कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
याद है एक दिन भाभी ने अपने पसंद की सब्ज़ी बना दी थी और आपने उस दिन खाना नहीं खाया। भाभी के माफ़ी मांगने के बाद आपने खाना खाया।
सुबह सुबह रिद्धिमा के फ़ोन से नींद खुली मेरी, नई नई शादीशुदा बेटी का यूं बेवजह फ़ोन आना अनजानी आशंका से दिल भर उठा।
“हेलो, रिद्धिमा कैसी हो बेटा? इतनी सुबह फ़ोन किया सब ठीक है?”
“माँ! मुझे नहीं रहना यहाँ मुझे लें चलो यहाँ से।” रोते हुए रिद्धिमा की बात मेरे दिल बैठ सा गया।
“पूरी बात बता बेटा क्या बात है क्या दामाद जी ने कुछ कहा है?”
“माँ! यहाँ किसी को मेरी कोई बात पसंद नहीं आती। सब्ज़ी बनाती हूँ तो सब के मुँह बन जाते हैं। देवर कहते हैं तेल ज्यादा है। ससुर, ‘मसाला ज्यादा है’ कह प्लेट से सब्ज़ी निकाल देते हैं। गर्मी ज्यादा थी, तो मैंने कल सूट पहन लिया। इस बात पर सासू माँ ने मुझे बहुत सुनाया कहने लगीं ‘उनके घर की बहु सूट नहीं पहनती’, अब बताओं माँ मैं कैसे रहूँ यहाँ?”
“नहीं बेटा रोते नहीं, दामाद जी तो अच्छा व्यवहार करते है ना?”
“हां माँ वो तो बहुत प्यार करते हैं, लेकिन मेरे सास को वो भी अच्छा नहीं लगता। कहीं अकेले नहीं जाने देती हमें।”
“ओह, मुझे तो लगा ही था तेरी सास को देख कर। लेकिन तू चिंता मत कर, थोड़े दिनों की बात है फिर तो दामाद जी के साथ जाना ही है तुझे। बस कुछ दिन बेटा। जाने किसकी नज़र लग गई मेरी बेटी को।”
“भाभी की आह लग गई माँ।” रोती रिद्धिमा की बात पर मैं चौंक उठी।
“क्या बोला रिद्धिमा?”
“हां माँ, जो जो मेरी सास और ससुराल वाले मेरे साथ कर रहे हैं, एक समय पर आपने भी तो किया था। याद है एक दिन भाभी ने अपने पसंद की सब्ज़ी बना दी थी और आपने उस दिन खाना नहीं खाया। बार-बार भाभी के माफ़ी मांगने के बाद आपने खाना खाया। भाभी कितना रोई थी उस दिन।”
“भाभी और भाई के बीच कितने झगड़ों का कारण आप रहीं माँ।”
“एक निर्दोष लड़की को आपने बहुत दुःख दिया माँ। आज वही आपकी बेटी को भोगना पड़ रहा है।”
“क्या बकवास कर रही है रिद्धिमा?”
“हां माँ यही कर्मा है, जो लौट के आपके पास आया है।”
सन्न रह गई मैं। बेटी सच ही तो बोल रही थी। आज जैसा मेरी बेटी की सास मेरी बेटी के साथ व्यवहार कर रही थी कुछ वैसा या शायद उससे भी ज्यादा मैंने अपनी बहु के साथ किया था। मेरी ऑंखें खुल चुकी थी, लेकिन शायद अब देर हो चुकी थी।
थोड़ी देर सोच फ़ोन उठाया और बहु का नंबर लगाने लगी। शायद अभी इतनी भी देर नहीं हुई थी अपनी गलती सुधारने में।
मूल चित्र : cristo Oliveira from Getty Images via Canva Pro
read more...
Please enter your email address