कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

अगर बेटियां घर में ना होंगी…

कभी कदम-कदम रोके, कभी कतर दिए पँख उनके, मासूम के ख्वाब आखिर चुभते हैं आँखों में किनके। नन्हीं-नन्हीं ख्वाहिशें आसमाँ में उड़...

कभी कदम-कदम रोके, कभी कतर दिए पँख उनके, मासूम के ख्वाब आखिर चुभते हैं आँखों में किनके। नन्हीं-नन्हीं ख्वाहिशें आसमाँ में उड़…

अपनी तितलियों सी रंगीन नाज़ुक होती हैं ये बेटियां,
क्यों उड़ान नहीं भर पाती, पैरों बंधी कैसी बेड़ियाँ।

कभी कदम-कदम रोके, कभी कतर दिए पँख उनके,
मासूम के ख्वाब आखिर चुभते हैं आँखों में किनके।

नन्हीं-नन्हीं ख्वाहिशें आसमाँ में उड़ दुनिया देखने की,
और जरा सी चाहत दुनिया में वजूद अपना खुद बनाने की।

बंजर जमीं हो जायेगी, कमी ही कमी कायनात में होगी,
भयावह ये विचार कर के देखो, अगर बेटियां घर में ना होंगी।

मूल चित्र : Samarth Singhai via Unsplash

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

15 Posts | 15,143 Views
All Categories