कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

आज के दौर में किसी से मन की बात करना गुनाह हो गया है

एक तरह से आजकल ज्यादातर इंसान फिल्म जोकर का किरदार निभा रहा है, जो सिर्फ हमेशा हंसता मुस्कुराता नजर आता है।

एक तरह से आजकल ज्यादातर इंसान फिल्म जोकर का किरदार निभा रहा है, जो सिर्फ हमेशा हंसता मुस्कुराता नजर आता है।

आजकल अकेलापन महसूस हो और उस दौरान किसी से बात करने का मन हो तो वो भी एक गुनाह है, क्योंकि स्क्रीन शॉट के जमाने में हम अगर किसी से बात करते हैं, तो सामने वाले का कोई भरोसा नहीं है कि कब वो आप की कही हुई मन की बात को सार्वजनिक करके आपकी पूरी जिन्दगी बदल दे।

कहने को तो आज हमारे पास हजारों वर्चुअल फ्रेंड्स हैं लेकिन असल में जब हमारा मन उदास हो या किसी से अपने मन की बात सांझा करनी हो, तब हम खुद को ठीक उस ही तरह पाते हैं जिस तरह से जब कोई व्यक्ति एक नये शहर की भीड़ में गुम हो जाता है।

इसी लिए आज के समय में हम अंदर ही अंदर अपनी परेशानी के सवालों में उलझे से रहते हैं। क्यों कि आज इस स्क्रीन शॉट के जमाने में हम किसी पर विश्वास नहीं कर सकते हैं।

एक तरह से आजकल ज्यादातर इंसान फिल्म जोकर का किरदार निभा रहा है, जो सिर्फ हमेशा हंसता मुस्कुराता नजर आता है लेकिन असल में वह अंदर से बहुत ही टूटा, उदास, अकेला, गुमसुम सा होता है जो आज भी हर रोज उदासी के अंधेरे से जूझ रहा है।

मूल चित्र: via youtube

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

3 Posts | 6,048 Views
All Categories