कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

जैसी वो अट्ठारह बरस की थी…

जैसी वो अट्ठारह बरस की थी, सतरंगी-मनमलंगी, आज पचास की उम्र में उसे वैसी लड़कियाँ कतई नहीं भाती, ये कमबख्त उम्र भला इतनी दोगली कैसे हो जाती?

जैसी वो अट्ठारह बरस की थी, सतरंगी-मनमलंगी, आज पचास की उम्र में उसे वैसी लड़कियाँ कतई नहीं भाती, ये कमबख्त उम्र भला इतनी दोगली कैसे हो जाती?

जैसी वो अट्ठारह बरस की थी,
सतरंगी, मनमलंगी
नाचती, गाती, खिलखिलाती मुस्कुराती,
लड़कों से पंजा लड़ाती,
उनकी नकल कर आढ़े-तिरछे मुंह बनाती,
इठलाती-बलखाती, दुनिया के
नित नए फैशन अपनाती,
बाईक पर फर्र-फर्र
शहर भर के चक्कर लगाती,
घर आए गए को खूब सताती,
जिससे जी चाहे जुबान चलाती,
तौर तरीकों की हिदायत देती सारी,
उम्रदराज़ औरतें उसे फूटी आँख न भाती!
आज पचास की उम्र में
उसे वैसी लड़कियाँ कतई नहीं भाती,
ये कमबख्त उम्र भला
इतनी दोगली कैसे हो जाती?

मूल चित्र : Ujjwal chouhan via Unsplash

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

98 Posts | 300,178 Views
All Categories