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कुदरत का अनमोल शाहकार औरत…

रंग बहुत हैं, वो हैं तो हम हैं। वो हमारे बूद बाघ की मालन, उसने मोहब्बतों से गुलिस्ताँ बनायी, वो मासूम उनकी अदाएं, वो मासूम दिलनशी होती हैं।

रंग बहुत हैं, वो हैं तो हम हैं। वो हमारे बूद बाघ की मालन, उसने मोहब्बतों से गुलिस्ताँ बनायी, वो मासूम उनकी अदाएं, वो मासूम दिलनशी होती हैं।

माँ – ज़िन्दगी की एसार औरत
बहन – मान, नोक-झोक, शान औरत
बेटी – इज़्ज़त, मोहब्बत, उल्फत का नाम औरत
बीवी – प्यार, परवाह, रूठना मनाना, जान औरत

रंग बहुत हैं, वो हैं तो हम हैं।
वो हमारे बूद बाघ की मालन,
उसने मोहब्बतों से गुलिस्ताँ बनायी,
वो मासूम उनकी अदाएं,
वो मासूम दिलनशी होती हैं।

नाज़नीन खताएं मासूम सी,
प्यार भी, इकरार भी, निसार भी,
तुम बताओ तुम,
कुदरत की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे,
तुम्हारी मान भी, जान भी, शान भी, इज़्ज़त व आमान भी
निस्वानियत की रंगों से रंगीन खूबसूरत जहां भी।

मूल चित्र : Farddin Protik via Pexels

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