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"बहुएं इतनी बुरी होती हैं तो बेटों की शादी क्यों करते हैं आप? वो भी झूठ बोलकर लड़कियों के परिवार वालों से, नालायक बेटों को लायक बता कर?"
“बहुएं इतनी बुरी होती हैं तो बेटों की शादी क्यों करते हैं आप? वो भी झूठ बोलकर लड़कियों के परिवार वालों से, नालायक बेटों को लायक बता कर?”
“हैलो! भाभी हम राजू के लिए लड़की देखने आ रहे हैं। आप भी तैयार रहना साथ चलने के लिए और हाँ भैया को व्हाट्सएप पर लड़की और लड़की के घर वालों का डिटेल भेज रही हूँ। तब तक एक दो दिन में बोल देना जरा परिवार का समाज में मान सम्मान इज्जत कैसा है सब कुछ पता कर लेंगे और हाँ सबसे जरूरी बात लड़की का चाल चलन भी पता कर लेंगे?” शकुंतला जी की ननद गीता ने फोन पर उनसे कहा।
“ठीक है जीजी आपके भैया को बोल दूँगी”, कहकर शकुंतला जी ने फोन रख दिया।
शकुंतला जी ने रात के खाने पर अपने पति राजेन्द्र जी और दोनो बेटों बड़ा बेटा अजय और छोटा अमन को अपनी ननद की कही बात बतायी।
उन लोगों ने भी हामी भरी और दोस्त यार और जानने वालों को फोन करके पता किया। सभी ने लड़की वालों की और लड़की की तारीफ की। ये सब कुछ होते हुए शकुंतला जी की बड़ी बहू रेणुका देख रही थी ।
तभी शकुंतला जी ने कहा, “अजय, अमन के लिए कोई रिश्ता आया कि नहीं अभी मेट्रीमोनियल साइट पर?”
“नहीं माँ, कुछ रिश्ते आये, लेकिन वो सब लड़कियां अमन को नहीं पसंद।”
“हे भगवान! इस सुंदरता के पुजारी को कब लड़की मिलेगी? भगवान जाने, ये कब घोड़ी चढ़ेगा।”
दरअसल, अमन 35 साल का हो चुका था लेकिन उसके लिए उसके पसंद की लड़कियाँ नहीं मिल रही थीं। पहले उसके आशिक मिजाज की वजह से शादी नहीं हो रही थी अब उम्र हो जाने पर लड़की नहीं मिल रही थी।
जो भी रिश्ता आता उसमें लड़की में ऐसे ऐसे शब्दों से नुक्स निकाले जाते की रेणुका का खून खौल उठता। कभी लड़की को मोटी भैंस, तो कभी काली माई, नाटी जैसे तमाम अपशब्द कहे जाते। जिसे सुनकर ही रेणुका गुस्से से भर जाती। उम्र अधिक होने के कारण अब अमन की उम्र लड़की वालों को 5 साल कम बतायी जाने लगी।
खैर, कुछ दिनों बाद गीता बुआ का बेटे, बेटी और पति संग आगमन हो गया। रेणुका दिनभर सभी के आवभगत में लगी रही, क्योंकि इस घर के लिए रेणुका बहु कम नौकरानी ज्यादा थी।
उसे घर के मामलों में बोलने और कोई राय रखने का बिल्कुल भी अधिकार नहीं था। कारण था शकुंतला जी का घर और दोनों बेटों पर उनका दबदबा। मौका मिलते बात-बात में बेटों को अपने माँ होने की दुहाई देना ना भूलती। इन सब चक्करों में रेणुका के जज्बात दब कर ही रह गए थे।
शाम के समय शकुंतला जी, गीता और घर पर आयी पड़ोस की शकुंतला जी की दो सहेलियां आपस में बैठकर अपनी अपनी बहुओं की बात कर रही थीं।
रेणुका चाय बनाते बनाते सब सुन रही थी क्योंकि उन लोगों की तेज आवाज रसोई तक आ रही थी।
शकुंतला जी की सहेली ने कहा, “गीता जीजी लड़की को देखने जाना तो अच्छे से ठोक बजा कर देख लेना। आजकल की लड़कियां बड़ी तेज और बेशर्म होती हैं। इनका कुछ ठीक नहीं होता। देखने में तो सीधी-साधी होती हैं, लेकिन उतनी ही मीठी छुरी होती हैं।”
“हाँ गीता जीजी, सबकी किस्मत शकुंतला की तरह नहीं होती जो रेणुका की तरह बहु मिले। अब तो बहुएँ शादी होते ही अलग हो जाती हैं। उनको पति के साथ बाहर का चस्का लग जाता है। सास-ससुर तो फूटी आंख नहीं सुहाते आजकल की लड़कियों को। कम से कम लड़की को दो साल अपने साथ ही रखना फिर बेटे के साथ भेजना। क्यों शकुंतला बहन?”
अब बारी शकुंतला जी की थी उन्होंने कहा, “अरे कहाँ? रेणुका कोई सीधी-साधी बहु नहीं। वो तो मेरे बेटे अजय ने लगाम कस कर रखी है, वरना उन महारानी के रंग ढंग और तेवर भी वही हैं, बिगडैल वाले, वो तो हमारा बेटा ही जोरू का गुलाम नहीं।”
“जानती हूं भाभी आप सब की तरह मैं भी इसी बात से चिंता में हूँ कि बहू के आते मेरा बेटा हाथ से ना निकल जाए। इसीलिए तो 6 साल से लड़की देख रही हूं और लड़कियों को छांट रही हूँ।”
अब रेणुका का सब्र जवाब दे चुका था। सबकी बहु पुराण पर राय सुन कर रेणुका ने चाय ले जाकर रखी कि तभी शकुंतला जी के सहेली ने व्यंग्य करते हुए कहा, “शक्ल पर तो बिल्कुल ना जाना इन लड़कियों के बस देखने में ही मासूम और सीधी होती है।”
अब गुस्से में रेणुका बोल पड़ी, “माफ कीजिएगा आंटी जी बहुएं इतनी ही बुरी होती हैं तो बेटों की शादी क्यों करते हैं लोग? वो भी झूठ बोलकर मासूम लड़कियों के परिवार वालों से, नालायक बेटों को लायक बता कर?
क्यों माँजी और बुआ जी सही कह रही हुँ ना मैं? आप लड़की का चरित्र और परिवार तो पता करा रहे हैं। क्या अपने और अपने बेटे के बारे में सब कुछ सच सच बताया है आपने? नहीं ना? क्योंकि आप लोग जानती हैं कि फिर आपके बेटो की शादियां कैसे होंगी? लड़का ख़राब है ये सच जानकर तो कोई माँ बाप अपनी बेटी की शादी करेगा नहीं।
आप सास लोगों की मंडली अपनी बहु के लिए बाहर के लोगों से शिकायत करते समय कहती हैं कि हम शादी करके फंस गए हैं, तू मत फंसना!
बहुए बुरी होती हैं, बेकार होती हैं, पति को गुलाम बनाकर रखती हैं, माँ बाप की सेवा करने पर बेटों को बात-बात पर टोकती हैं, सेवा करने से मना करती हैं? अगर ऐसा है तो फिर आप लोग अपने बेटों की शादी क्यों करते हैं, बहुएं बुरी होती हैं, ये जानने के बाद भी?
दअरसल, आप जैसी सोच वाले लोगो मे आत्मविश्वास की कमी होती है। तभी तो आपको अपनी ही परवरिश पर भरोसा नहीं होता। क्या आप लोगों की परवरिश इतनी कमजोर है जो आपके किये को आपका बेटा भूल जाये?
कमी आपके बेटों की और दोष बहुओं को? वाह क्या नियम बनाए आप लोगो ने लेकिन वही बेटा अगर कुछ अच्छा करे तो बहु को उसके लिए शाबाशी नहीं मिलती। बहु के हिस्से तो सिर्फ ताने और अपमान ही आते हैं।
फिर आप बहुओं से उम्मीद क्यों करती हैं कि वो सास ससुर की सेवा करेंगी? फिर तो कराइए आप सब अपने अपने बेटों से अपनी सेवा, फिर सब असलियत पता चल जाएगी कि कौन किसकी कितनी सेवा कर सकता है। दरअसल, जानते तो सब है कि बहु की अहमियत क्या है? लेकिन ये सच स्वीकार नहीं करना चाहते।
एक लड़की, एक बेटी, अपना घर छोड़कर आपके घर की बहु बनकर आती है, और आप उन्हें बुरी कहते हो ? क्या ये बेशर्म होने की निशानी नहीं?
एक बहु पूरा घर सम्भालती है आपका। आपकी एक-एक चीज का ध्यान रखती है, हर चीज गलत जगह से उठाकर, सही जगह रखती है, सम्पूर्ण जीवन आपके नाम तक कर देती है। आपको पोते या पोती की सौगात देकर, आपका घर रोशन करती है। आपका वंश और कुल आगे बढ़ाती है, लेकिन अगर कभी कुछ गलत कार्य करने से रोकती है. या गलत का विरोध करती है तो वो बेशर्म और संस्कारहीन हो जाती है?
अरे, अगर आप गलत काम करोगे तो आपको टोकेगी ही न कब तक गलत बर्दाश्त करेगी? इसमें बुरा क्या है?
अगर आपका नालायक़ बेटा शादी शुदा है, तो खुद को खुशकिस्मत समझिए, भाग्यवान समझिए क्योंकि फिर आपको एक लायक बहु मिली है जो सेवा करती है। खुद के बेटा-बेटी दिनभर कुछ भी बोलते रहें आपको बुरा नहीं लगता और बहू की कही सही बात भी बुरी लगती है?
और आप जिस बेटे की दुहाई दे रही हैं ना, वो बेटा भी आपकी बहु यानी अपनी पत्नी के साथ के बिना, कुछ भी नहीं कर सकता। जानती है क्यों क्योंकि उसको हम लड़कियों जितना सहना और करना सिखाया ही नहीं गया।
“और भूलिए मत कि आप सब भी कभी बहु थीं और आश्चर्य देखिये आप चारों ही अपनी सास से झगड़े कर के अलग हो गयी थीं। अब बताइये कि कौन खराब हुआ? जमाना? सास? या बहुएं? क्योंकि आप सब तो पुराने जमाने की बहुएं है ना?”
कहकर रेणुका वहाँ से चली गयी और सब उसका मुँह देखते रह गए क्योंकि सबको मिर्ची लगी तो तेज थी बस गुस्से में आवाज के साथ धुंआ नहीं निकल रहा था।
रेणुका जानती थी अब उसके पति से उसकी शिकायत होगी, सास के साथ साथ सभी कुछ दिनों तक उससे बात नही करेंगे ,ताने सुनाए जाएंगे लेकिन आज रेणुका को संतोष था कि उसने अपने मन की भड़ास निकल ली थीं। अब जो होगा देखा जाएगा।
प्रिय पाठकगण, उम्मीद करती हूँ कि मेरी ये रचना आप सब को पसंद आएगी। किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए क्षमाप्रार्थी हुँ। कहानी का सार सिर्फ इतना है कि अगर आप बहु को मान सम्मान और प्यार देते हैं तो बदले में आपको भी मान सम्मान और प्यार मिलेगा। लेकिन अधिकतर लोग बहु को दबा कर रखने में भरोसा रखते हैं जिसके लिए वो बार-बार बहु का अपमान करते हैं। अधिकतर बहुए खराब होती नहीं बल्कि खराब व्यवहार करके खराब बनाई जाती हैं।
मूल चित्र : Still from Tata Goldplus Ad, YouTube
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