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आपके होते हुए आज की बेटी परेशान क्यूँ है?

आज कदम से कदम मिलाकर वो खड़ी है आपके साथ, हौसला बुलंद है, तालीम याफ्ता हैं। फिर भी हमारे समाज के बड़ों का नज़र बंद क्यों है?

आज कदम से कदम मिलाकर वो खड़ी है आपके साथ, हौसला बुलंद है, तालीम याफ्ता हैं। फिर भी हमारे समाज के बड़ों का नज़र बंद क्यों है?

आज की बेटी परेशान क्यों है?
जो रेहमत थी वो ज़ेहमत क्यों है?
वो दर्द में डूबी पेशेमाँ क्यों है?

माशरा इतना बेहस व बेजान क्यों है?
उनके आँखों के आंसू दिखते क्यों नहीं?
उनके हक से इंकार क्यों है, इंकार क्यों है?

बेटी कराहती कभी अज़मत को बचाने के लिए,
वाल्दैन के लिए, अपने लिए, अपनी हुरमत के लिए।
सहती है, बर्दाश्त करती है, खामोश हो जाती है,
ख़ामोशी उसकी बहुत कुछ कह जाती है।

आज कदम से कदम मिलाकर वो खड़ी है आपके साथ,
हौसला बुलंद है, तालीम याफ्ता हैं,
फिर भी हमारे समाज के बड़ों का नज़र बंद क्यों है?

आप खामोश, बेज़ुबान क्यों हैं?
उसकी अज़मत व बुलन्दी से इंकार क्यों है?

वो आपका हिस्सा है, आपकी आबरू है,
इससे इनकार क्यों है, वो बरसरे पैकार क्यों है?
आपके होते हुए वह परेशान क्यों है?

मूल चित्र : Qazi Ikram Ul Haq via Pexels

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