कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
आजकल की लड़कियों के बड़े नखरे हैं, यह नहीं सोचती कि अगर बड़े कुछ कह रहे हैं तो भले के लिए ही कह रहे हैं। इन्हें तो बस अपनी ज़िद प्यारी है।
आठवें माह में गर्भपात के दर्द को झेलकर लतिका हॉस्पिटल से घर आ गई थी। सास राधा जी बहू के लिए दलिया बना रही थी। मन ही मन बहुत दुखी थी क्योंकि जिस खुशी का वो इतने समय से इंतजार कर रहे थे वो उनके हाथ से रेत की तरह फिसल गई थी।
दलिया और गरम दूध बहू को पकड़ा कर राधा जी ने किचन की सफाई शुरू कर दी। इतने में डोरबेल बजी जाकर देखा तो राधा जी की पड़ोसन माया जी आई थी। माया जी को देखते ही राधा जी ने उन्हें गले लगा दिया और दिल का दर्द आंखों के रास्ते से बह निकला।
“बस कर राधा, मत रो, जो होना था हो चुका है। अब कोई क्या कर सकता है बस बहु ठीक है ना यही बहुत है कुछ भी हो सकता था आखिर सीढ़ियों से औंधे मुंह गिरी थी बहु।”
“हां माया सही कहती हो तुम, बहु सही सलामत है यह भी बहुत बड़ी बात है वरना उसकी हालत देखकर तो मैं डर ही गई थी कि न जाने क्या होगा।”
“मैंने तो तुमसे पहले ही कहा था की बहू का कमरा नीचे शिफ्ट करवा दो। पूरा दिन ऊपर नीचे होती रहती है किसी दिन पैर ना फिसल जाए पर तुम्हारी बहू मानी ही नहीं। इन आजकल की लड़कियों के बड़े नखरे हैं, यह नहीं सोचती कि अगर बड़े कुछ कह रहे हैं तो भले के लिए ही कह रहे हैं। इन्हें तो बस अपनी ज़िद प्यारी लगती है।” माया जी ने जोर देकर कहा।
“अरे नहीं माया यह तो नसीब का खेल है जो होना था वह हो चुका। खैर तुम बैठो मैं चाय बना कर लाती हूं।”
“अरे नहीं नहीं चाय वाय रहने दो वैसे भी अभी तो तुम्हें बहू की सेवा करनी है।” इतना कहकर माया जी अपने घर चली गई। माया जी को दरवाजे तक छोड़कर राधा जी सीधा अपनी बहू के पास गई। राधा जी को देख कर लतिका की आंखें छलक गई।
“लतिका बेटा बस करो अब मत रो यह समझ लो कि वह तेरे नसीब में ही नहीं था इसलिए तो तेरी गोद में आकर भी तुझसे दूर चला गया।”
“नहीं मम्मी जी यह नसीब कि नहीं मेरी गलती है आपने तो कहा था रूम नीचे शिफ्ट कर लो पर मुझे लगा कि सब का आना जाना लगा रहता है तो नीचे मैं आराम नहीं कर पाऊंगी इसलिए नीचे शिफ्ट नहीं हुई और देखो ना यह सब कुछ हो गया सब मेरी ही गलती है।”
“लतिका तुम माया की बातों पर ध्यान मत दो उसे तो आदत है जो मन में आया बोल देती है।”
“मुझे माफ कर दीजिए मम्मी जी, मैं जानती हूं आप कुछ बोल नहीं रही है पर मन ही मन आप मुझे कोस रही होंगी।”
“लतिका बेटा एक मां अपने बच्चे की दुश्मन कभी नहीं हो सकती है। आज मैं तुम्हें कुछ बताती हूं यह जो मेरा लाडला रमन है ना इसकी जन्म से पहले मैं भी एक बार गर्भपात का दर्द झेल चुकी हुं।”
“उस समय हमारी कॉलोनी ज्यादा बसी हुई नहीं थी रास्ते भी कच्चे थे और मुझे घूमने फिरने का बहुत शौक था पर तुम्हारी दादी सास कहती थीं कि रास्ते खराब है बहू बाहर ना जाओ और घर पर ही आंगन में टहला करो।
एक दिन मुझे बाहर जाने का बहुत शौक हुआ और जिद करके मैं तुम्हारे पापा जी के साथ घूमने चली गई। और जिसका डर था वही हुआ। उबड़-खाबड़ रास्ते होने की वजह से तुम्हारे पापा जी की स्कूटर का बैलेंस बिगड़ गया और हम गिर पड़े।
तुम्हारे पापा जी फटाफट मुझे हॉस्पिटल लेकर गए लेकिन हम अपने अजन्मे बच्चे को बचा नहीं पाए। जब मैं घर आई तो तुम्हारी ही तरह मैं भी अम्मा जी से बहुत डरी हुई थी। अम्माजी से सामना नहीं कर पा रही थी नजरें नहीं मिला पा रही थी। तब जानती हो उन्होंने मुझसे क्या कहा था?
उन्होंने कहा, ‘बहुरिया तू चिंता मत कर जो होना था सो हो गया यह तेरे नसीब में नहीं था इसीलिए तेरे पास आकर भी वापस दूर हो गया तेरी गलती नहीं थी इसको तेरे पास नहीं आना था इसलिए यह हादसा हो गया। तू अपने आप को कभी दोषी मत मानना। ईश्वर जल्दी तेरी गोद भरेंगे।’
मैं यह जानती हूं कि उस दिन अगर मैं जिद करके ना जाती तो हादसा नहीं होता कहीं ना कहीं इसमें मेरा कसूर था। परंतु पूरी उम्र गुजर गई पर अम्मा जी ने कभी भी इस बात का दोषी मुझे नहीं माना, चाहती तो वह भी मुझ पर दोषारोपण कर सकती थी लेकिन वो जानती थीं एक मां अपने बच्चे की दुश्मन कभी नहीं होती है।
अब अम्मा जी तो है नहीं यह बात मैं तुझे समझा रही हूं और अपनी अम्मा जी की तरह मैं भी जिंदगी में कभी तुझे इस हादसे का दोषी नहीं मानूंगी इसीलिए तू भी अपने आप को दोष मुक्त कर दे और अपना मन शांत रख। मन शांत होगा तो शरीर जल्दी ठीक होगा बेटा।”
लतिका अपनी सास को गले लगा लिया और ईश्वर का धन्यवाद करने लगी कि उसे मां जैसी सास मिली
मूल चित्र : Screenshot from Ministry of Health & Family Planning ad, YouTube
read more...
Please enter your email address