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अगर आप भी ऐसे पेरेंट्स में से एक हैं जो टीनएजर्स की पेरेंटिंग को सही दिशा देना चाहते हैं तो ये टीनएजर पेरेंटिंग टिप्स आपके लिए है…
आपके हमेशा बक-बक करने वाले वाले बच्चे आपके सवालों का जवाब “हाँ” या “नहीं” में देने लगे हैं? हर जगह साथ जाने के लिए ज़िद करने वाले बच्चे अब आपके साथ नहीं जाना चाहते? क्योंकि अब वे टीनेजर्स हो गए हैं और इस उम्र में बच्चों का अपने माता-पिता से अलग होना स्वाभाविक और महत्वपूर्ण है।
एक अच्छी पेरेंटिंग का मतलब यह नहीं है कि आप ही हमेशा आपके बच्चे के बेस्ट फ्रैंड रहें। इसका मतलब है कि ज़रूरत आने पर आप उनके दोस्त, पेरेंट्स और टीचर बन सकें। वो आपसे अपने सीक्रेट्स शेयर कर सकें और साथ ही उन्हें एक लिमिट भी पता हो।
इस एज में अक्सर पेरेंट्स और बच्चों में आर्गुमेंट ज्यादा हो जाते हैं। टीनएजर्स को हर सलाह रोक-टोक लगने लगती है। उन्हें अपने दोस्तों के साथ, अपने रूम में वक़्त बिताना ज़्यादा अच्छा लगने लगता है।
ज्यादातर बच्चे अपने पेरेंट्स को हर बात का जवाब नहीं देते हैं क्योंकि इस समय तक उनमें चीजों को अपने स्वतंत्र नज़रिये से देखने की समझ पैदा हो जाती है। ऐसे में ये नाज़ुक रिश्ता कई बार तनाव का कारण बन जाता है। इसीलिए कई पेरेंट्स इस समस्या का समाधान खोजते हैं।
अगर आप भी ऐसे पेरेंट्स में से एक हैं जो टीनएजर्स की पेरेंटिंग को सही दिशा देना चाहते हैं तो इन टिप्स की मदद से अपने बच्चे के साथ के अच्छा रिलेशन बना सकते हैं।
टीनएजर्स आपसे तभी खुलकर बात करेंगे जब उनका विश्वास आपकी तरफ बढ़ेगा। अलग-अलग विषयों पर उनसे रोज़मर्रा की बात करें। पूछताछ न करें, लेकिन रुचि रखें।
अपने खुद के दिन के बारे में कुछ साझा करें; उनके बारे में पूछें, “आपका दिन कैसा बीता?” अगर वे बात नहीं करना चाह रहे तो ज़बरदस्ती करने के बजाय उनसे कहें, “अगर तुम अभी बात नहीं करना चाहते तो जब भी तुम्हारा मन हो मेरे पास आ सकते हो।”
आप अपने टीनेज की बातें बताये। ज़रुरी नहीं है कि हमेशा ‘सीरियस टॉक‘ ही करें। अपने बच्चे से उन चीजों के बारे में बात करें जिसमें उनकी रुचि है।
आपके बच्चे को एक अलग इंडिविजुअल की तरह देखें। जिसके अपने शौक हैं। ज़रूरी नहीं है कि वो अब भी आपकी पसंद के कपड़े पहनें, उसी तरह बाल सेट करें।
हो सकता है अब उनकी पसंद बिलकुल बदल जाए। ऐसे में उन्हें जज न करें और अपने फ़ैसले उन पर ना थोपें। हर समय अपनी निष्पक्षता बनाए रखने की कोशिश करें और अपने बच्चों को उन व्यक्तियों के रूप में देखें जो वे हैं।
अपने बच्चे के साथ समय बिताएं, लेकिन अपनी शर्तों पर नहीं। उन्हें हर जगह आपके साथ आने जाने के लिए ज़बरदस्ती ना करें। अगर फिल्म देख रहे हैं, तो उनकी पसंद जाने, और उन्हें फिल्म चुनने दें। अगली बार आप अपनी पसंद की चुन सकते हैं।
रोज कुछ वक़्त उनके लिए निकाले। ये चाहे एक गुडनाइट हग हो सकता है या डिनर के बाद कुछ मिनट की बात-चीत।वीकेंड्स पर आप साथ में टहलने के लिए जा सकते हैं। इस समय उन विषयों पर बात हल्के-हल्के बात कर सकते हैं जिन पर अक्सर आपके आर्गुमेंट होते हैं। इससे उन्हें लगेगा कि आप उनमें, उनकी दुनिया में रुचि ले रहे हैं। और यही उनके लिए एक पॉज़िटिव स्टेप होगा।
अपने टीनएजर को अपने दोस्त के रूप में देखें और जब भी आप किसी बात पर चर्चा करें तो उनकी राय का सम्मान करें। इससे यह भी पता चलता है कि आप उन पर ध्यान देते हैं और उन्हें महत्वपूर्ण मानते हैं। और जब आप उनकी इज़्ज़त करेंगे तभी वो आपको इज़्ज़त देंगे।
आप निश्चित रूप से अपने बच्चे को एक स्थिर, अच्छे करियर पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में एडमिशन लेने से लेकर हर चीज में सफल होते देखना चाहते हैं। लेकिन ये उनकी ज़िंदगी है, उन्हें भी तो अपने आपसे कुछ उम्मीदें हैं, उनकी स्वयं की कुछ इच्छाएं हैं तो उन्हें अपने पसंद का करने दें।
बेशक, आप अपनी एक्सपेक्टेशंस उनसे रखें लेकिन फाॅर्स ना करें। बल्कि सपोर्ट करें और उन्हें एक सही दिशा चुनने में मदद करें।
इस उम्र में थोड़ी आज़ादी जरुरी है लेकिन कई बार बच्चे इस आज़ादी का गलत इस्तेमाल करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में उनकी गतिविधियों के बारे में सवाल ज़रूर पूछना चाहिए। घर पर सीमाएं निर्धारित करना आवश्यक है, जैसे कि बाहर जाने का समय, सोने का समय, नियमों को तोड़ने की सजा आदि।
कई बार उन्हें लगेगा, कि आप उन पर शक कर रहे हैं लेकिन माता-पिता होने के नाते ये आपकी ज़िम्मेदारी है। अगर वे गलती करते हैं तो उन्हें गिल्टी महसूस होने दें। इससे उन्हें सही गलत में फ़र्क समझ आएगा।
एक अच्छा आहार, सामान्य नींद पैटर्न, कम स्क्रीन टाइम, डाउन-टाइम, क्रिएटिव टाइम, आपके बच्चे के टाइम टेबल में ज़रूर होना चाहिए। इससे वे खुश रहेंगे। और अगर वे खुश रहेंगे, खुद की अहमियत जानेंगे तो उनके बर्ताव में भी सकारात्मकता देखने को मिलेगी।
यदि आपका बच्चा कुछ आलोचना करता है, तो सुनिए और पूछिए कि वह आपसे क्या करने की उम्मीद करता है। इस बारे में समझदारी से बात करें, भावनात्मक रूप से नहीं। अपने टीनएजर को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने दें।
पहले बच्चे की बात को अच्छे से सुने, ऐसा न हो कि आप ज्यादा बोल जाए और जब बच्चे का नंबर आए तो आप उसे डांट कर चुप करा दें। जब आप बच्चे को मौका देंगी, तभी वो अपनी बात बिना संकोच या फिर डर के कह पाएगा। पॉजिटिव एटीट्यूड के साथ आप अपने गुस्से पर काबू रखें।
इसका मतलब यह नहीं है कि अपने बच्चे के दोस्तों की जांच करें। इसका मतलब है कि उन्हें जाने, वे कौन हैं, कहाँ रहते हैं। उनसे अपने बारे में जानकारी साझा करें और उनसे जानकारी पूछें। उनके पेरेंट्स के बारे में पूछे। उनके इंटरेस्ट जाने।
ध्यान रहे कि आप बहुत ज़्यादा पर्सनल सवाल न पूछें। आप चाहे तो अपने टीनेजर्स के दोस्तों को डिनर पर बुला सकते हैं। कई पेरेंट्स अपने बच्चों के दोस्तों से मिलते ही उनकी शिकायतों का ब्यौरा शुरू कर देते हैं। इससे आपके बच्चे को डिस्कम्फर्ट हो सकता है तो ऐसा करने से बचें।
इस उम्र में टीनेजर्स को इमोशनल सपोर्ट की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है। वे कई तरह के शारारिक और मानसिक बदलाव से गुज़र रहे होते हैं। माता-पिता का फ़र्ज़ होता है कि वे अपने बच्चों को इन हॉर्मोनल बदलावों के बारे में खुलकर बताएं।
हमेशा ध्यान रखें अपने बच्चे की किसी और बच्चे से तुलना न करें। इससे आप और आपके टीनएज में दूरियाँ बढ़ सकती है। साथ ही ये उन्हें बहुत दुःख पहुंचाता है। कभी किसी के सामने उन्हें निचा न दिखाएं। ऐसा करने से वह शर्म महसूस करतें हैं।
अपने बच्चों से हर तरह की बातें करें इससे वे आपसे खुलकर अपनी दिल की बात बोल सकेंगे। पहल आपको करनी होगी क्योंकि वे अभी एक कठिन समय से गुज़र रहे होते हैं।
इस उम्र में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। ऐसे में इनके बारे में अपने टीनएजर्स को सही शिक्षा आप ही दे सकते हैं। अगर आप उन्हें नहीं बताएंगे तो वे अपने दोस्तों से, फ़िल्मों से, इंटरनेट से पता करेंगे जो कि कई बार सही नहीं और पूर्ण नहीं होता है। इससे वे कई बार गलत कदम भी उठा सकते हैं।
तो टीनएजर्स पेरेंटिंग में सबसे ज़रूरी होता है कि आप उन्हें उनमे हो रहे बदलाव, उनकी फीलिंग्स, को समझने में उनकी मदद करें।
माता-पिता के रूप में, आपके बच्चे के बड़े होने बदलते व्यवहार से दुःख की भावना महसूस करना सामान्य है। आपको लगेगा कि अब वे आपको अपने निर्णय में शामिल नहीं करते हैं, वे आपसे कटे कटे रहते हैं। पर आप सही टीनएजर्स पेरेंटिंग टिप्स अपनाकर सुनिश्चित करें कि आप अपनी भावनाओं से स्वस्थ तरीके से निपटें। अपनी भावनाओं के चलते अपने बच्चे से न झगड़े। क्योंकि अब ज़रूरी नहीं है कि आपकी हर बात से आपके टीनेजर्स सहमत होंगे। अब उन्हें अपने तरीके से खुद को निखारने का मौका दे। अपनी ज़िंदगी का मज़ा लेने दे जब तक वे सुरक्षित और सही राह पर हैं।
अगर आपके पास कोई और टीनएजर्स पेरेंटिंग टिप्स हैं तो सबके साथ अपने अनुभव ज़रूर शेयर करें।
मूल चित्र : Screenshot of Secret Superstar movie
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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