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किसी ने एक बार भी ये जानने की कोशिश भी नहीं करी कि क्या आरोपी पहले से शादीशुदा है? अगर वो शादीशुदा होता तो क्या होता?
आरोपी से शादी करने का मतलब मेरी तो समझ में नहीं आता है? अगर आरोपी पहले से शादीशुदा हो तो ऐसे में क्या होता?
हाल में ही एक घटना हुयी।
सन 2016 में एक 16 साल की नाबालिक बच्चे के साथ उसी का रिश्तेदार यौन शोषण करता है यानी रेप, बलात्कार और आज सन 2021 में दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के जज आरोपी से पूछते हैं। जी हां मैं फिर से बताना चाहती हूं, और आप भी फिर ध्यान से पढ़ें, आरोपी से पूछती है, “क्या तुम इस लड़की से शादी करोगे? तो ही तुम्हें बेल मिलेगी” क्यूंकि आरोपी एक सरकारी कर्मचारी है, गिरफ्तार होने पर जेल जाने पर उसकी नौकरी जा सकती है।
आश्चर्य की बात यह है कि किसी ने यह सोचा भी कैसे कि एक लड़की अपने बलात्कारी के साथ शादी कर लेगी?
उसके ऊपर से लड़की की राय जानने की कोशिश भी नहीं की? आरोपी को मान्यता देते हुए और उसकी नौकरी चले जाने की परेशानी को ज्यादा महत्व दिया गया। वाह!
किसी ने एक बार भी ये जानने की कोशिश भी नहीं करी कि क्या आरोपी पहले से शादीशुदा था और बस उसको शादी करने की पेशकश दे डाली। क्या बात है! तालियां बजनी चाहिए ऐसी मानसिकता के लिए। आरोपी से शादी करने का मतलब मेरी तो समझ में नहीं आता है? अगर आरोपी पहले से शादीशुदा हो तो ऐसे में क्या होता?
इसका तो मतलब क्या यह हुआ मैं किसी को शारिरिक, मानसिक या भौतिक रूप से हानि पहुंचा सकती हूं और ये उम्मीद करूं कि वो मुझे सजा ना दे, जेल ना भेजें, बल्कि पीड़ित के साथ मुझे कैसे व्यवहार करना चाहिए उसका हक भी मुझे दें और साथ-साथ एक बेहतरीन सुझाव भी। वाह: जी वाह!
जब तक हमारे समाज में लड़कियों को बराबरी का हक नहीं मिलेगा, लड़कियों की समाज में इज्ज़त नहीं होगी। जब तक समाज में लड़की, उसकी शादी और उसके साथ दिए जाने वाला दहेज मां-बाप पर बोझ रहेगा, तब तक चाहे कोई कोर्ट हो, पुलिस स्टेशन हो, ऑफिस, घर हो, गली हो, मोहल्ला हो, या हमारे रिश्ते हो, हमें शर्मसार करने वाले ऐसे किस्से सुनने को मिलते रहेंगे।
क्योंकि हर जगह काम करने वाले पुरुष या स्त्री, चाहे वो सुप्रीम कोर्ट का जज हो, पुलिस स्टेशन में बैठा कोई थानेदार, घर में हमारे रिश्तेदार, या मोहल्ले में मिलने वाले लोग, ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी। आते तो वो इसी मानसिकता के साथ ही हैं कि रेप होना लड़की के लिए कलंक है, उसी का कोई दोष रहा होगा, कपड़े, देर रात शराब, किसी न किसी के ऊपर तोहमत लगाना, ऐसे लोग तो मिलते ही रहेंगे किसी भी तरीके की डिग्री, पद, प्रतिष्ठा इस मानसिकता को खत्म करने में नाकाम नज़र आती है।
एक और इंसानियत और महिलाओं को शर्मसार करता हुआ अफसोसजनक वृत्तांत।
मूल चित्र : thainolpho via Canva Pro
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