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तुम आराम करो क्यूँकि मैंने पैटरनिटी लीव ली है…

रात भर तो तुम जागती रहीं, थोड़ा सो लो, मैं हूं न! मैं नैपी बदल देता हूं, तुम दूध तैयार कर लो। क्या है पैटरनिटी लीव और इसके प्रावधान?

रात भर तो तुम जागती रहीं, थोड़ा सो लो, मैं हूं न! मैं नैपी बदल देता हूं, तुम दूध तैयार कर लो। क्या है पैटरनिटी लीव और इसके प्रावधान?

महिलाओं को लेकर भारत ही नहीं पूरी दुनिया का कठोर यथार्थ यह है कि उन्होंने अपने राजनीतिक-सामाजिक-आर्थिक और सामाजिक जीवन के तकलीफों को लंबे संघर्ष के बाद बदला है। भारतीय संदर्भ में बाल-विवाह का त्रासदपूर्ण यथार्थ हो या सती-प्रथा के त्रासद का इतिहास हो या बेमेल विवाह या उनके जीवन के जुड़े अन्य सामाजिक-सांस्कृति तकलीफें। अच्छी बात यह भी है कि महिलाओं के जीवन आज जहां पूर्व के त्रासदियों से ऊबर रहा है, वहीं नई त्रासदियों के खिलाफ अपनी आत्मअभिव्यक्ति भी दे रहा है और महिलाओं के जीवन को बेहतर करने का प्रयास कर रहा है।

हाल के दिनों में हमारे समाज से थोड़े ही पर कुछ लोगों ने एक नई परंपरा की शुरुआत की है- वह है, पैटरनिटी लीव। यह एक नया भाव, नई संवेदना है जिसमें एक जीवनसाथी अपने हमसफर से यह कह रहा है कि माता-पिता बनने की जिम्मेदारी हम दोनों की है, हम दोनों इस सुख के साझीदार है, चलों बांट ले हम जीवन के इस सुख का हर पल आधा-आधा।

पैटरनिटी लीव है एक नई परंपरा की शुरुआत

भारतीय क्रिकेट के कप्तान विराट कोहली ने अपने होने वाले संतान के साथ वक्त बिताने के  लिए  पैटरनिटी लीव लेकर, एक नई शुरुआत कर दी है जो काफी सुखद है। तभी तो कामेडियन कपिल शर्मा ही नहीं, अभिनेता सैफ अली खान ने भी अपने होने वाले दूसरी सतांन के साथ समय बिताने के लिए पैटरनिटी लीव ली है। यही नहीं, टीडीपी सांसद राम मोहन नायडू ने तो संसद के मौजूदा सत्र में ही लोकसभा स्पीकर से नौ दिन के पितृत्व अवकाश की मंजूरी मांगी है।

प्रेम का इससे बेहतरीन उपहार और क्या हो सकता है?

अपने जीवनसाथी और आने वाले मेहमान के लिए प्रेम का इससे बेहतरीन उपहार और क्या हो सकता है। एक सही और जिम्मेदार जीवनसाथी के मिल जाने से जीवन में नई उमंग आ जाती है। पैटरनिटी लीव लेकर अगर कोई दंपत्ति भविष्य के सपने को संजोते हुए, बच्चों के परवरिश की जिम्मेदारी भी बांट रहा हो तो यह कहते हुए, “रात भर तो तुम जागती रहीं, थोड़ा सो लो। मैं हूं न…मैं नैपी बदल देता हूं…तुम दूध तैयार कर लो…”इससे ज्यादा खूबसूरत एहसास भला और क्या हो सकता है किसी भी मैरिड कपल के लिए।

पैटरनिटी लीव, हमारे सामाजिक जीवन का हिस्सा आज से पहले नहीं था। आपने-हमने बचपन से अब तक तो यही सुना और देखा था कि बच्चों की देखभाल केवल महिलाओं का फर्ज होता है और पुरूष नौकरी करने और पैसा कमाने के लिए होते हैं। इसलिए यही समझा कि बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी महिलाएं ही उठा सकती हैं।

जब कामकाजी औरत मां  बनने वाली होती तब उनके डिलीवरी के कुछ महीने पहले से उन्हें, चाहे वह प्राइवेट संस्था में काम कर रही हो या सरकारी, मैटरनिटी लीव मिलने का प्रावधान होता है बस। पर आकंड़े बताते  कि 2014 में पैटरनिटी लीव देने वाली कंपनियां की संख्या 60 फीसदी थी जो 2016 में बढ़कर 75 फीसदी हो गई है।

पिता बनने और बच्चा गोद लेने पर छुट्टी देने के मामले में भारत दुनिया में टांप 10 देशों के शामिल है। कुछ कंपनियां फैमिली केयर लीव नाम से इस तरह की छुट्टीयां दे रही है। भारत में श्रम मंत्रालय इसे पॉलिसी के तौर पर लाने की तैयारी कर रही है, जिससे इसका फायदा निजी कंपनियों के कर्मचारियों को भी हो सके।

क्या है पैटरनिटी लीव और इसके प्रावधान

अब तक हमारे देश जिस तरह कामकाजी महिलाओं को  डिलवरी के बाद नौ महीने(नये कानून के अनुसार इससे अधिक) बच्चों के देखभाल  के लिए मैटरनीटी लीव मिलती रही है। ठीक उसी तरह, कोई भी पुरुष पत्नी के डिलीवरी के बाद और बच्चे की देखभाल के लिए पैटरनिटी लीव ले सकता है।

डिलीवरी डेट के 15 दिन पहले या 6 महीने के अंदर  पुरुष पैटरनिटी लीव ले सकते हैं। इस लीव में पुरुषों को आंफिस से छुट्टी मिलती है और सैलरी नहीं काटी जाती है। एक स्टडी ने इस बात पर सहमति जताई कि पैटरनिटी लीव लेने पर फीमेल पार्टनर भी खुश रहती ही हैं। यह भी बात सामने आई है कि पैटरनिटी लीव की मदद से पुरुषों को  अपने बच्चों के साथ समय बिताने और बांन्ड बनाने में मदद मिलती है।

आज देश में केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 15 दिन की पैटरनिटी लीव दी जाती है। प्राइवेट सेक्टर मे काम करने वालों के लिए पैटरनिटी लीव का लेबर कानून में कोई प्रावधान नहीं है। जुमैटो और अमेजन जैसी कंपनियां इस दिशा में गंभीर पहल कर रही है। जिससे बाद कई कंपनियां उदार नीतियां अपना रही है जिससे लोग ठीक तरह से फैमली प्लान कर सके। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पैटरनिटी लीव देने वाली कंपनियों की संख्या  धीरे-धीरे अपने देश में बढ़ रही है। कई कंपनियां अधिक नहीं पर पांच दिन तक की छुट्टी देती हैं लेकिन कुछ कंपनियां पिता बनने वाले कर्मचारियों को ज्यादा उदार तरीके छुट्टियां देने में आगे बढ़ रही है।

पैटरनिटी लीव प्रेम के इज़हार का शानदार तरीका

एक पुरुष अपने जीवनसाथी और आने वाले संतान को लेकर फ्रिकमंद है, प्रेम का इससे बेहतरीन तोहफा और कुछ हो ही नहीं सकता। यह प्रेम के ढ़ाई आखर को बयां करने का सबसे उम्दा एहसास है, जो इतना तो बयां कर ही देता है कि अगर प्रेम का इज़हार खामोशी से करना है तो इससे नायाब तरीका और कोई हो ही नहीं सकता है – मेरे जीवनसाथी मुझे फ्रिक है तुम्हारी और तुमसे मिलने वाली हर खुशी की। तुमसे ही तो है मेरा जीवन…

अपने जीवनसाथी के लिए फ्रिकमंद होना किसी भी महिला के लिए बहुत बड़ी नेमत है। हर महिला और कुछ न चाहे पर यह चाहती ही है कि उसका जीवनसाथी उसके लिए केयरिंग हो। अपने जीवनसाथी का मातृत्व के पलों में, जो उसके लिए जंग सरीखी है, जिसे वह जीतकर दिखाती है और घर का आंगन नई खूशीयों से भर देती है। उस जंग में उसके हमसफर का साथ होना मनोवैज्ञानिक सबंल जरूर देगा, इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है, साथ ही साथ यह पुरुषों को संवेदनशील बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा।

आज जब एक पिता भी बच्चों के प्रति अपने दायित्व को समझ रहा है या समझने की कोशिश कर रहा है तो यह समाज के लिए सुखद संकेत है कि वह संवेदनशील होने के मुहाने पर खड़ा है। जानकार कहते है कि बच्चा जब अपने माता-पिता से नज़र मिलाता है तो उसकी भावनाएं गहराती हैं। बच्चों के साथ पिता का भी भावनात्मक सबंध अधिक मजबूत हो इसके लिए जरूरी है कि पिता भी पैटरनिटी लीव ले और इसका उपयोग जरूर करे।

पुरानी धारणाएं आज धीरे-धीरे बदल रही हैं

पुरानी धारणाएं आज धीरे-धीरे बदल रही हैं, जो अच्छी बात है। यह सही है कि यह अभी बहुत कम है पर आने वाले समय में हम स्त्री-पुरुषों को एक साथ अपने बच्चों के देखभाल की जिम्मेदारी उठाते हुए देखेंगे।

पश्चिम के कई देशों में ही नहीं, अपने देश में भी अब बच्चे के डिलीवरी के समय लेबर रूम में पति अपनी पत्नी के साथ मौजूद होता है, उसके दर्द को देखत है,समझता और एहसास करता है। भारतीय समाज में  यह महिला-पुरुष के बीच बढ़ती समानता की सोच और बच्चों की देखभाल में पुरुषों की बढ़ती जागरूकता के तौर पर देखा जाना चाहिए। यह एक शानदार कदम है।

मूल चित्र : Vaishuren from Getty Images via Canva Pro 

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