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करवटें बदलता अतुल भी यही सोच रहा था कि अगर लिस्ट ना होती तो शायद दो अंगूठी और एक झुमका गायब है, ये पता भी ना चलता।
“सुनो मुझे गहने कुछ कम लग रहे हैं।”
“क्या बकवास कर रही हो? ऐसा कुछ नहीं है एक साल बाद देखा है तो ध्यान नहीं होगा।”
“नहीं अतुल देखो इसमें झुमके नहीं हैं और दो अंगूठियां भी गायब हैं।” हाथों में लिये पर्ची से गहने मिलाती रूबी बोली। अब अतुल के कान भी खड़े हो गए। झट से रूबी के हाथों से पर्ची लें एक-एक गहना मिलाने लगा। सच में गहने कम थे।
“ऐसा कैसे हो सकता है रूबी? पापा ऐसा नहीं कर सकते मेरे साथ।”
“मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा अतुल। क्या पापा जी पूछना सही होगा?”
“अभी रात हो गई है कल सोचते है क्या करना है”, अतुल ने कहा और दोनों पति पत्नी सोने चले गए लेकिन आँखों से नींद दोनों के गायब थी।
अतुल और रूबी घर से दूर दूसरे शहर में रहते थे और अतुल का परिवार, जिसमें उसके पापा, मम्मी, भाई-भाभी और अतुल की छोटी बहन सभी पटना में रहते थे। अतुल और रूबी की शादी को दो साल हुए थे और शादी के समय रूबी को उसके मायके से बहुत सारे गहने चढ़े थे।
जब शादी के कुछ समय बाद रूबी और अतुल पटना से दिल्ली जाने लगे तो अतुल की माँ ने सारे गहने ले जाने से रूबी को ये कह रोक दिया कि अभी सारे गहने ले जाना सुरक्षित नहीं जब वहाँ लॉकर ले लेना फिर लेती जाना गहने तब तक यहाँ के लॉकर में रख दो। रूबी और अतुल को भी माँ की बात जायज लगी तो कुछ डेली पहने वाले गहने ले बाकि रूबी ने अपनी सासूमाँ को दे दिया रखने को।
बचपन से आज तक रूबी की आदत थी हर चीज को सलीके से रखने की, सारी रसीदें सब कुछ सहेज कर रूबी रखती कि कब किसकी जरुरत आन पड़े। अपने गहनों का भी यही सोच कर कि याद रहे कौन से गहने किसने दिये मुंह-दिखाई में और कौन से मायके से मिले उसने लिख कर पास में रख लिया। दिल्ली जा कर अतुल और रूबी अपनी नई घर-गृहस्थी बसाने में लग गए और एक साल बाद वापस पटना आना हुआ। इस बार रूबी को आपने मायके भी जाना था तो उसने गहने लॉकर से निकलवाने को सासूमाँ को बोल दिया। लिस्ट के कारण जब गहने आये तो रूबी को पता चल गया की गहने कम हैं।
करवटें बदलता अतुल भी यही सोच रहा था कि अगर लिस्ट ना होती तो शायद दो अंगूठी और एक झुमका गायब है, ये पता भी ना चलता क्यूंकि इतने गहने से एक दो गायब भी हो तो क्या याद रहता है? हो सकता है पापा ने कहीं और रख दिया हो। रात भर अतुल खुद को दिलासा देता रहा। आज अपनी पत्नी के आगे खुद को कितना छोटा महसूस कर रहा था उसके आपने घरवालों ने उसकी पत्नी के गहने निकाल लिये थे। क्या सोच रही होगी रूबी कैसे लोग है उसके ससुराल वाले।
अगले दिन जैसे ही अतुल ने गहने के विषय में पूछा अतुल की माँ ने हंगामा मचा दिया।
“तुम्हें शर्म नहीं आती हमें चोर बनाते? अभी साल दो साल हुए शादी को और माँ-बाप चोर लगने लगे तुम्हें?”
“माँ बात चोरी की नहीं है। गहने तो कम है, ये पक्का है, मैं तो बस पूछ रहा हूँ।” परेशान हो अतुल ने कहा।
बात बढ़ती देख अतुल के पापा ने अतुल को कहा, “जरूर कोई भूल हुई है अतुल बेटा क्यूंकि तुम्हारे शादी के पहले ही मैंने लॉकर के लिये अप्लाई कर दिया था और मुझे लॉकर मिल भी गया था क्यूंकि मैं खुद दोनों बहुओं के गहने साथ रखने के पक्ष में नहीं था।”
अंदर कमरे में बैठी रूबी भी सारी बातें सुन रही थी बात बढ़ती देख और रिश्ते में दरार ना आ जाये ये सोच रूबी ने अतुल को चुप रहने का इशारा कर दिया। आखिर माता-पिता से एक दो गहने के लिये लड़ना किसी भी दृश्टिकोण से उचित नहीं था।
उदास मन से अतुल और रूबी चुप लगा कर रह गए। वहीं अतुल के पापा ने लॉकर की चाभी अतुल को सौंप दिया और रूबी के गहनों की जिम्मेदारी भी अतुल को ही सौंप दी।
कुछ दिन रुक अतुल और रूबी चले गए लेकिन गहनों की बात अतुल के पापा के मन से गई नहीं थी। आखिर रूबी और अतुल कह रहे हैं तो जरूर सच ही कह रहे होंगे लेकिन गहने मैंने ही लॉकर में रखे थे फिर गायब कैसे हो गए गहने?
इसी उधेड़-बुन में कुछ समय बीत गया। एक दिन अतुल की माँ कहीं बाहर गई थी और अतुल के पापा को किसी कागजात की जरुरत पड़ी। अलमारी में ढूंढ़ते-ढूंढ़ते उनकी नज़र कपड़ों के पीछे रखे डब्बे पे चली गई। जैसे ही उन्होंने डब्बा खोला दंग रह गए। अंदर वही झुमके और अंगूठियां पड़ी थीं। धम्म से वहीं बैठ गए अतुल के पापा।
” ये क्या कर दिया अतुल की माँ अपने बच्चे का विश्वास खो दिया। इन गहनों के लिये ऐसा क्या दिखा तुम्हें इन गहनों में? शादी के इतने सालों में क्या नहीं दिया तुम्हें कपड़े-गहने? बताओ अब चुप क्यों हो?” घर लौटते ही सवालों की बौछार कर दी अतुल के पापा ने अतुल की मम्मी पर।
“मुझे माफ़ कर दीजिये। गलती हो गई मुझसे। जब रूबी दुल्हन बन आई तभी सौम्या को उसके झुमके और अंगूठियां पसंद आ गए थे। तो उसने मुझसे कहा भाभी से दिलवा दो। मैंने रूबी से कहा भी कि इकलौती नन्द का नेग बनता है, रूबी बहु कुछ उपहार दे दो सौम्या को। तो उसने एक हलकी सी अंगूठी पकड़ा दी सौम्या को। आपने जब अतुल और रूबी के जाने के बाद अलमारी में गहने रखे तो ज़िद कर सौम्या ने मुझसे निकलवा लिये कि इतने सारे गहनों में क्या याद होगा भाभी को। बेटी के मोह में गलती हो गई मुझसे।”
“ये क्या कर दिया अतुल की माँ तुमने? सौम्या की मांग ही नाजायज थी। सौम्या के हक़ के गहने मैंने पहले ही उसे उसकी शादी में दे दिये थे और ये तो रूबी के पापा के दिये गहने थे, जिनपे सिर्फ रूबी और अतुल का हक़ था। तुमने आज मुझे मेरे बच्चों के सामने शर्मिंदा कर दिया अतुल की माँ।”
माँ-बाप और बच्चों के बीच सबसे कीमती चीज विश्वास होती है और आज आपके कारण वो मैंने खो दिया। चाहे अतुल और रूबी समझदारी दिखाते हुए चुप लगा जाएँ लेकिन दुबारा कभी विश्वास नहीं कर पायेंगे अपने पिता पर। आज एक पति का विश्वास भी टूट गया अपनी पत्नी से जिसे अपनी बेटी की ज़िद अपने पति के मान सम्मान से ज्यादा प्यारी लगी।”
आज बेटी के मोह में जो गलती अतुल की माँ ने की उसका खामियाजा अतुल के पापा चुका रहे थे अपने बेटे बहु का विश्वास खो कर। कहते हैं संसार में सबसे कीमती चीज विश्वास होती है जो एक बार खो जाये तो वापस नहीं मिलती, कुछ ऐसा ही हुआ। चाहे अतुल और रूबी ने वापस इस बात की जिक्र ना की, ना ही अतुल के पापा ने। अपनी पत्नी और बेटी की गलती को छिपा लिया लेकिन विश्वास दोनों ओर टूटा था। एक बेटे का और एक पति का भी।
प्रिय पाठक गण थोड़ा सा लालच कभी कभी बड़ी गलतियां करवा देता है और जिसका पछतावा और खामियाजा जिंदगी भर चुकाना पड़ता है।
मूल चित्र : VSanandhakrishna from Getty Images Signature via Canva Pro
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