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क्या आपने अपनी इस बेटी को शादी करने के लिए पैदा किया था? क्यों मुझे हमेशा शादी के ताने सुनने पड़ते हैं? आज आपको ये जवाब देना ही होगा।
क्या आपने अपनी इस बेटी को शादी करने के लिए पैदा किया था? क्यों मुझे हमेशा शादी के ताने सुनने पड़ते हैं? आज आपको ये जवाब देना ही होगा।जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तो ऐसे कपड़े पहनोगी? जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तो घर से इतनी देर बाहर रहोगी? जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तो ससुराल के सामने ऐसे बर्ताव करोगी?
यह सब सुना हुआ लग रहा है ना? बचपन से ही केवल मुझे ही नहीं बल्कि हर लड़की को अपने परिवार के सदस्यों या रिश्तेदारों से, “जब तुम्हारी शादी हो जाएगी..” सुनाना पड़ता है।
कहने को तो यह सिर्फ़ मज़ाक़ में बोला जाता है लेकिन होती यह एक तरीके की धमकी है। इस लाइन का इस्तेमाल कर लड़कियों को बचपन से ‘अच्छा रवैया’ करने के लिए कहा जाता है।’अच्छा रवैया’ का मतलब वह जो सामाजिक तौर पे निश्चित किया गया है लड़कियों के लिए – शांत, सुशील और संस्कारी…और हाँ आज्ञाकारी।
एक दिन हम लोग मेरे पापा के दोस्त के घर खाने पर गए। उन्होंने ने अपनी बेटी को खाना परोसने को कहा। जब मेरी माँ ने टोका कि “वह क्यूँ परोसेगी, हम खुद ले लेंगे”, तो उन्होंने जवाब दिया कि “जब इसकी शादी हो जाएगी तब तो करना ही होगा, अभी से ही सीख लेना चाहिए!”
उनका अपनी पंद्रह साल की बेटी के लिए यह कहने मेरे दिमाग में रह गया। उसकी पढ़ाई करने की उम्र में क्यों उसे शादी की बात कही गयी। वहीं उनका 23 साल का बेटा था लेकिन उसे तो शादी के बारे में कुछ नहीं कहा गया। उसे तो शादी के बाद के लिए कुछ सीखने को नहीं कहा गया।
मानो सिर्फ़ लड़कियों को ही बचपन से शादी के ट्रेनिंग कैम्प में जीना पड़ता है। एक पंद्रह साल की लड़की के जीवन में शादी का महत्व शायद उतना ही हो जितना एक पंद्रह साल के लड़के के जीवन में माना जाएगा- ऐसा तो कुछ नहीं!
खाना बनाओ तो “शादी के बाद ससुराल को ख़ुश रखेगी” सज के तैयार हो तो “शादी के दिन भी ऐसे ही तैयार होगी” ये शादी की बात सिर्फ लड़कियाँ ही क्यों सुनें। खाना बनाना, खाना परोसना ये सब चीजें लड़कियों को ही क्यों बचपन से सीखने को कही जाती है?
लड़कों को तो कपड़े ढंग से पहन ने को या घर जल्दी आने को नहीं कहा जाता। क्या लड़कों को कभी कहा गया है कि “जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तो तुम्हें ऐसे करना होगा?”
इस प्रकार का लिंग भेद कई छोटी-छोटी चीजों में दिख जाता है। कहने को तो यह सिर्फ़ ऐसे ही बोल देने वाली बातें है या मजाक में कही बातें है पर ये शादी के ताने एक तरीक़े की बंदिश है जो हम सिर्फ़ लड़कियों पर ही लगाते हैं।
आज के प्रगतिशील समाज में जहां औरतें बड़े-बड़े काम कर रही हैं, ऊँचाइयाँ छू रही हैं। औरत का जीवन सिर्फ़ शादी के चारों तरफ़ सीमित नहीं है। उसके अपने सपने हैं, ख्वाहिशें हैं। वो काम या पढ़ाई को लेके हो या कुछ और। उनका काम, पढ़ाई, रूचियाँ भी उसके जीवन का महत्वपूर्ण भाग है। शादी उसके जीवन का उतना बड़ा ही हिंसा है जितना एक आदमी का हो।
जिस दिन एक बेटी का जन्म होता है उसे पराया धन मान लिया जाता है। फिर उससे हर चीज़ में सिर्फ़ अपनी शादी की बात सुनी पड़ती है जैसे कि उसके जीवन का एक मात्र लक्ष्य वही है।
क्या बेटी की शादी करने के लिए उसे पैदा किया जाता है? तो फिर क्यों उसे बचपन से शादी के ताने सुनने पड़ते है? क्या वह अपना जीवन सिर्फ़ शादी करने के हिसाब से जी सकती है?
तो अपनी बेटियों को यह कहना बंद कर दें “जब तुम्हारी शादी हो जाएगी” क्योंकि शादी के बाद या शादी के पहले वो एक आत्मनिर्भर इंसान है, और उसके जीवन में शादी कितनी महत्वपूर्ण है या नहीं वह समय आने पर सुनिश्चित करेगी।
मूल चित्र: vickie photography via Pexels
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