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आत्मसम्मान…

दुनिया ने इस मन को आज विद्रोही बनाया है, जब किसी अबला की इज्ज़त को सरेआम खींचा है, फट गए हैं कान किसी के करुण क्रंदन से...

दुनिया ने इस मन को आज विद्रोही बनाया है, जब किसी अबला की इज्ज़त को सरेआम खींचा है, फट गए हैं कान किसी के करुण क्रंदन से…

दुनिया ने इस मन को आज विद्रोही बनाया है,
जब किसी अबला की इज्ज़त को सरेआम खींचा है,
फट गए हैं कान किसी के करुण क्रंदन से,
जब किसी के खंजरों ने किसी आत्मा को नोंचा है।

है गर आत्म-सम्मान तो बेटों को सिखा दो,
किसी के पाक दामन को ना हाथ लगाओ,
जिसे देवी मान कर मंदिरों में पूजते हो,
उसी के रुप को तुम रातों में नोचते हो।

अरे शर्म करो मर्दानगी की बातों का चोला पहनने वालों,
कर सको गर तो नारी की इज्जत को बख्शो,
भीड़ में उसे सरेआम लुटने से बख्शो।

मूल चित्र : Still from the Short Film Devi, YouTube

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