कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां हैं?

आत्मा का टूटना, बचपन का चले जाना, जिंदगी भर अपने आपको दोषी मानना, मानसिक आघात, शारीरिक टूटन, इसको आप किस एक्ट में लाना चाहेंगे?

आत्मा का टूटना, बचपन का चले जाना, जिंदगी भर अपने आपको दोषी मानना, मानसिक आघात, शारीरिक टूटन, इसको आप किस एक्ट में लाना चाहेंगे?

चेतावनी: यहाँ चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूस का सच्चा विवरण है और ये आपको परेशान कर सकता है।

50 साल का व्यक्ति 5 साल की छोटी बच्ची के साथ शारीरिक शोषण कर रहा है, और कहीं 39 साल का व्यक्ति 12 साल की बच्ची का शारीरिक शोषण कर रहा है। और यह वो घटनाएं हैं जो हमारे सामने आई हैं जहां मां-बाप ने आगे बढ़कर कंप्लेंट दर्ज कराई और सुप्रीम कोर्ट जैसी जगह में यह केस आगे आए।

सोचिए ना जाने ऐसे कितने केस होंगे? और ऐसी कितनी बच्चियां होंगी जिनका दिन रात शारीरिक शोषण हो रहा होगा। जिन मां-बाप ने हिम्मत दिखाकर यह केस दर्ज कराएं आज उन्हें सेक्सुअल असॉल्ट की परिभाषा का सामना करना पड़ रहा है।

मुझे बहुत दु:ख है, मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच से एक महिला जज ने कानूनी दांव-पेच में बच्चियों और महिलाओं की इज्जत को फसा दिया है। मुझे लिखते हुए भी बहुत शर्म आ रही है कि दादा और बाप की उम्र के लोगों के साथ आज भी हम सुरक्षित नहीं हैं।

और वहीं इन महिला जज ने सेक्शन को पॉक्सो एक्ट के तहत रखकर बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा को और भी खतरे में डाल दिया है। If no Skin to skin touch, holding hand & opening zip को यौन हमले में नहीं गिना जाएगा।

आत्मा का टूटना, बचपन का चले जाना… जिंदगी भर अपने आपको दोषी मानना… मानसिक आघात, शारीरिक टूटन… इसको आप किस एक्ट में लाना चाहेंगे?

मैं मानती हूं आप कहेंगे कि कानून भावनाओं पर नहीं चलता है, लेकिन अभी जो मुंबई हाईकोर्ट से खबर आ रही है जो सारे सबूतों के बाद आई हैं क्या आप इसे सही ठहराते हैं?

हमारे समाज की गिरावट के साथ साथ कानून के नाम पर जो खिलवाड़ हो रहा है, वो बेहद ही शर्मसार करने वाला है। लोगों को कानून का डर अब और भी नहीं रहेगा, महिलाएं और बच्चियां अपने साथ होने वाले अत्याचारों को जो कहने की हिम्मत जुटा पा रही थीं, वो आवाज भी दबती हुए भी नजर आ रही हैं।

याद रखेयिगा अगर आपके देश में आपकी मां, बहन सुरक्षित नहीं हैं, आप सबको गर्दन उठा कर चलने का कोई अधिकार नहीं…

जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां है?

मूल चित्र : Gluda90 from Getty Images via Canva Pro 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

17 Posts | 38,728 Views
All Categories