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चाहे बंदिशें हों कितनी भी…

चाहे बंदिशें हों कितनी भी, देख लेना एक दिन, अपना आसमाँ मैं खुद चुनुँगी, मेरे पँख विश्वास है मेरा, ऊँची बहुत उड़ान उडूँगी।

चाहे बंदिशें हों कितनी भी, देख लेना एक दिन, अपना आसमाँ मैं खुद चुनुँगी, मेरे पँख विश्वास है मेरा, ऊँची बहुत उड़ान उडूँगी।

चाहे बंदिशें हों कितनी भी,
भरनी है उड़ान मुझको।
अड़चने आएँ चाहे जितनी,
छूना है आसमाँ मुझको।

रोक न पाएँगी ये,
बंदिशें मेरा रास्ता।
मेरे ज़ुनून और हौसलों का,
बंदिशों से नहीं वास्ता।

बाँध कितने भी बना लो,
नदियाँ भला कब हैं रुकी?
इतिहास साक्षी है, नारी के
हौंसलों के आगे दुनिया झुकी।

देख लेना एक दिन,
अपना आसमाँ मैं खुद चुनुँगी,
मेरे पँख विश्वास है मेरा,
ऊँची बहुत उड़ान उडूँगी।

मूल चित्र : The Power Couple via Unsplash

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Samidha Naveen Varma

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