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भले लोग कह रहे हों कि मिंत्रा लोगो कंट्रोवर्सी एक पब्लिसिटी स्टंट है। मेरा भी मानना है कि एक पल को मान लेते हैं कि यह यही है मगर...
भले लोग कह रहे हों कि मिंत्रा लोगो कंट्रोवर्सी एक पब्लिसिटी स्टंट है। मेरा भी मानना है कि एक पल को मान लेते हैं कि यह यही है मगर…
हम सब ऑनलाइन शॉपिंग से परिचित हैं और आय दिन हम सभी विभिन्न वेबसाइट और प्लेटफॉर्म पर शॉपिंग के लिए जाते हैं। उसी तरह की एक वेबसाइट है, जिसका नाम मिंत्रा है। यह एक ई-कॉमर्स कंपनी है, जहां से लोग कपड़ों की खरीददारी करते हैं।
भारत के बंगलुरू, कर्नाटक में इसका हेड क्वार्टर स्थित है। वर्ष 2007 में इसकी स्थापना हुई थी और वर्ष 2014 में फ्लिपकार्ट ने इसे खरीद लिया था। अमर नागराम इसके सीईओ हैं।
दरअसल मिंत्रा के लोगो को देखकर एक महिला ने आपत्ति जताई कि यह लोगो महिलाओं के लिए आपत्तिजनक है। इस महिला का नाम नाज़ पटेल है और वह एक एनजीओ से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने साल 2020 में दिसंबर महीने में Myntra के खिलाफ मुंबई साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई थी।
नाज़ ने इसके अलावा विभिन्न सोशल मीडिया और फोरम में मिंत्रा (Myntra) के लोगो के खिलाफ आवाज़ उठाई। मुंबई पुलिस के साइबर क्राइम विभाग की डीएसपी रश्मि करंदीकर ने आगे बताया कि जब हमने मिंत्रा के लोगो की जांच की तो पाया कि यह महिलाओं के लिए आपत्तिजनक है। उसके बाद कंपनी को लिखित मेल किया गया और कंपनी के अधिकारी मिलने आए। अधिकारियों ने लोगो बदलने के लिए एक महीने का वक्त मांगा और आज एक महीने बाद कंपनी का लोगो बदल भी गया है।
Myntra के लोगो बदलते ही हर तरफ Myntra ट्रेंड करने लगा। लोगों ने तरह तरह के मीम बनाने शुरू कर दिए। नेटिजेंस दो भागों में बंट गए। एक हिस्सा समर्थन करते दिखा, वहीं एक हिस्सा विरोध और मज़ाक करते दिखा। हालांकि उसके बाद अनेक वीडियो और मीम इंस्टाग्राम समेत ट्विटर पर चलने लगे। जैसे लोगों ने कहा कि अब दूरदर्शन का लोगो बदलना पड़ेगा क्योंकि वह सेक्स पोजिशन को दर्शा रहा है। टेस्ला को भी लोगों ने मज़ाक में उठा लिया और कहने लगे कि टेस्ला का लोगो पुरुष के प्राइवेट पार्ट का प्रतीक है। कुल मिलाकर दो गुटों में बंटे नेटिजेंस ने सोशल मीडिया पर Myntra को खूब एक्टिव रखा।
एक तरफ लोग कहते हैं, जैसे मन करे, वैसे कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि देखने वाले की नज़र वही देखना चाहती, जो वह देखना चाहता है। ऐसे में यह बात मिंत्रा के लोगो पर भी लागू होती है। अगर लोग उसे आपत्तिजनक तरीके से जोड़कर देखेंगे, तब वह आपत्तिजनक ही लगेगा। ऐसे तो हम रोज़ अनेक तरह के एड देखते हैं, जिसमें आने वाली पंचलाइन सबके जुबान पर चढ़ जाती है। जैसे घड़ी डिटर्जेंट की पंच लाइन “पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें।”, पेप्सोडेंट की पंच लाइन “रात भर ढिशुम ढिशुम”, डॉलर फिट है बॉस में अक्षय कुमार का कहना, “होम डिलीवरी भी देता हूं” आदि। क्या इन सभी पर भी केस हो सकता है क्योंकि इनकी पंच लाइन भड़काऊ है? इनके भी दो अर्थ निकाले जा सकते हैं?
हालांकि महिलाएं हमेशा से मार्केटिंग में इस्तेमाल होती आईं हैं। जैसे- लड़के का अपने शरीर में परफ्यूम लगाना और लड़की का चिपकते चले जाना। यह सब कंपनी द्वारा प्रचार का तरीका होता है, जिससे परफ्यूम को युवाओं के बीच चर्चा का विषय बनाया जाता है। ऐसे कई तरीके हैं, जिससे कंपनियां सुर्खियों में आने का मौका ढूंढती हैं।
हालांकि इस बार भी कंपनी को लेकर कुछ सवाल मन में हैं कि अगर Myntra इतनी बड़ी कंपनी है, तब उसने एक ही झटके में अपने लोगो को बदलने का फैसला क्यों कर डाला? वह अपने हक़ के लिए लड़ भी सकती थी, मगर उसने अपने घुटने क्यों टेक दिए? क्या सचमुच कंपनी के मन में कोई चोर बसा हुआ था और वह महिलाओं का मज़ाक बना रही थी? या उन्होंने ये साबित किया कि वे किसी के भी जज़बातों को ठेस नहीं पहुँचना चाहते थे?
यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जो गंभीरता से सोचने पर मन में आते हैं। कंपनी लोगो का मतलब भी समझा सकती थी कि उसके M का लोगो द्वारा क्या अर्थ निकल रहा है, मगर उसने ऐसा हरगिज़ नहीं किया। भले लोग कह रहे हो कि यह एक पब्लिसिटी स्टंट है। मेरा भी मानना है कि एक पल को मान लेते हैं कि यह सुर्खियों में आने के लिए किया गया है, मगर इससे लोगों की मानसिकता सबके सामने आ गई कि लोगों के मन का लोगो कैसा है?
मूल चित्र : Myntra Logo/Canva Pro
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