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अब रीना को सब बातें समझ में आने लगीं। उसे अब समझ आया कि क्यूँ उसकी माँ हर वक़्त उससे खींची-खींची और नाराज़ रहती थीं।
नोट : ये कहानी अंग्रेज़ी में पहले यहां पब्लिश हो चुकी है और इसका हिंदी अनुवाद मृग्या राय ने किया है
“रीना, तुमने खिड़कियां बिना बंद किए ही एसी को ऑन कर दिया!” शायला, रीना की माँ, ने शिकायत करते हुए कहा।
“कोई बात नहीं माँ।” अपनी माँ की बात रीना ने दिल पर नहीं ली। उसके पिता, अशोक गर्म कॉफी पीते हुए अख़बार में खोये हुए थे, जब शायला ने उन्हें टोका, “मैंने तीन दिन पहले किराने वाले को सामान की लिस्ट दी थी। लेकिन उसने अभी भी समान डिलिवर नहीं किया। क्या आप उसे फ़ोन करके याद दिला सकते हैं? अच्छा नहीं! आप उसके पास खुद ही चले जाइये ना…प्लीज़!” शायला को चिंता थी कि घर पर खाने का स्टॉक कम हो रहा है।
रीना ने माँ को कहा, “माँ, मैंने तुमसे कितनी बार कहा है कि हमें किराने का सामान ऑनलाइन मंगवाना लेना चाहिए। तो फिर यह सब झंझट क्यों? राहुल और मैं ऑनलाइन ऑर्डर किया करते थे। आप हमारे काम को जानते हैं। हमारे पास टाइम की कमी थी। जब हम दुकान पर सामान लेने नहीं जा सकते, तो हम उसे ऑर्डर कर देते हैं। एक-दो दिन में यह हमारे घर पहुंचा दिया जाता है। जो सामान आप आर्डर करते हैं वही डिलीवर होता है। तो फिर आप आर्डर करने में इतना क्यों घबराती हैं?”
“तुम नहीं जानतीं, रीना। ऑनलाइन आर्डर करने कभी अच्छा नहीं होता है। वे अपनी वेबसाइट पर दिखाएंगे कुछ और और डिलिवर करेंगे कुछ और।”
रीना सोच में पड़ गयी कि कैसे अपनी मां को ये बात समझाए। थोड़ी देर बाद, जब रीना फ्रिज से दूध निकालने लगी, तो थोड़ा दूध ज़मीन पर गिर गया। उसने रसोई का कपड़ा लिया, उस पर थोड़ा डिसिन्फ़ेक्टंट डाला और फर्श को साफ कर दिया।
“रीना? बदबू आती है! दूध निकालते समय तुम को ध्यान देना चाहिए। कहाँ है तुम्हारा ध्यान? लाओ ये कपड़ा मुझे दो। मैं इसे फिर से साफ कर देती हूँ।”
“माँ! मैं इसे दो बार साफ़ कर चुकी हूं।आप क्यूँ इतना नाराज़ हो रही हैं?” रीना ने कहा पर उसकी माँ उस जगह को दोबारा साफ़ करने में व्यस्त थीं।
रीना के मन में सवाल आया कि उसकी माँ साधारण सी चीजों को भी इतना गंभीरता से क्यों ले रही थीं। फिर भी, वह इसके पीछे के कारण का पता नहीं लगा सकी।
उनकी पड़ोसी और शायला की करीबी दोस्त, वैशाली मिलने आयी थी।
“तुम्हारी बेटी कैसी है? वह कौन सा कोर्स करने का सोच रही है? उसके बारहवीं के नंबर बहुत अच्छे हैं ना, तो उसके लिए तो इंजीनियरिंग अच्छी रहेगी।” शायला ने उत्साह से कहा।
वैशाली ने निराशाजनक भाव में कहा, “इन दिनों, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि बच्चे ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं। मैंने भी उसे इंजीनियरिंग करने की सलाह दी। लेकिन वह जिद्दी है और फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई करना चाहती है। मैंने उससे कहा भी कि इसे एक हॉबी की तरह कर ले, लेकिन वह मेरी बात नहीं सुन रही है।
उसके पिता भी उसका साथ दे रहे हैं। मेरी बात इस घर में कभी नहीं सुनी जाती है। कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं दीवारों से बात कर रही हूं। मैं कल शाम को उसे यहाँ ले आती हूँ। तुम ही उससे कुछ समझाओ।”
शायला ने अपने चश्मे निकाले और उन्हें टेबल पर रख दिया। रीना चाय तैयार कर रही थी और ट्रे में बिस्कुट का लगाने लगी।
“मैं क्या कर सकता हूँ वैशाली? मैं अपनी ही बेटी को सही राह पे नहीं ला सकी। देखो! राहुल कॉलेज के दिनों का उसका सबसे अच्छा दोस्त था। हमें विश्वास था कि उन दोनों की जोड़ी अच्छी है और उनकी इच्छा के अनुसार उनकी शादी भी करवा दी। पूरे दस साल साथ रहने के बाद, उसने तलाक के लिए अप्लाई किया और अब यहाँ रह रही है।” ज़मीन की ओर देखते हुए शायला धीरे से बोली।
अब रीना को सब बातें समझ में आने लगीं। उसे समझ आया कि क्यूँ उसकी माँ हर वक़्त उसकी हर गलती बताने के लिए उत्सुक रहती थीं। उसकी माँ ने जो कहा वह सच था। रीना और राहुल अपने कॉलेज के दिनों के करीबी दोस्त थे। वे पिछले पंद्रह वर्षों से एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह से जानते थे।
उनकी शादी के बाद भी, कुछ वर्षों तक, सब अच्छा रहा। लेकिन कुछ समय बाद, रीना ने महसूस किया कि उनके बीच सब ठीक नहीं है। बेकार के झगड़े होने लगे। उन्होंने घंटों बात की और ये निष्कर्ष निकाला कि इसका सबसे अच्छा समाधान एक ही था – अलग हो जाना।
जब रीना ने माँ को अपने और राहुल के इस फैसले के बारे में बताया, तो माँ ने एकदम पूछा, “क्या राहुल तुम्हें मारता है?”
ऐसा आजकल कई घरों में देखते को मिलता है। जब दो लोगों के बीच कुछ ठीक न चल रहा हो, तो सिर्फ़ इस कारण कि वो शादीशुदा हैं, उनका साथ रहना जरूरी नहीं है। हर घर में गलतफहमी होती है, लेकिन जब स्थिति ऐसी हो कि उसे सुलझाया न जा सके, तो तनाव झेलने के बजाय, जो शायद आगे बड़ी समस्या बन सकता है, उस स्तिथि से आगे बढ़ना और अलग रहने का फैसला कई बार बेहतर होता है।
ऐसे मामलों में, माता-पिता को अपने बच्चों के इस फैसले को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए। अगर एक महिला तलाकशुदा है, तो यह उसके जीवन के अंत नहीं है। उसके जीवन में और भी भूमिकाएँ हैं, जैसे एक बेटी, बहन और दोस्त!
उसके सामने उसका करियर है। वह फिर से शादी करना या अकेले रहना चुन सकती है। उसके आगे उसका पूरा जीवन है, जिस पर ध्यान केंद्रित करना अधिक महत्वपूर्ण है। अगर उसने खुद दूल्हे को चुना और रिश्ता तलाक में ख़त्म हो गया, उसके बाद वो जो भी करती है, वो गलत ही क्यों माना जाता है? फिर चाहे वो रोज़ाना जीवन की गतिविधियों ही क्यों ना हों?
मेरी माता-पिता से गुज़ारिश है कि कृपया इस संकीर्ण और बारीक दृष्टिकोण से अपनी बेटी को देखना बंद करें। उसने एक निर्णय लिया है जिसका सम्मान करना और स्वीकार करना आवश्यक है। वह जैसी है, वैसे ही जीना चाहती है।ऐसी बेटी को पाल-पोसकर बड़ा करने पर आपको गर्व महसूस करना चाहिए। वह इस समाज के लिए या उनके विचारों के अनुसार नहीं जी रही है। अकेले रहने का उसका अपना साहसिक निर्णय है जिसे सराहने की आवश्यकता है।
उसे सिर्फ़ आपके सपोर्ट, प्यार, और देखभाल की ज़रूरत है। ये सारे भाव उस पर न्यौछावर करें ताकि वह इस दुनिया में अंधेरे के बीच एक चमकते सितारे के रूप में उभरे।
मूल चित्र : Sujay_Govindraj from Getty Images Signature via Canva Pro
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