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भीमा ज्वेलरी के ऐड ने एक ट्रांसवूमन की जीवन यात्रा को स्क्रीन पर जीवित कर दिया है! ये विज्ञापन ट्रांसजेंडर्स के सम्मान की ओर एक पहल है।
भीमा ज्वैलर्स की ये छोटी सी कोशिश आपके दिल को छू जाएगी। अभी हाल में कोच्चि बेस्ड इस ब्रांड ने अपने विज्ञापन के ज़रिए ट्रांसवूमन की कहानी कही है। ये ऐड सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
एक ट्रांस महिला भी हर लड़की की तरह अपने जीवन में प्यार और सम्मान चाहती है। हर आम औरत की तरह उसका भी एक सुखी परिवार का सपना होता है।
एक ट्रांस महिला वह होती है जो पुरुष के रूप में पैदा होती है लेकिन महिला के रूप में पहचानी जाती है और एक ट्रांस पुरुष वह होता है जो महिला के रूप में पैदा होता है लेकिन पुरुष के रूप में पहचाना जाता है। हम इन्हें ट्रांसजेंडर कहते हैं। आज भी उन्हें हमारे समाज में वो स्थान नहीं मिला है जिसके वो हक़दार हैं।
हम आज भी ट्रांस समाज को लेकर समाज में फैली रुढ़िवादिता की सीमा को खत्म नहीं कर पाए हैं।
इस विज्ञापन में एक ट्रांस महिला अपनी पुरानी तस्वीरों, अपने चेहरे के बालों को देखकर ये महसूस करने की कोशिश कर रही है कि ये उसकी असली पहचान नहीं है।
अपने पास रखे बॉक्स को खोलकर जब वो अपने परिवार द्वारा उपहार में दी गयी सोने की पायल देखती है तो खुश हो जाती है। उसके माता-पिता का प्यार और साथ पाकर वो भावुक हो उठती है।
धीरे-धीरे एक-एक कदम बढ़ाते हुए वो अपनी असली पहचान पाने की कोशिश कर रही है। उसके इस सफर में उसका परिवार उसके साथ मज़बूती से खड़ा है। उसका अपने बाल लम्बे करना, कान छिदवाना, नए कपड़े सिलवाना और दादी द्वारा बालों की छोटी बनाना, उसके परिवार का अपने लिए प्यार दिखाता है।
वो खुश है और फिर आता है वो दिन, शादी, जब गहने पहनकर वो एक दुल्हन की तरह तैयार होती है और ऐसे उसका नारीत्व की और बढ़ता सफर दिखाया गया है।
विज्ञापन की ऐसी पहल काबिले-तारीफ़ है क्योंकि आजकल विज्ञापनों के नाम पर कुछ भी बनाया जा रहा है। गहनों के विज्ञापन ज़्यादातर एक ही तरह की बात करते हैं। मुझे ऐसा कोई विज्ञापन याद नहीं आ रहा जिसने ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति समाज की रूढ़िवादिता को तोड़ने की इतनी अच्छी पहल की हो।
भीमा ज्वैलर्स ने ट्रांसवूमन की जीवन यात्रा को स्क्रीन पर जीवित कर दिया है। क़रीब 2 मिनट के इस विज्ञापन में एक ट्रांसवूमन की शारीरिक ही नहीं बल्कि भावनात्मक यात्रा से भी जुड़ जाते हैं। इस फिल्म में कोई डायलॉग नहीं है, this is ‘pure as love’ और प्यार महसूस करने की चीज़ ही तो है।
इस विज्ञापन में अभिनय करने वाली 21 साल की मीरा सिंघानिया असल ज़िंदगी में ट्रांसवूमन हैं।
भरत सिक्का के खूबसूरत निर्देशन में बने भीमा ज्वेलरी के इस ऐड में ट्रांसजेंडर्स के सफर का आईडिया देने वाली भीम ज्वैलर्स के ऑनलाइन ऑपरेशंस हेड और भीमा भट्टर परिवार की चौथी पीढ़ी के प्रमुख नव्या सुहास हैं। इनके इस आईडिया को देख कर एक बार फिर नयी उम्मीद जागी है कि नयी पीढ़ी पुरानी दकयानूसी सोच से दूर जा रही है।
एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति का सफर वैसे ही मुश्किल होता है, ऐसे में परिवार भी साथ ना हो तो वह टूट जाता है। ट्रांसजेंडर होना कोई गुनाह या अपराध नहीं है। जितना सामान्य स्त्री और पुरुष होना है उतना ही सामान्य थर्ड जेंडर भी है। उनका इतिहास भी उतना ही पुराना है जितना की पुरुष और महिला का। अपना इतिहास खंगालेंगे तो पता चल जाएगा।
अक्सर कई परिवार अपनी ट्रांसजेंडर संतान को घर से निकाल देते हैं। कई लोग भी इसी वजह से ज़िंदगी भर अपनी असली पहचान घरवालों को बता तक नहीं पाते। सोचिए, कितना मुश्किल होता होगा झूठी पहचान के पिंजरे में ताउम्र के लिए कैद हो जाना।
परिवार साथ छोड़ देता है और समाज उलाहने देता है। कई ट्रांसजेंडर लोगों को नौकरी नहीं मिलती, किसी को हेल्थ फैसिलिटी नहीं मिलती, किसी को घर नहीं मिलता, किसी को शिक्षा का अवसर नहीं मिलता और भी ना जाने क्या-क्या झेलना पड़ता है।
जब आपके शरीर का एक अंग भी ख़राब हो तो पूरा शरीर पर उसका असर पड़ता है। ट्रांसजेंडर भी हमारे समाज का वो अंग है जिसे हम अनदेखा करते जा रहे हैं, करते जा रहे हैं।
आपको ये पढ़ने में जैसा भी लगे, लेकिन इनके बिना हमारा समाज अधूरा है। और हम होते ही कौन हैं बोलने वाले कि ये ही अलग हैं? ऐसा क्या है हमारे में जो हम ही ‘नार्मल’ हैं?
आप जिन्हें ट्रैफिक सिग्नल पर किन्नर, त्योहारों पर गाने-बजाने वालों को हिजड़ा कहकर हीन दृष्टि से देखते हैं वो आपके आदमी, औरत की ही तरह आपके समाज का तीसरा स्तंभ है।
इंसानियत लोगों की सबसे बड़ी पहचान होनी चाहिए, उनकी सेक्शुएलिटी या काम करने का तरीका नहीं।
अगर अब तक आपने भीमा ज्वेलरी का ट्रांसजेंडर्स का सम्मान करने वाला ये ऐड नहीं देखा है तो ज़रूर देखिए और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को शेयर कीजिए।
मूल चित्र : Still from Bhima Ad, YouTube
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