कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

ज़िंदगी क्या हो गई!

ना जाने कब मेरे जन्म की आवाज़, कानों का दर्द बन गई, ना जाने कब बाबा के कंधों का बोझ बन गई, पता ना चला कब मैं भाई के लिए प्रश्न बन गई...

ना जाने कब मेरे जन्म की आवाज़, कानों का दर्द बन गई, ना जाने कब बाबा के कंधों का बोझ बन गई, पता ना चला कब मैं भाई के लिए प्रश्न बन गई…

ना जाने कब मेरे जन्म की आवाज़, कानों का दर्द बन गई,
ना जाने कब बाबा के कंधों का बोझ बन गई,
पता ना चला कब मैं भाई के लिए प्रश्न बन गई,
मेरी सुरक्षा उसके लिए परेशानी का सबब बन गई,
बड़े होते ही कुछ की आंखों की हवस बन गई,
इज्ज़त बचाते कब दूसरे के घर की इज्ज़त बन गई,
उसके पहनाए सिंदूर, चूड़ियां, मंगलसूत्र कब बेड़ियां बन गईं,
देखते देखते ना जाने कब रिश्तों में कैद हो गई,
एक बेटी से महिला बनते ना जाने ज़िंदगी क्या से क्या हो गई।

मूल चित्र : Still from the Short Film, (Suta) The Daughter, YouTube

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

80 Posts | 402,235 Views
All Categories