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मेरी अधूरी ख्वाहिशें

कासे कहूं अपनी ये बात, सांवरे ना हो सके मोरे आज, बंसी की धुन से जगाई जो आस, रह गई बस सांस में वो आस। कर दो इस जोगन की पूरी अरदास...

कासे कहूं अपनी ये बात, सांवरे ना हो सके मोरे आज, बंसी की धुन से जगाई जो आस, रह गई बस सांस में वो आस। कर दो इस जोगन की पूरी अरदास…

कैसे कहूं उस रात की बात,
रह गई बस इस आस पर वो बात,
प्रीत की रीत ना निभाए सखा,
रह गई इक अधूरी मेरी आस।

कासे कहूं अपनी ये बात,
सांवरे ना हो सके मोरे आज,
बंसी की धुन से जगाई जो आस,
रह गई बस सांस में वो आस।

कर दो इस जोगन की पूरी अरदास,
बन जाओ इस बैरन के तारणहार।

मूल चित्र : Purtika Dutt via Unsplash

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