कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
उसे बहुत गुस्सा आया पर वह खुद को शांत करके बोली, "बेटा आपने मुझसे पूछा भी नहीं और मुझे कुछ बताया भी नहीं, ये तो गलत बात है।"
उसे बहुत गुस्सा आया पर वह खुद को शांत करके बोली, “बेटा आपने मुझसे पूछा भी नहीं और मुझे कुछ बताया भी नहीं, ये तो गलत बात है।”
शालू सुबह से बहुत परेशान थी, यहाँ-वहाँ कुछ ढूँढ रही थी। पति रमेश ऑफिस के लिए तैयार हो रहे थे और सासू माँ मीना जी पूजा कर रही थीं। आठ साल की बेटी प्रिया स्कूल जा चुकी थी। सबको नाश्ता देकर शालू फिर ढूँढने में लग गई। मीना जी ने उसे भी नाश्ता करने को कहा।
शालू बोली, “अभी भूख नहीं है बाद में कर लूँगी।”
तब रमेश ने उससे पूछा, “क्या बात है सुबह से परेशान हो?”
शालू बोली, “कुछ समय से मेरे पर्स से थोड़े-थोड़े पैसे गायब हो रहे हैं। पहले मुझे लगा शायद मैं ही कहीं रख देती हूँ और भूल जाती हूँ। पर कल शाम को मैंने काम वाली बाई को देने के लिए सात सौ रुपए रखे थे, अभी जब देखे तो छह सौ रुपए ही थे। सौ रुपए पता नहीं कहाँ चले गए? मुझे अच्छी तरह याद है पर्स में ही रखे थे। खैर छोड़ो…अभी खाना बनाती हूँ, बाद में ढूँढूँगी।”
दोपहर में प्रिया स्कूल से आयी, उसे खाना देकर शालू फिर पैसे ढूँढने लगी।
ये देख प्रिया बोली, “मम्मा, क्या कर रही हो? पहले मेरे साथ खाना खा लो फिर कर लेना। वैसे क्या ढूँढ रही हो?”
शालू बोली, “अरे बेटा मेरे सौ रुपये नहीं मिल रहे, वही ढूँढ रही हूँ। सुबह से परेशान हो गई हूँ।”
प्रिया बोली, “वो तो सुबह मैंने लिए थे मम्मा और अपने पिगी बैंक में डाल दिए।”
शालू चकित और स्तब्ध रह गई। उसे बहुत गुस्सा आया पर अपने को शांत करके वह बोली, “बेटा आपने मुझसे पूछा भी नहीं और मुझे कुछ बताया भी नहीं, ये तो गलत बात है।”
“पर मम्मा! आप तो अपनी हो और आप के पैसे, मेरे पैसे हैं, इसलिए नहीं पूछा”, प्रिया ने कहा।
शालू ने अपने गुस्से को काबू में करते हुए पूछा, “मतलब?”
“मम्मा, उस दिन जब आपने पापा के पर्स से पैसे लिए थे और मैंने आपसे पापा कहा था कि पापा से तो पूछ लो, तो आप ही ने तो कहा था न?”
शालू दाँत भींचकर बोली, “क्या कहा था मैंने?”
प्रिया आँखें बड़ी करके बोली, “आप बोली थीं कि पापा अपने हैं और उनके पैसे आपके पैसे हैं। इसलिए आप उनके पैसे बिना पूछे ले सकती हो।”
अपनी बात मासूमियत से बोल कर प्रिया फिर खाना खाने में लग गई और शालू ग्लानि से भर उठी।
उसने मन में सोचा बच्चे जैसा देखते हैं वैसा ही करते हैं और माता-पिता के द्वारा किया हुआ और कहा हुआ हर काम बच्चों के लिए हमेशा सही ही होता है क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता को अपना आदर्श मानते हैं। इसलिए बच्चों के सामने बहुत सोच-समझ कर व्यवहार करना चाहिए।
शालू प्रिया से बोली, “सॉरी बेटा, मैंने गलती की थी। अब आगे से नहीं करूँगी और जब पापा आएँगे तो उनको भी सॉरी बोल दूँगी। आप भी आगे से ध्यान रखना किसी की भी चीज बिना पूछे नहीं लेते हैं, अपनों की भी नहीं।”
“ओके मम्मा।”
और दोनों माँ-बेटी मुस्कुरा दिए। यह शालू के लिए उसकी बेटी की सिखाई बहुत बड़ी सीख थी।
सखियों हमारे साथ भी कभी-कभी ऐसा होता है और हम “कुछ नहीं होता…चलता है” सोच कर इन बातों को नज़रअंदाज कर देते हैं पर हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि बच्चे हैं, अभी छोटे हैं उन्हें कुछ समझ नहीं आता।
बच्चे गहराई से हर चीज को देखते और समझते हैं और उनके मन में कोई भी बात चाहे अच्छी हो या बुरी, बहुत गहरे तक बैठ जाती है। हमेशा अपने बच्चों के सामने अच्छा और संतुलित व्यवहार करना चाहिए। जिससे वे भी बड़े होकर एक समझदार और जिम्मेदार इंसान बन सकें।
ऑथर ऋतू अग्रवाल और ऐसे अन्य ऐसे लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मूल चित्र : Still from Jhimma teaser, YouTube
read more...
Please enter your email address