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"रूपेश ऐसा मौका बार-बार नहीं आता और घूमने बाद में भी जा सकते हैं। ऐसा मौका तुम्हें मिलता तो तुम छोड़ देते?" धैर्य खोते हुए सेजल बोली।
“रूपेश ऐसा मौका बार-बार नहीं आता और घूमने बाद में भी जा सकते हैं। ऐसा मौका तुम्हें मिलता तो तुम छोड़ देते?” धैर्य खोते हुए सेजल बोली।
बॉस ने कैबिन से बाहर आकर सेजल और उसके दो कुलीग को प्रमोशन के साथ तीन महीने अमेरिका में ट्रेनिंग की खबर सुनाई तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
सेजल ने रूपेश को फोन किया।
“रूपेश मेरा प्रमोशन हो गया। तीन महीने के लिए अमेरिका जाकर ट्रेनिंग लेनी है। मैं बहुत खुश हूं। इस प्रमोशन को पाने के लिए मैंनें कितनी मेहनत की थी। देखो हमारी शादी से पहले खुशखबरी मिली है। चलो कहीं बाहर चलकर सेलिब्रेट करते हैं।”
रूपेश ने कुछ देर सोचकर कहा, “नहीं, आज नहीं। मेरे सिर में दर्द है मैं घर जा रहा हूं।”
“अच्छा तो फिर…”, सेजल की पूरी बात सुने बिना रूपेश ने फोन काट दिया।
ऑफिस से आते हुए सेजल मिठाई और कचौड़ी ले आई। उसकी खुशी चेहरे से झलक रही थी।
“सुरभि, सेजल का प्रमोशन हो गया।”
“पापा आपको कैसे पता?”
“तेरी खुशी देखकर। मम्मी ही नहीं अपनी बेटी की आंखें मैं भी पढ़ लेता हूं”, सुरेंद्र बोले।
सुरभि हाथों में हलवे की कटोरी ले लाई। सेजल को खिलाते हुए उन्होंने कहा, “मुझे पता था तेरा प्रमोशन होगा ही। आखिर रात दिन एक कर दिया था तूने उस प्रोजेक्ट पर। अपने साथ रूपेश को ले आती। पार्टी करते।”
“मम्मी बोला था पर उसके सिर में दर्द था इसलिए जल्दी घर चला गया।”
“अच्छा अब फोन करके बुला ले।”
“करती हूं।”
“मम्मी रूपेश नहीं आ रहा। पापा, सन्डे को रूपेश के मम्मी-पापा आ रहे हैं।”
“यूं अचानक?”
“सुरभि जो मैं सोच रहा हूं कहीं वही बात न हो।”
“क्या सोच रहे हैं आप?” सेजल के प्रमोशन और तीन महीने के लिए अमेरिका जाने से वह खुश नहीं लगते।”
“ऐसा मत सोचिए वह नये जमाने के लोग हैं। उन्होंने खुद आगे से सेजल का हाथ मांग था। फिर रूपेश सेजल को बहुत प्यार करता है, उसकी तरक्की से खुश क्यों नहीं होगा?”
“काश तुम्हारी बात सच हो।”
रूपेश खुद तो सेजल को फोन नहीं करता बल्कि उसका फोन उठाना भी कम कर दिया। सेजल उसमें बदलाव देख रही थी पर कारण समझ नहीं पाई।
सन्डे को रूपेश मम्मी पापा के साथ आ गया। “सेजल तुम ये प्रमोशन छोड़ दो। एक महीने में तुम्हारी शादी होने वाली है फिर तुम अमेरिका कैसे जा पाओगी।” थोड़ी औपचारिकता निभाने के बाद रूपेश के पापा कीर्तिनाथ बोले।
“अंकल इस प्रमोशन के लिए मैंने बहुत मेहनत की है ऐसे कैसे छोड़ दूं?”
“बेटा प्रमोशन फिर हो जायेगी। तुम्हारे लिए अपने पति और ससुराल से ज्यादा अपनी तरक्की है क्या?” रूपेश की मम्मी रचना बोली।
“आंटी जी मेरा ये मतलब नहीं है पर मैं इतना बड़ा मौका नहीं छोड़ सकती।”
चाशनी में नाराजगी लपेटते हुए वह बोली, “ऑफिस में बॉस बनकर कहीं तुम घर में भी रूपेश को हुक्म देती रहो।”
“बहन जी घर और ऑफिस दो अलग जगह है और दोनों जगह सेजल की भूमिका भी अलग होगी। जो काम है वह तो करना पड़ेगा”, सुरभि बोली।
“रूपेश तुम अंकल, आंटी को समझाओ न।”
“सेजल तुम समझती नहीं, सब दोस्त मेरा मजाक उड़ायेंगे कि बीबी पति से ज्यादा कमाती है।”
“इससे क्या फर्क पड़ता है वैसे भी हमारे ऑफिस तो अलग हैं।”
“बहुत फर्क पड़ता है और शादी के बाद हमने जो घूमने का प्रोग्राम बनाया है उसका क्या?”
“अरे! वो क्यों छोड़ता। घर तो उसी की कमाई से चलेगा।”
“फिर शादी?”
“शादी की तारीख आगे कर देते।” बिना सोचे-समझे रचना बोली।
बात को संभालने की कोशिश करते हुए कीर्तिनाथ बोले, “भाई साहब आपको हमारी बात माननी पड़ेगी। हम नहीं चाहते कि शादी होते ही बहू बाहर चली जाये। रिश्तेदार क्या कहेंगे? हमारा मजाक बन जायेगा।”
“नहीं हम अपनी बेटी की मेहनत को बर्बाद नहीं करेंगे और ये सब बहाने मत बनाइये। सच तो ये है आप अपने बेटे से बड़े ओहदे पर अपनी बहू को नहीं देख सकते। फिर भी जो फैसला सेजल लेगी हमें मंजूर होगा।”
“नहीं अंकल मैं प्रमोशन नहीं छोडूंगी।”
“फिर ये शादी नहीं हो सकती। सोच लीजिए आपकी बेटी की सगाई टूट गई तो बहुत बदनामी होगी।”
“ये सगाई आप नहीं मैं तोड़ती हूं। मुझे ऐसे घर में शादी नहीं करनी जहाँ बहू के अरमानों को दबाया जाए। रूपेश अच्छा, हुआ तुम्हारी असलियत सामने आ गई। महिलाओं की आजादी और हक की बड़ी बड़ी बातें करते थे पर जब अपने पर बात आई तो सब भूल गये। तुम्हारी जिस खूबी से मैंने प्यार किया था वह खोखली निकली।”
“सोच लीजिए, जमाना बदला नहीं है। सगाई टूटने पर लड़की में ही दोष ढूंढा जाता है।”
“जमाने की चिंता आप मत करिये अंकल। बदलाव की शुरुआत तो करनी पड़ती है। मैं अपने सपनों को जमाने के डर और आपके अहम के लिए शादी के हवनकुंड में झुलसने नहीं दूंगी। आप जा सकते हैं।”
दोस्तों, लड़की की सगाई टूटने पर उसी में कमी निकाली जाती है। सगाई तोड़ने की धमकी देकर लड़के वाले अपनी अनुचित मांगे मनवाते रहते हैं और लड़की वाले बेटी की बदनामी के डर से ससुराल पक्ष की बातें मानते रहते हैं पर अब बदलाव जरूरी है क्योंकि लड़कियों को अपने सपनों को पूरा न करने वाले ससुराल को न बोलने का हक है।
मूल चित्र : Still from Mothers Aren’t Perfect/PoPxo, YouTube
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