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अगर नीति ने अपने बेटे शिवम को गुड टच और बैड टच के बारे में ना सिखाया होता तो क्या शिवम भी नितिन की तरह यौन शोषण का शिकार होता रहता?
चेतावनी : इस पोस्ट में बाल यौन शोषण का विवरण है जो आपको डिस्टर्ब कर सकता है
“मुझे नहीं जाना छोटे दादू के घर”, आठ साल का शुभम चीखते हुए बोला और अपने कमरे में भाग गया।
नीति हैरान होकर उसे देखती रह गई। वह समझ ही नहीं पाई कि इतना शांत और समझदार बच्चा, इस तरह से क्यों व्यवहार कर रहा है?
नीति गुप्ता अपनी भरी पूरी गृहस्थी में व्यस्त रहती थी। घर में उसका पति नितिन, सास-ससुर, एक शादी लायक ननद, देवर-देवरानी, उनकी तीन साल की बेटी और नीति के दो बच्चे, बड़ा बेटा आठ साल का शिवम और छोटा दो साल का शुभ। एक समृद्ध, खुशहाल परिवार है गुप्ता परिवार, जिनका कपड़ों का अच्छा व्यापार चलता है।
गुप्ता परिवार के पड़ोस में ही, उनके दूर के रिश्तेदार महेश जी रहते हैं। उम्र कोई साठ वर्ष, मिलनसार और सम्मानित शिक्षक। उनका एक ही बेटा है जो सपरिवार विदेश में ही बस गया। महेश जी की पत्नी सुनंदा को गुज़रे दो साल हो गए। गुप्ता परिवार के उनके घर से अच्छे संबंध हैं। शिवम उन्हें छोटे दादू बोलता है और उनके साथ खूब खेलता है।
कुछ दिनों से नीति देख रही थी कि शिवम थोड़ा चुप- चुप रहता है। अब वह अपने छोटे दादू के घर भी नहीं जाना चाहता है। कोई ना कोई बहाना कर देता है।
एक दिन महेश नीति के घर आए। सबसे गपशप करके और चाय-नाश्ता करके जब जाने लगे तो शिवम से मुस्कुरा कर बोले, “बेटा, तुम तो घर आते ही नहीं हो अब। मैं बोर हो जाता हूँ। कभी-कभी मेरे साथ खेलने आ जाया करो।”
नीति मुस्कुरा कर बोली,” अरे चाचा जी, इसे तो घर में ही अच्छा लगने लगा है। आप चिंता ना करें मैं भेज दूँगी।” पर यह कहते समय, नीति शायद शिवम की आँखों का डर ना देख पाई।
महेश जी अपने घर चले गए।
दूसरे दिन रविवार था। कुछ मेहमान आने वाले थे तो सभी लोग तैयारियों में व्यस्त थे। मेहमानों के जाने के बाद सब थक कर चूर हो गए थे। शिवम, नीति के साथ खेलने की ज़िद करने लगा। नीति बोली, “बेटा मैं भी थक गई हूँ। तुम ऐसा करो अपने छोटे दादू के साथ जाकर खेलो। वह भी तुम्हें याद कर रहे थे।”
इसी बात पर शिवम नाराज होकर चिल्लाने व रोने लगा।
नीति को बहुत अजीब लगा। वह शिवम के पीछे-पीछे उसके कमरे में गई, देखा तो शिवम रो रहा था। नीति घबरा गई। उसने शिवम को तुरंत उठा कर अपनी गोद में बिठाया और प्यार से उसके आँसू पोंछकर, गले लगाया। कुछ देर बाद शिवम शांत हुआ।
नीति प्यार से बोली, “क्या बात है बेटा? मुझे बताओ।”
शिवम चुप ही रहा।
नीति ने फ़िर कहा, “बेटा आप तो कहते हो मम्मा आपकी बेस्ट फ्रेंड हैं। मम्मा को नहीं बताओगे? कोई भी परेशानी हो मम्मा को बताना चाहिए न?”
शिवम ने नीति को कसकर जकड़ लिया और काँपती आवाज में बोला, ” मम्मा, छोटे दादू बहुत गंदे हैं। एक बार जब मैं उनके घर गया था उन्होंने मुझसे पूछा, कॉमिक्स पढ़ोगे? मैने कहा, हाँ! उन्होंने एक मैगज़ीन दिखाई, उसमें कोई भी कपड़े नहीं पहने था। सारे पिक्चर्स न्यूड थे। जब मैंने उनसे कहा कि मुझे ये नहीं देखनी। तो उन्होंने मुझे खूब सारी चॉकलेट दीं। फ़िर वो मुझे ‘बैड टच’ करने लगे। मैं सारी चॉकलेट फेंककर, वहाँ से भाग आया। अगर मैं उनके पास गया तो वो फिर से मुझे बैड टच करेंगे।”
नीति गुस्से से काँपने लगी। उसने शुभम से कहा, “बेटा, तुमने मुझे बताया क्यों नहीं?”
“मुझे डर लग रहा था, मम्मा।” शिवम फिर सुबकने लगा।
नीति अपने आँसू रोकते हुए बोली, “बेटा, तुम घबराओ मत। अब तुम्हें कभी भी कोई परेशान नहीं करेगा और आइंदा कभी भी ऐसा हो, कोई भी, कुछ भी गलत करने की कोशिश करे, तो तुम तुरंत अपनी मम्मा को बताओगे।”
नीति ने तुरंत यह बात नितिन और घरवालों को बताई।
नितिन गुस्से में बोला, “अभी पुलिस को फोन करता हूं।”
उसके पिताजी ने कहा, “बेटा, जाने दो पुलिस में फोन करेंगे। फालतू की बातें होंगी। हम खुद ही महेश से निपट लेंगे।”
नितिन बोला, “नहीं पिताजी! मैंने निश्चय कर लिया है।” और उसने पुलिस को फोन कर दिया।
फिर नितिन ने शिवम के कमरे में जाकर उसे गले लगा लिया और कहा, “डरो मत बेटा, तुम्हारे मम्मा-पापा तुम्हारे साथ हैं। जब भी तुम किसी बात से परेशान हुआ करो, तो हमें जरूर बताया करो।”
शिवम के गले लगे-लगे नितिन सोचने लगा, “काश मैं अतीत में जा पाता और महेश अंकल ने जब मेरे साथ भी यही हरकत की थी उसी समय, मैं अपने माता-पिता को बता पाता तो आज मेरा बच्चा इस मानसिक यंत्रणा से नहीं गुज़र रहा होता। मुझे नीति को भी आगाह कर देना चाहिए था। मेरी अतीत की एक चुप्पी से न जाने कितने बच्चे इस अवसाद और क्रोध में पले-बढ़े होंगे। पर कोई नहीं जब आँख खुले तभी सवेरा।”
“मुझे माफ़ कर दो बेटा”, नितिन मन में बुदबुदाया।
महेश पर कड़ी कानूनी कार्यवाही हुई।
दोस्तों, हमें लगता है कि आज के समय में सिर्फ़ लड़कियाँ ही असुरक्षित हैं, लड़कों को कोई डर नहीं है। पर नहीं, वे भी बाल शोषण के शिकार होते हैं।
अधिकतर जान-पहचान वाले ही ये घिनौने कृत्य करते हैं और बच्चे डर, शर्म, या धमकी के कारण घर वालों को कुछ बता भी नहीं पाते।
मैं यह नहीं कहती कि सब पर शक करें, लेकिन सब पर एक नज़र ज़रूर रखें। आपके बच्चे और उनकी सुरक्षा आपकी जिम्मेदारी है। बच्चों को “गुड टच , “बैड टच” के बारे में समझाएँ। हमेशा उनकी परेशानियों को सुनें। यदि कभी बच्चे के व्यवहार में अचानक कोई परिवर्तन आता है तो उस पर तुरंत ध्यान दें।
‘जागरुकता के साथ सतर्कता भी ज़रूरी है।’
मेरे ब्लॉग पर अपनी कीमती राय ज़रूर दीजिए। धन्यवाद !
मूल चित्र : ridvan_celik from Getty Images Signature via Canva Pro
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