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"यह मेरा घर है, मैं यही रहूंगी, कहीं नहीं जाऊंगी, समझी? तुम्हारे जीजा जी को भगा दूंगी, नहीं जाएंगे तो डंडे मार के भगाऊंगी।"
“यह मेरा घर है, मैं यही रहूंगी, कहीं नहीं जाऊंगी, समझी? तुम्हारे जीजा जी को भगा दूंगी, नहीं जाएंगे तो डंडे मार के भगाऊंगी।”
सुधा 7 साल की नटखट बच्ची थी, जो दिन भर कोई ना कोई शैतानी करती रहती। वह माता-पिता की इकलौती संतान थी। सुधा के पापा शहर में नौकरी करते थे और वह अपनी मां, दादा, दादी, ताऊ, ताई और ताऊ की बेटी सुमन के साथ गांव में रहती थी।
ताऊ का एक बेटा भी था जो सुधा के पापा के पास रहकर पढ़ाई कर रहा था। सुधा घर पर सबसे छोटी थी इसलिए सबकी दुलारी थी। बड़ी से बड़ी शैतानी कर जाती और दादी, ताई बचा लेतीं। पर उसकी सुमन दीदी से बिल्कुल नहीं बनती थी क्योंकि सुमन उसकी गलतियों पर उसे डांट देती। सुमन प्यार भी अपनी छोटी बहन को बहुत करती थी, पर उसे तंग करने के लिए कभी-कभी जानबूझकर भी डांट देती थी।
जब सुमन की शादी पक्की हुई तो दादी ने खुश होकर सुधा से कहा, “सुधा अब तेरी दीदी ससुराल चली जाएगी, तेरे जीजा जी आएंगे और तेरी दीदी को ले जाएंगे। अब तू उससे झगड़ा ना करना।”
सुधा तो खुश हो गई कि दीदी की शादी होगी, जीजा जी आएंगे और दीदी को लेकर जाएंगे। कोई डांटने वाला नहीं रहेगा।
सुधा को सुमन दीदी की चीजें बड़ी अच्छी लगती थीं। वह कभी कुछ उठा ले जाती, कभी कुछ खराब कर देती।
एक दिन सुधा, सुमन का मेकअप का सामान लेकर अपनी गुड़ियों का मेकअप कर रही थी और एक लिपस्टिक उससे टूट गई।
सुमन को जब पता चला सुधा पर बहुत गुस्सा हुई, तो सुधा रोते हुए बोली, “जीजा जी जल्दी से आएं और तुम्हें ले जाएं। फिर तुम वहीं अपने ससुराल में ही रहना यहां मत आना। कोई तुम्हें लेने भी नहीं आएगा।”
तो सुमन मुस्कुराकर उसे चिढ़ाने के लिए बोल दी, “यह मेरा घर है, मैं यही रहूंगी, कहीं नहीं जाऊंगी, समझी? तुम्हारे जीजा जी को भगा दूंगी, नहीं जाएंगे तो डंडे मार के भगाऊंगी।”
अक्सर इसी तरह बहस करते दोनों और सुमन उसे चिढ़ाने के लिए बोल देती, “तुम्हारे जीजा जी को डंडे मार के भगा दूंगी।”
सुधा छोटी सी बच्ची उसको लगा दीदी सच में जीजा जी को डंडे मार के भगा देंगी|
शादी के दिन सुधा सुबह से ही बच्चों के साथ धमाचौकड़ी मचाई थी। शाम के समय वह ताई के कमरे में गई। वहां ढेर सारी मिठाइयों के साथ एक थाल में मेहमानों के लिए लगा हुआ पान सजा कर रखा था।
सुधा ने मिठाई के साथ चुपके से एक पान भी उठा लिया और उसे खाने के लिए चुपचाप छत पर चली गई जिससे घर का कोई देखे ना। सुधा ने पान तो खा लिया शायद सुपारी के कारण उसे चक्कर आ गया। गर्मियां होने के कारण छत पर मेहमानों लिए लगे बिस्तर पर वह लेट गई और सो गई।
कुछ देर बाद बारात आ गई शादी के रीति रिवाज शुरू हो गए, सुधा की मां को सुधा नहीं दिख रही थी तो वह खोजने लगी, एक रिश्तेदार ने बताया सुधा ऊपर सो रही है। मां ने सोचा सुबह से धमा-चौकड़ी मचाई थी थक कर सो गई होगी और वह शादी के कामों में व्यस्त हो गई।
सुबह, मुहूर्त के कारण सुमन की विदाई जल्दी हो गई। सुमन ने विदाई के टाइम सुधा को पूछा तो उसकी चाची ने बताया कि वह सो रही है।
जब सुधा सो कर उठी तो उसे सबसे पहले याद आया कि कहीं दीदी ने जीजा जी को भगा तो नहीं दिया होगा?
भागते हुए नीचे आई, तो उसे कल की बजाए आज कम लोग दिखे। जीजा जी भी कहीं नहीं दिखे। सामने ही उसके मम्मी, ताई और दादी के पास बैठी रो रही थी। पापा, ताऊ और सब दु:खी लग रहे थे।
बस उसे लगा जीजा जी को दीदी ने भगा दिया। इसीलिए ताई, दादी रो रही है।
सुधा रूआंसी हो गई तेज आवाज में अपनी मम्मी से बोली, “जीजा जी भाग गए क्या? मम्मी, दीदी ने उन्हें डंडे से मार कर भगा दिया।” और रोने लगी।
यह सुनकर सब हंसने लगे। बेटी की विदाई से गमगीन हुए माहौल में कुछ पल के लिए ही सही पर चेहरों पर मुस्कान आ गई। जीजा जी को भी बाद में यह बात पता चली, वो सुधा और सुमन को आज भी इस बात के लिए छेड़ते हैं।
मूल चित्र : Photo by Vivek from Pexels
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