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कल सपने में क्या गजब हुआ, दो गज का घूंघट निकाल, पनघट पर जा रही लड़कों की टोलियां, उनकी बदलती चाल देखकर, चुटकी ले रही, ताश खेलते बुढ़िया।
कल सपने में क्या गजब हुआ,उल्टी पुल्टी हो गई सब दुनिया,दुल्हन घोड़ी चढ़ रही,दूल्हा बन गया दुल्हनिया।
सासू जी हुक्का पी रही,ससुर जी बना रहे सेवईयां,पढ़ने जा रहे दो लड़कों कोछेड़ रही थी लड़कियां।
घर घर की कहानी बदल गई,दूल्हे की विदाई की प्रथा चल गई।
पहली रसोई की रस्म परदूल्हे मियां ने खाना बनाया,खाकर बोली सासू मांतुम्हारे पिता ने तुम्हें कुछ नहीं सिखाया।
दो गज का घूंघट निकाल,पनघट पर जा रही लड़कों की टोलियां,उनकी बदलती चाल देखकर,चुटकी ले रही, ताश खेलते बुढ़िया।
हर नर वधू के गर्भ सेजन्म ले रहा बस बेटा,लड़कियां लुप्त हो गई,बस रह गए बेटा ही बेटा।
आदमियों की दुनिया कीअब हर बात निराली थी,चुनर ओढ़ खाना बनाते,मूछे तक जला ली थी।
सब अधेड़ उम्र में मर रहे,लुप्त हो रही प्रजाति थी,कोई किसी को मारे पिटेनोचें खरोंचे; पूरी आज़ादी थी।
उनका त्राहि माम सुनकरनींद मेरी खुल गई,उठकर देखा मैंनेकहीं दुनिया सच में तो नहीं बदल गई।
मूल चित्र : Tejasvi Ganjoo via Unsplash
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