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कोई दुनिया की महफिल में अकेला है, कोई अकेली तन्हाइयों में साथ ढूंढ लेता है। कभी फूलों की महक में जिंदगी मिलती थी, अब तो बस...
कोई दुनिया की महफिल में अकेला है, कोई अकेली तन्हाइयों में साथ ढूंढ लेता है। कभी फूलों की महक में जिंदगी मिलती थी, अब तो बस…
ख्वाब अजनबी से हो गए हैं,कोई दूर हो के पास हो गया है,कहीं पास होकर भी अपनापन नहीं है।
कभी इन फूलों में रंग दिखते थे,अब तो ज़िंदगी ही बेरंग सी हो गई है।
कहीं कोई अनजाना अपना हो गया है,कहीं अपने ही अनजान हो गये है।
कोई दुनिया की महफिल में अकेला है,कोई अकेली तन्हाइयों में साथ ढूंढ लेता है।
कभी फूलों की महक में जिंदगी मिलती थी,अब तो बस तन्हाइयों ने आ घेरा है।
ख्वाब अजनबी से हो गए हैं,शायद यही जीवन कहलाता है।
मूल चित्र : Joy Deb via Pexels
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