्षण हैं। यदि इसका समय पर इलाज़ नहीं किया जाता तो इसके फैलने के कारण एपिडिडिमिस या पैल्विक सूजन रोग या पूरे शरीर में फैलाव, जोड़ों और हृदय वॉल्व को प्रभावित हो सकता है।
महिलाओं में इसके कारण पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ेस जैसे कि एक्टोपिक प्रेग्नेंसी और इन्फर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। अगर माँ गोनोरिया से संक्रमित है तो इससे प्रसव के दौरान बच्चे में फैलने का खतरा भी अधिक रहता है। इसका इलाज एंटीबायोटिक्स से किया जाता है। इसीलिए कंडोम का प्रयोग और उचित अंतराल में इसकी जांच करवाते रहें।
यह एसटीडी क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया से फैलती है। क्लैमिडिया को साइलेंट डिसीस या मौन रोग कहा जाता है। क्योंकि 80 प्रतिशत महिलाओं और 50 प्रतिषत संक्रमित पुरुषों में इसके कोई लक्षण नज़र नहीं आते। और कई हद तक इसके लक्षण गोनोरिया जैसे ही हैं।
क्लैमाइडिया महिलाओं के लिए घातक होता है। यह संक्रमण फैलोपियन ट्यूबों और गर्भाशय में फैल सकता है। और इसके नुकसान से कई केसेस में महिलाएँ दुबारा माँ नहीं बन पाती हैं। क्लैमाइडिया से बचने का एकमात्र उपाय यह है कि आप किसी भी तरह के सेक्सुअल इंटिमेसी से दूर रहें और अगर बहुत जरुरी हो तो आप लैटेक्स कंडोम का इस्तेमाल जरुर करें। हालांकि, अगर इस यौन संचारित रोग का पता लग जाए तो इसका इलाज़ संभव है। तो आप अपने चिकित्स्क से ज़रूर सम्पर्क करें।
सिफिलिस सेक्स करने से फैलने वाला एक संक्रमण है, जो ट्रेपोनिमा पैलिडम नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। एक बार सिफिलिस होने के बाद भी आपको यह बीमारी दोबारा हो सकती है। एंटीबायोटिक्स के जरिए इस बीमारी का इलाज मुमकिन भी है। लेकिन अगर इस बीमारी का इलाज ना कराया जाए तो यह दिल और नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित कर सकती है। इसीलिए बेहतर होगा कि हम इससे बचे रहें।
इस बिमारी का पता करने के लिए खून की जांच करवाने की सलाह दी जाती है। महिलाए ध्यान दें, गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों में या डॉक्टर के पास पहली बार जाते समय महिलाओं को सिफिलिस की जाँच करानी चाहिए। क्योंकि ये आपके बच्चें में भी फ़ैल सकता है। तो समय पर अपने डॉक्टर से सिफिलिस के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस या एचपीवी सबसे आम यौन संचारित रोग है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को सामान रूप से प्रभावित करता है। यह एसटीडी रोग त्वचा के त्वचा से संपर्क में आने से फैलता है। एचपीवी से कई तरह के कैंसर हो सकते हैं। एनएचएस की रिपोर्ट के मुताबिक 99% गर्भाशय कैंसर, 84% गुदा कैंसर, 47% लिंग कैंसर का कारण एचपीवी होता है। साथ ही इस यौन संचारित रोग से योनि, गले और मुंह का कैंसर भी होता है।
एचपीवी में शरीर के विभिन्न हिस्से में मस्से जैसे बन जाते हैं, जिन्हें वॉर्ट्स भी कहा जाता है। युवाओं के लिए एचपीवी वायरस से बचने का टीका उपलब्ध है। इनमें से कई बेहद गंभीर एचपीवी-16 और एचपीवी-18 वायरस से बचाते हैं।
एचआईवी का मतलब है ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus) यह वायरस एड्स का कारण बनता है। एड्स का मतलब अक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immunodeficiency Syndrome) है। यह एचआईवी संक्रमण कि सबसे अंत में होनी वाली अवस्था है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के मुताबिक पूरी दुनिया में 37.9 मिलियन लोग एचआईवी से पीड़ित हैं। इनमें से 15 साल से अधिक उम्र की 18.8 मिलियन महिलाऐं शामिल हैं। इस यौन संचारित रोग में इम्यून सिस्टम पर गहरा असर होता है। यह ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है और इसकी वजह से शरीर किसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम नहीं रहता।
इसी कारण यह बीमारी होने पर तरह-तरह के इन्फेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है। इससे कैंसर होने की आशंका भी बढ़ जाती है। आमतौर पर इसके लक्षण सामान्य फ़्लू जैसे ही होते हैं। और कई केसेस में कई सालों तक ये लक्षण दिखाई भी नहीं देते हैं। इसीलिए एचआईवी जाँच करवाना बेहद ज़रूरी है।
यौन संचारित रोगों की लिस्ट में जेनिटल हर्पीस एक प्रकार का यौन संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है। यह दो प्रकार के हरपीस सिम्प्लेक्स वायरस के कारण होता है। एचएसवी-1 या ओरल हर्पीस मुंह के चारों ओर और चेहरे पर घाव और फफोले का कारण बन सकता है, जबकि एचएसवी-2 जननांग और गुदा क्षेत्र की त्वचा को प्रभावित करता है। यह अक्सर असुरक्षित योनि सेक्स, ओरल सेक्स, एनल सेक्स के दौरान फैलता है।
इस संक्रमण के दौरान स्किन पर छोटे-छोटे दर्दनाक छाले हो जाते हैं। बुखार, खुजली, ब्लिस्टर्स, शरीर में दर्द, शरीर पर लाल रंग के दर्द भरे चकते होना आदि इसके लक्षण हैं। कई बार ये लक्षण दिखाई भी नहीं देते हैं। और ध्यान दे इस समस्या का पूरी तरह से इलाज़ नहीं है क्योंकि ये पूरी तरह से ठीक होने पर भी वापस हो जाते हैं। तो ऐसे में एंटी वायरल दवाओं से ही इस पर नियंत्रण किया जाता है।
ये लिस्ट यही खत्म नहीं होती है। इसके कई और भी प्रकार हैं। लेकिन ऊपर दिए गए सबसे आम हैं जिनका समय पर इलाज़ जरुरी है। तो इन सभी से बचने के लिए सेक्स के दौरान कंडोम इस्तेमाल करने का प्रण लें और समय समय पर डॉक्टर से परामर्श लेते रहें। साथ ही इन के बारे में खुलकर बात करें और अधिक से अधिक जागरूकता फैलाए। यौन संचारित रोगों और इनकी रोकथाम के बारे में और अधिक यहां पढ़ें।
मूल चित्र : Hrecheniuk Oleksii via Canva Pro
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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