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जब पेपर खत्म हो जाएंगे तब सोना अभी नहीं…

मुझे गाना गाने से खुशी मिलती है लेकिन जब भी मैं गुनगुनाता हूँ तो घर में सब मेरा मज़ाक बनाते हैं। कहते हैं मेरे दोस्त के बच्चों को देखो।

मुझे गाना गाने से खुशी मिलती है लेकिन जब भी मैं गुनगुनाता हूँ तो घर में सब मेरा मज़ाक बनाते हैं। कहते हैं मेरे दोस्त के बच्चों को देखो।

मधु जी एक अध्यापिका हैं। बच्चों के साथ बहुत ही मित्रता का व्यवहार है मधु जी का। जहां सभी टीचरें बच्चों से कठोरता से पेश आते हैं, वहीं मधु जी बच्चों से बड़े प्यार से पेश आती हैं। मधु जी के अंदर प्रेम कूट-कूट कर भरा था।

सुजल जो कि दसवीं क्लास का स्टूडेंट था। वह बहुत ही होनहार बच्चा था। अक्सर क्लास में गाने गुनगुनाने लगता। कब गाने गाना उसकी पसंद उसका शौक बन गया उसे खुद पता नहीं चला। हमेशा स्कूल के फंक्शनो  में भाग लेना परीक्षाओं  में भी अच्छे मार्क्स लाना ऐसा सुजल का  स्वाभाव था। सुजल मधु जी के फेवरेट स्टूडेंट में से एक था।

लेकिन कुछ दिनों से मधु जी ने महसूस किया कि सुजल उदास रहने लगा है। एग्जाम आने वाले हैं,  तो शायद इस वजह से हो रहा होगा। लेकिन सुजल की स्थिति कुछ दिनों से बहुत खराब हो गई थी।  ना तो वो किसी से बात करता और क्लास में सबसे पीछे जाकर बैठ जाता। सुजल ने किसी भी दोस्त से मिलना जुलना बंद कर दिया था।

एक दिन मधु जी पढ़ा रही थी तो देखा सूजल का ध्यान पढ़ने में नहीं था। मधु जी ने सुजल को आगे बुलाया और आगे की बेंच में बैठने को कहा। सुजल चुपचाप आगे आकर बैठ गया।

“तुम पढ़ने में ध्यान क्यों नहीं दे रहे हो?” मधु जी ने सुजल से पूछा।

“मुझे पढ़ाई से बहुत डर लगने लगा है”, सुजल ने डरती आवाज में कहा।

“अच्छा ऐसा क्यों?” मधु जी ने बड़े आश्चर्य स्वर में कहा।

“घर में पापा-मम्मी हमेशा कहते रहते है कि तुम्हे 95% से ऊपर मार्क्स लाने हैं। पढ़ाई करते-करते अगर थोड़ी देर लेट जाता हूँ तो कहते हैं, जब पेपर खत्म हो जाएंगे तब सोते रहना, अभी समय नहीं है। मुझे गाना गाने से खुशी मिलती है लेकिन जब भी मैं गुनगुनाता हूँ तो घर में सब मेरा मज़ाक बनाते हैं। हमेशा कहते हैं मेरे दोस्त के बच्चों को देखो। मेरा ना खाने का मन करता है ना पढ़ाई में मन लगता है। घर जाने का भी मन नहीं करता”, कहते-कहते सुजल की आखों से आंसूधारा बह रही थी।

मधु जी सुजल को समझाने लगीं, “देखो सुजल पढ़ाई को इजी वे में लोगे तो पढ़ाई अच्छी लगेगी।” मधु जी बैग ने बैग से चॉकलेट निकाली और सुजल को देते हुए पूछा, “अच्छा बताओ क्या बनना चाहते हो?”

“डॉक्टर”, सुजल ने बड़े उदास स्वर में कहा।

“अच्छा सच में?”

“मम्मी-पापा यही चाहते हैं कि मैं डॉक्टर बनूं।”

“और तुम क्या चाहते हो?”

“मैम कैन आई गो टू वाशरूम?” सुजल ने जवाब दिए बिना ही कहा।

मधु जी ने अगले दिन अपनी और सुजल के पैरंट्स की मीटिंग फिक्स करवायी।

“मैम सुजल बिल्कुल भी नहीं पढ़ाई नहीं करता। पता नहीं कहां खोया रहता है। जब देखो गाने गाता रहता है”, सुजल के मम्मी पापा ने सुजल की शिकायतें शुरू कर दीं।

“देखिये मिस्टर एण्ड मिसेज राव, माता-पिता अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपनी उम्मीदों के अनुसार अपने बच्चे को ढालना चाहतें हैं और अपनी अपेक्षाएं उन पर थोप देते हैं। मैं यह नहीं कह रही कि आप सुजल के पढ़ाई के लिए ना बोलें, मैं यह कहना चाह रही हूं कि हम बच्चे की भावनाओं को समझें। अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे आपका और आपके फैसले का सम्मान करे तो उनकी भावनाओं को हमें  समझना होगा। किसी एक बच्चे की तुलना किसी और बच्चे से करना ये बच्चो को हतोत्साहित करता है।

पढ़ाई-लिखाई ज़रूरी है, लेकिन पढ़ाई के लिए बोलते वक्त हमेशा आदेश नहीं बल्कि उन्हें सुझाव देंकर और प्यार से समझा कर बोलें।” मधु जी ने कोशिश की थी मिस्टर एण्ड मिसेज राव को समझाने की।

मधु जी ने अपने ग्लासेस टेबल पर रखे और अपनी आखों से जो आँसू निकल रहे थे उन्हे साफ किया और आँसू निकलते भी क्यों न आखिर कुछ सालों पहले उनका बेटा भी तो इसी स्थिति से गुजरा था जिससे आज सुजल गुजर रहा है।

अब ये तो नहीं पता कि मिस्टर एण्ड मिसेज राव के मधु जी की बातें समझ में आयी या नहीं लेकिन आज सुजल स्कूल में थोड़ा-बहुत पहले वाला सुजल लग रहा था।

दोस्तों माता-पिता का हर समय बच्चे की तुलना दूसरे से करतें रहते है जो कि बिल्कुल गलत है।हर बच्चा अपने आप में खास होता है। बच्चों पे कोई भी चीज थोपे नहीं। बच्चे को प्यार करें और उनके साथ समय बिताएं। बच्चों को जिन्दगी का खेल न हारने दें।

मूल चित्र : Still from Bollywood Movie Taare Zameen Par

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