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“मैंने खुद से लड़ना है सीखा, मैं क्यों बनूँ हमेशा सीता?” आज की नारी कमज़ोर और लचार नहीं है, उससे अपने लिए लड़ना आता है।
हाँ जी अब मैं तैयार हूँ, अब करती मैं पलटवार हूँ, हाँ जी अब मैं तैयार हूँ।
ना कोई अब मुझे मारेगा, और न कोई जला पायेगा, अब कोई मुझे दहेज के लिए न घर से बाहर निकलेगा।
अब इन सब से बदले के लिए, मैं बन गई एक हथियार हूँ। हाँ जी अब मैं तैयार हूँ।
ना कोई कोख में मारेगा मुझे, ना कोई बेशर्मी कर पायेगा, हाथ तोड़ दूंगी उसके, जो मुझको हाथ लगाएगा।
अब ऐसे राक्षसों के लिए, मैं काली का अवतार हूँ, हाँ जी अब मैं तैयार हूँ।
मैंने खुद से लड़ना है सीखा, मैं क्यों बनूँ हमेशा सीता, हर अग्निपरीक्षा क्यों पार करुँ, क्यों अपने ऊपर वार सहूँ?
अब इन सब बातों के, जवाब देने को तैयार हूँ। हाँ जी अब मैं तैयार हूँ, अब करती मैं पलटवार हूँ।
मूल चित्र: Via pixabay
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