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बरसों पहले एक नन्ही कली ने खिल कर महकाया मेरा आँगन, उसका चलना, उसका हँसना, उसकी बोली से चहका मेरा आँगन। उसके बचपन की हर हरकत में...
बरसों पहले एक नन्ही कली ने खिल कर महकाया मेरा आँगन, उसका चलना, उसका हँसना, उसकी बोली से चहका मेरा आँगन। उसके बचपन की हर हरकत में…
बरसों पहले एक नन्ही कली ने खिल कर महकाया मेरा आँगन, उसका चलना, उसका हँसना, उसकी बोली से चहका मेरा आँगन।
उसके बचपन की हर हरकत में, मैं जीती अपना बचपन। धीरे धीरे बड़ी हुई तो उसके, यौवन में दिखता अपना यौवन।
हर माँ के जीवन में एक दिन आता है ऐसा सुखद मोड़, उसके दिल का टुकड़ा उस दिन उसको जाता है छोड़।
पर ये सपना हर माँ, बेटी के बचपन में ही संजो लेती है। इस सपने को पूरा करने में दिन रात लगी वो रहती है।
मूल चित्र : Jonathan Borba via Unsplash
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...
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