कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

मेरी अधूरी ख्वाहिशें

कासे कहूं अपनी ये बात, सांवरे ना हो सके मोरे आज, बंसी की धुन से जगाई जो आस, रह गई बस सांस में वो आस। कर दो इस जोगन की पूरी अरदास...

कासे कहूं अपनी ये बात, सांवरे ना हो सके मोरे आज, बंसी की धुन से जगाई जो आस, रह गई बस सांस में वो आस। कर दो इस जोगन की पूरी अरदास…

कैसे कहूं उस रात की बात,
रह गई बस इस आस पर वो बात,
प्रीत की रीत ना निभाए सखा,
रह गई इक अधूरी मेरी आस।

कासे कहूं अपनी ये बात,
सांवरे ना हो सके मोरे आज,
बंसी की धुन से जगाई जो आस,
रह गई बस सांस में वो आस।

कर दो इस जोगन की पूरी अरदास,
बन जाओ इस बैरन के तारणहार।

मूल चित्र : Purtika Dutt via Unsplash

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

80 Posts | 402,265 Views
All Categories