कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

कुछ बहके हुए से ख़्वाब…

जानी पहचानी आवाज़ में शोर, भैया बचाओ मुझे, भागती हुई बहन उसकी ओर आ रही थी, और आँखों के आँसुओं से मन के मैल की गठरी धुली जा रही थी।

जानी पहचानी आवाज़ में शोर, भैया बचाओ मुझे, भागती हुई बहन उसकी ओर आ रही थी, और आँखों के आँसुओं से मन के मैल की गठरी धुली जा रही थी।

एक लड़की से करता था वो एकतरफा प्यार,
करता कॉलेज के बाहर उसका घंटो इंतज़ार।
थी दीवानों सी हालात उसकी,
रहता उसकी एक झलक पाने को बेक़रार।

एक दिन हिम्मत कर किया प्यार का इज़हार,
लड़की की ना से हुआ दिल उसका तार-तार।
डूब गया दिल गम के अँधेरों में,
सुध-बुध गवाई अपनी मयकदों में।

दिल में उठने लगे कुछ बहके हुए से ख़्याल,
नहीं छोड़ूँगा उसे, जिसने किया मेरे प्रेम का तिरस्कार।
आज तो उसे पाकर ही रहूँगा,
ज़ोर ज़बरदस्ती से अपनाकर ही रहूँगा।

बहके कदम बढ़ चले उसके घर की ओर,
सुनाई दिया रास्ते में, जानी पहचानी आवाज़ में शोर।

भैया बचाओ मुझे, भागती हुई बहन उसकी ओर आ रही थी,
और आँखों के आँसुओं से मन के मैल की गठरी धुली जा रही थी।

मूल चित्र : Pixabay via Pexels

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Ruchi Mittal

Teacher by profession and a writer by hobby. read more...

3 Posts | 67,268 Views
All Categories