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पढ़ना सिखाया जिसे, सिरहाने रखकर कहानियां सुनाती जिसे, गोदी में लिटाकर लोरी सुनाती जिसे, छोटी सी बिटिया मेरी, जाने कब बड़ी हो गई।
छोटी सी बिटिया मेरी,जाने कब बड़ी हो गई।नन्ही सी परी मेरी,जाने कब सयानी हो गई।
हाथों में लिए घुमाती थी जिसे,हल्की-फुल्की अपनी इशारों से हंसाती थी जिसे,उंगली पकड़ के चलना सिखाया जिसे,अक्षर-अक्षर जोड़कर पढ़ना सिखाया जिसे,सिरहाने रखकर कहानियां सुनाती जिसे,गोदी में लिटाकर लोरी सुनाती जिसे,छोटी सी बिटिया मेरी,जाने कब बड़ी हो गई।नन्ही सी परी मेरी,जाने कब सयानी हो गई।
गिरते-पड़ते पैरों पर खड़ा होना सीखा जिसने,आज अपने पैरों पर खड़ी हो गई,हंसते-हंसाते, गिरते-संभलते,मुझसे भी ऊंची हो गई,छोटी सी बिटिया मेरीजाने कब बड़ी हो गई।नन्ही सी परी मेरी,जाने कब सयानी हो गई।
अपने तोतले बोल और गानों से, दिल बहलाया जिसने,अपने नन्हे हाथों से मेरे बालों को सहलाया जिसने,दुपट्टा को साड़ी की तरह लहराया जिसने,देखते ही देखते, गुड़िया मेरी जवां हो गई,छोटी सी बिटिया मेरी,जाने कब बड़ी हो गई।नन्ही सी परी मेरी,जाने कब सयानी हो गई।
मूल चित्र : Qazi Ikram Ul Haq via Pexels
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