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ज़िन्दगी को; करीब से आज जाना, क्या खूब अहसास है, जो कब से था अनजाना, यूंही खुशी का झलकना, और हवा का गुदगुदाना, ए दिल संभाल मुझे...
ज़िन्दगी को; करीब से आज जाना, क्या खूब अहसास है, जो कब से था अनजाना, यूंही खुशी का झलकना, और हवा का गुदगुदाना, ए दिल संभाल मुझे…
ए दिल मुझे संभाल, मुमकिन है, मेरा बहक जाना। आज मैं मैं नहीं, छीना है मैंने आज, मुझ ही से इक लम्हा, बरसों से था जो अधूरा, था इक खालीपन। आज मैंने भरा है थोड़ा, ए दिल मुझे संभाल, मुमकिन है मेरा बहक जाना।
सीखा औरों के लिए जीना, समझ के जिनको अपना, आज उन्हीं ने समझाया, ना कभी किसी पर करना भरोसा, हटा दूंगी ज़िन्दगी की किताब से ये पन्ना, भुला दूंगी जैसे कोई बुरा सपना, ए दिल मुझे संभाल, मुमकिन है मेरा बहक जाना।
ज़िन्दगी को; करीब से आज जाना, क्या खूब अहसास है, जो कब से था अनजाना, यूंही खुशी का झलकना, और हवा का गुदगुदाना, ए दिल मुझे संभाल, मुमकिन है मेरा बहक जाना।
रोक लू वक़्त को यहीं थोड़ा, आज हूं मैं ऊपर आसमां पर, और सारा जहां नीचे कहीं थमा, रास आ रहा बादलों पर चलना, दे आजादी जुल्फों को थोड़ा बिखरा, ना कोई बंदिश न कोई पहरा, ए दिल संभाल मुझे मुमकिन है मेरा बहक जाना।
मूल चित्र : DreamLens Production via Unsplash
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