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मैंने बालों को समेट कर रखना शुरू कर दिया। खुली चोटी भी गुथ गई। अकेले में खुद को देख कर इतराती पर दुनिया के सामने हिम्मत नहीं होती।
बहुत मुश्किल है खुद से प्यार कर पाना, जब पूरी दुनिया ने खुबसूरती और जिंदादिली का पैमाना सेट कर रखा हो। आप कितना भी चाहें, इसके चंगुल से बच नहीं पाएंगे। चलना, उठना, बैठना, खाना..उफ़ सबके नियम और खांचे हैं। आप थक कर ह्रास हो जाएंगे, परन्तु यह आपका पीछा नहीं छोड़ते।
एक न फिट हो पाने पर सिर्फ हीनता ही बच जाती है। चोर की तरफ अंदर कहीं छुपकर बैठ जाती है, दिमाग के एक कोने में। और वक्त-बेवक्त याद दिलाती है कि हम कम हैं और बाकी लोग बेहतर। जुगलबंदी चलती रहेगी, कारणों की पड़ताल आप करती रहेंगी कि सब ठीक ही तो हैं। और वो अंदर बैठा चोर उस स्थिति को संशय में मिलाता रहेगा और रोज आईने में स्वयं की काया रंग, लम्बाई, बाल, मुंहासे, नाक जाती, दुबले-मोटे के विषेशण में उलझ कर रह जाता है।
जब मैंने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, हम सब के लिए एक फ्रेशर्स पार्टी रखी गई थी। मेरी एक सिनीयर ने मेरे बाल को हाथों में लेकर कहा था, “खुले क्यों रखे ऐसे बाल? सीधे होते तो कोई बात थी।”
किशोरावस्था में शायद बेमतलब की बातें भी मन को घर कर लेती हैं। मैंने बालों को समेट कर रखना शुरू कर दिया। खुली चोटी भी गुथ गई। अकेले में खुद को देख कर इतराती पर दुनिया के सामने हिम्मत नहीं होती। कब यह झिझक हीन भावना में बदल गई पता ही नहीं चला। फिर जब पहली सैलेरी आई, सीधे पार्लर जाकर बाल सीधे करवा लिए।
बाल थे, धीरे-धीरे वापस अपने नैसर्गिक आकार में आ गए। पर खुद से मुहब्बत वहीं बचपन में रह गयी। मन करता ही नहीं था उनको संवारने और सजाने का। कोई त्योहार या पार्टी होती तो स्ट्रेटनर का सहारा लेती, और कोई तारीफ़ कर देता तो दबी सी मुस्कान चेहरे पर सज जाती, “मेरे बाल स्वाभाविक ही ऐसे क्यो नहीं”, टीस सी होती।
जब मेरा बेटा मेरी गोदी में आया और समय के साथ बढ़ना शुरू किया, उसके घुंघराले बाल को देख-देख मेरा दिल पसीजता गया। उसकी हंसी और चेहरे पर बिखरती लटों में मेरा प्यार उलझता गया। बात बुद्धि में समाई कि अगर मैं खुद को स्वीकार न करूं तो मेरे बेटे को किस मुंह से कहूंगी, “तुम, तुम्हारी आंखें, तुम्हारे बाल…सब बहुत खूबसूरत हैं और ईश्वर का वरदान हैं। इससे सिर्फ हमें प्रेम करना चाहिए।”
मैंने खुद को अपनाना शुरू किया। बालों को सालों मिले तिरस्कार की भरपाई शुरू की। सवाल और असमंजस में थी कि कैसे करूं? मदद ली। लोगों से पूछा। कई दिनों तक सफल-असफल कोशिशें की। मंजिल अभी भी दूर है, पर एक बात कहना चाहती थी कि अब अपने बालों पर टूट कर प्यार आता है।
धन्यवाद कहना चाहती हूं उन सब टिप्स और ट्रिक्स के लिए। आभार।
आप भी प्यार करे, बिना किसी शर्त और पैमाने के। बेइंतहा करें। शुरुआत केश, नाक, आंखेंं, मुस्कान से करेें।
मूल चित्र : Sujay_Govindraj from Getty Images Signature via Canva Pro
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