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पर है तो नारी ही वो…

यू फ़र्क़ नही करते हम सोच का, हमें वो सबसे प्यारी है, पर है तो नारी ही वो, जिसके वजूद भर से दिल भारी है। इस समाज की समझ क्यूं...

यू फ़र्क़ नही करते हम सोच का, हमें वो सबसे प्यारी है, पर है तो नारी ही वो, जिसके वजूद भर से दिल भारी है। इस समाज की समझ क्यूं…

एक कमरा है ख़ुशियों काँ बंद,
जाने कहा गुम उसकी चाबी है,
घर में रहे तो सब ठीक,
निकले जो बाहर तो हर चीज़ आधी है।

रोटी कपड़ा और मकान,
कहने को सब उसका है,
जब पूछा है पता घर का,
तो फिर नाम क्यूं इसका उसका है।

यू फ़र्क़ नही करते हम सोच का,
हमें वो सबसे प्यारी है,
पर है तो नारी ही वो,
जिसके वजूद भर से दिल भारी है।
इस समाज की समझ,
क्यूं जज़्बातों पर भारी है।

मूल चित्र : Still from the Hindi TV Series Shaurya Aur Anokhi Ki Kahaani

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