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कल झाँसी में हुए बीकेडी गोलीकाण्ड से मुझे ये सबक मिला

कल झाँसी में हुए बीकेडी गोलीकाण्ड ने मुझे गंभीर रूप से परेशान किया और मैं इन बातों पर विचार करने पर मजबूर हो गया...

कल झाँसी में हुए बीकेडी गोलीकाण्ड ने मुझे गंभीर रूप से परेशान किया और मैं इन बातों पर विचार करने पर मजबूर हो गया…

बुन्देलखंड के झाँसी में आज तारीख 19 फरवरी 2021, शुक्रवार को तकरीबन दोपहर साढ़े बारह बजे बीकेडी (बुन्देलखंड कॉलेज) में हुए गोलीकाण्ड से शासन-प्रशासन, देश-दुनिया, समाज-क्षेत्र, छात्र-छात्रा और युवा-युवतियों को सबक लेने की जरूरत है और इस गोलीकाण्ड पर हम सबको गम्भीरता से विचार करने की सख्त जरूरत है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रेम-प्रसंग यानी लव-अफेयर्स के चलते एक छात्र ने अपने सहपाठी दूसरे छात्र पर भरे क्लासरूम में ही गोली चला दी, जिससे छात्र गम्भीर रूप से घायल हो गया और फिर अपराधी ने एक छात्रा के घर पर जाकर, उस पर गोली चला दी। छात्रा को गोली गर्दन पर लगी, जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई।

ये तीनों कॉलेज से एमए साइकोलॉजी की शिक्षा ले रहे थे। फिलहाल अपराधी को झाँसी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। अपराधी को निन्दनीय हत्या के अपराध में उम्रकैद की सजा मिलती है या फिर फाँसी, ये तो कोर्ट के निर्णय निर्भर करेगा। लेकिन ऐसे हत्यारे अपराधी को जल्द ही सजा मिले, ऐसी हम अपेक्षा करते हैं, जिससे लोगों का कानून-व्यवस्था में विश्वास कायम रह सके।

झाँसी बीकेडी गोलीकाण्ड ने मुझे ये सोचने पर मजबूर किया

अब हम बात करते हैं इस गोलीकाण्ड से सबक लेने की, तो सबसे पहले युवा छात्रों और युवती छात्राओं को इससे यह सबक लेना चाहिए कि उनको जमाने के हिसाब से तो चलना है लेकिन सावधान होकर। इस गोलीकाण्ड वाले मामले में यह हो सकता है कि गोली खाने वाले छात्र-छात्रा आपस में प्रेमी-प्रेमिका हों और अपराधी की किसी वजह से इन दोनों से रंजिश चलती हो या फिर छात्रा अपराधी की गर्लफ्रैंड रही हो या फिर गर्लफ्रैंड बनने से उसने मना कर दिया हो, इन सब पहलुओं में से परे भी कुछ भी हो सकता है।

कॉलेज लाइफ में अक्सर छात्र-छात्राएं प्रेम प्रसंग में पड़ जाते हैं। प्रेम-प्रसंग में पड़ने को यानी किसी से प्यार करने को मैं सही या गलत नहीं कह रहा हूँ लेकिन इतना ज़रूर कह रहा हूँ कि यदि कोई छात्र किसी छात्रा के प्रेम प्रसंग में पड़े या फिर कोई छात्रा किसी छात्र के प्रेम प्रसंग में पड़े, तो वह जल्दबाजी में कोई फैसला ना लें। क्योंकि जल्दबाजी में लिए गए अक्सर फैसले जिंदगी के लिए सही साबित नहीं होते हैं। हमें ऐसे फैसले बहुत सोच-विचार कर लेने चाहिए। क्योंकि ऐसे में एक-दूसरे को अच्छे से जानना ज़रूरी होता है और एक-दूसरे पर विश्वास करना भी।

किसी से प्रेम होने पर सबसे पहले एक दूसरे के बारे में कुछ जरूरी बातें जान लेनी चाहिए कि उसकी सोच और विचारधारा हमसे मिलती है या नहीं। उसे क्या पसन्द है और क्या नहीं, उसका बैकग्राउंड कैसा है, उसे भविष्य में क्या बनना है, वो जीवन में क्या अच्छे काम करना चाहता है या चाहती है। यदि हम दोनों इस रिश्ते को आगे बढ़ाते हैं तो दोनों को कोई परेशानी तो नहीं होगी।

और आज तो ये भी हो सकता है कि आपको बीकेडी गोलीकांड जैसी किसी अनहोनी घटना का सामना करना पड़  जाए। मतलब ये इन हालत के चलते कि अपने प्रेम प्रसंग के में हमें समाज, परिवार और दोस्तों से सावधान रहने की जरूरत पड़े क्योकिं कोई हमारे रिश्ते को अच्छी नजर से देखता है तो कोई बुरी नजर से। इन सब के लिए तैयार रहें।

रिश्ता बनाते हुए ये बात भी जरूर जान लेनी चाहिए कि लड़के की कोई पहले तो गर्लफ्रैंड तो नहीं है या फिर लड़की का कोई पहले से बॉयफ्रेंड तो नहीं है और यदि है भी तो वो इस नए रिश्ते के समय पुराने रिश्ते में तो नहीं हैं? ऐसा होने से रिश्ता लम्बे समय तक भी कायम रह सकता है बशर्ते उन दोनों में से कोई एक दूसरे को धोखा न दे।

दोनों में से किसी को भी यदि कोई परेशानी होती है या फिर किसी मदद की जरूरत होती है तो वे या तो आपस में ही निपटा लें या सही व्यक्ति से मदद लें। यही न्याय, साम्य और सद्विवेक के सिद्धांत के अनुसार ठीक भी है। आगे सबकी अपनी-अपनी मर्जी। लेकिन आज तो यहां सबकी मर्जी भी नहीं चलती क्योंकि लगता है सरकार और समाज के हिसाब से भी चलना ज़रूरी हो गया है।

और ये भी जरूरी नहीं है कि छात्र-छात्रा आपस में प्रेमी-प्रेमिका बनकर रहें। वो दोनों अच्छे और सच्चे दोस्त बनकर भी रह सकते हैं क्योंकि मेरा मानना है कि दोस्ती का रिश्ता अटूट रिश्ता होता है और इस रिश्ते जैसा दुनिया में कोई रिश्ता नहीं। आज के समय में एक लड़का-लड़की भी आपस में सच्चे दोस्त होते हैं। और ये रिश्ता उम्र भर निभ सकता है।

यदि लड़का-लड़की आपस में बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रैंड हैं और किसी वजह से आपस में खटपट हो गई तो वे एक दूसरे से ब्रेकअप कर लेते हैं और जिंदगी में दोबारा मिलने का नाम नहीं लेते। लेकिन ऐसा रूढ़िवादी समाज को मंज़ूर नहीं होता और इसमें आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन मैं तब भी कहूंगा किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। ये सरासर गलत है।

अब हम सबको इस गोलीकांड से दूसरा सबक ये लेना चाहिए कि जबतक कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त नहीं होती, शिक्षण संस्थानों जैसे – स्कूल, कॉलेजेज में सुरक्षा के कड़े इंतजाम नहीं होते, तब तक, अगर आपके पास कोई और ऑप्शन नहीं है, तो अपना जीवन सुरक्षित रखने में ही फायदा है क्योंकि हमारी जान बचेगी तभी तो ये दुनिया दिख सकेगी और हम अपना मक़सद हासिल कर पाएंगे। रिश्ते तो बाद में भी बन सकते हैं। ऐसा मेरा मानना है।

मानता हूँ कि – “शिक्षा ही एकमात्र ऐसा हथियार है, जो दुनिया की कोई भी जंग जिता सकता है।” लेकिन जबतब बीकेडी जैसे शिक्षण-संस्थानों सुरक्षा के कड़े इंतजाम नहीं हो जाते तब तक वहाँ शिक्षा लेने ना जाने में ही हम सबकी भलाई है। कॉलेज में सुरक्षा के लिए कॉलेज के गेटों पर बॉचमेन और गार्डों की व्यवस्था की जा सकती है और आज के तकनीकी युग में मेटल डिटेक्टर गेट की भी व्यवस्था करायी जा सकती है। जिससे कॉलेज शिक्षा के द्वारा बुन्देलखंड के सतत विकास के लक्ष्यों को पा सकने में कामयाब हो सके।

इसलिए हर वक्त सतर्क रहिए और मेरी मानें तो थोड़ी सी अनहोनी की आशंका होने पर वहाँ से खिसक लीजिए, इसी में हम सबकी भलाई है। कॉलेजों में और समाज के सार्वजनिक स्थलों पर नारी-सुरक्षा और नागरिक-सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होना बहुत जरूरी हैं, नहीं तो समाज और देश अपराधियों के खौफ के कारण और पीछे चला जाएगा, जिसे फिर से विश्वगुरु की स्थिति में लाने के लिए बहुत समय लगेगा। इसलिए शासन और प्रशासन को वक्त रहते नागरिक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर देने चाहिए, जिससे द्वारा बीकेडी गोलीकाण्ड झाँसी जैसी कोई निंदनीय घटना न घट सके।

मूल चित्र : vipin jaiswal from Getty Images via Canva Pro (for representational purpose only)

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