कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

मुझे सिर्फ सजावट का समान नहीं बनाना…

सोच को बदलने का समय आ गया है, कमजोर नहीं सशक्त बनने का समय आ गया है, सिर्फ परिवार नहीं उसका स्वाभिमान भी सब पर भारी है।

सोच को बदलने का समय आ गया है, कमजोर नहीं सशक्त बनने का समय आ गया है, सिर्फ परिवार नहीं उसका स्वाभिमान भी सब पर भारी है।

क्यों औरतें ही हर कदम पर परीक्षा देती रहें?
क्यों औरतें ही अपनी इच्छा को दबाती रहें?
क्यों औरतें ही दूसरे के लिए जीएं?
क्यों औरतें ही बात बात पर रोएं?

सोच को बदलने का समय आ गया है,
कमजोर नहीं सशक्त बनने का समय आ गया है,
औरतें को भी इज्ज़त प्यारी है,
सिर्फ परिवार नहीं उसका स्वाभिमान भी सब पर भारी है।

मानसिक रूप से मजबूत बनेगीं,
अपनी लड़ाई खुद लड़ेगीं।
किताबी ज्ञान के साथ सांसारिक ज्ञान भी ज़रूरी है,
इतिहास के पन्नों से प्रेरणा लेना भी ज़रूरी है,
रणभूमि में बेटे को पीठ पर बांधकर भी वह दुश्मनों से भिड़ी थी,
विद्वानों की सभा में बड़े बड़ों को ज्ञान से पछाड़ी थी।

घूंघट में छिपा चाँद नहीं रहना उन्हें,
सजावट का सामान नहीं बनना उन्हें,
औरतों को दोयम दर्जे का समझना छोड़ दो,
औरतों पर व्यंग्य कसना छोड़ दो,
औरत और मर्द की महत्ता समान है,
दोनों से ही परिवार और समाज की पहचान है।

मूल चित्र : ASphotowed from Getty images Pro via Canva Pro

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

14 Posts | 43,408 Views
All Categories