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कोविड वैक्सीन के बारे आजकल एक प्रश्न बार-बार सामने आ रहा है - “क्या मैं पीरियड्स के दौरान कोविड वैक्सीन ले सकती हूं?” यहाँ हैं कुछ जवाब।
कोविड वैक्सीन के बारे आजकल एक प्रश्न बार-बार सामने आ रहा है – “क्या मैं पीरियड्स के दौरान कोविड वैक्सीन ले सकती हूं?” यहाँ हैं कुछ जवाब।
नोट : ये लेख पहले यहां अंग्रेजी में पब्लिश हुआ और इसका हिंदी अनुवाद मृगया राय ने किया है
भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से जूझना एक कठिन कार्य साबित हो रहा है। दूसरी लहर के लिए राज्य द्वारा सावधानी ना बरतने की चूक के परिणामस्वरूप पूरे देश में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं जिसके मूख्य कारण है संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि, ऑक्सीजन सिलेंडर, ज़िंदगी बचाने वाली दवाओं, अस्पताल के बिस्तर की कमी।
भारत सरकार ने उन सभी के लिए टीका कार्यक्रम शुरू किया है जो 18+ हैं और जो लोग इससे लगवाना चाहते है। यह लोगों की सुरक्षा और कोविड के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस तरह के समय में, ज़ाहिर सी बात है की इंटरनेट कई वैध चिंताए लोग व्यक्त कर रहे है। लेकिन उसके साथ साथ इन चिंताओ की वजाह से बहुत सी गलत सूचनाएँ और फर्जी खबरें भी फैल रही हैं जिन्हें पहचानना और नष्ट करना आवश्यक है।
इन चिंताओं का एक खंड है महिलाओं के लिए कोविड शॉट्स।
पीरियड्स पर इन वैक्सीन का दीर्घावधि असर पे असत्यापित व्हाट्सएप फ़ॉर्वर्ड्ज़ और चर्चाएँ, लोगों में डर पैदा कर रहा है और हानिकारक रूढ़ियों और अंधविश्वास को बढ़ा रहा हैं।
ऐसा कहा नहीं जा सकता कि पिरीयड्ज़ पर कोविड वैक्सीन का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं हो सकता है।
साइड-इफेक्ट्स तो बहुत सारी आधुनिक दवाओं से होते ही हैं। बुख़ार को वैक्सीन का बहुत आम साइड इफ़ेक्ट माना जाता है। इसलिए चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार टीकाकरण के बाद चक्र में वृद्धि और / या भारी प्रवाह की बातें सामने आना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। लेकिन वे इस बात पर जोर देते हैं कि ये शरीर में सिर्फ़ एक अस्थायी परिवर्तन हैं जो वायरस के खिलाफ इम्यून सिस्टम के काम करने का संकेत माना जाता है।
रिपोर्टस के अनुसार ऐसा को भी डेटा नहीं है जो इन साइड इफ़ेक्ट को पिरीयड्ज़ के दौरान कोविड वैक्सीन लगवाने से जोड़े। न ही इसका मेन्स्ट्रूएशन या फ़र्टिलिटी पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव होने के बारे में कोई रिपोर्ट्स हैं।
अमेरिका में टीकाकरण अभियान शुरू होने के कुछ समय बाद, पीरियड्स के अधिक और भारी प्रवाह, चक्कर आना और थकान के कुछ अनुभव सामने आए थे। इससे यह चर्चा शुरू हुई कि पीरियड्स के दौरान जो वैक्सीन लगवाते है, उन पर इसका क्या असर होता है।
इलिनोइस विश्वविद्यालय में नृविज्ञान के एक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ केट क्लैंसी ने ट्विटर पर अपने अनुभव को साझा किया जिसपर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं। इसने एक चर्चा शुरू कर दी, जिसका उद्देश्य था कि वैक्सीन का महिलाओ के शरीर पर क्या असर होता है पर साथ ही यह चर्चा लोगों वैक्सीन न लगवाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करती है।
यह अध्ययन इसको शरीर में कुछ अस्थायी परिवर्तन की तरह मानता है, जो काफ़ी तौर पर पिरीयड्ज़ के मामलों में दर्ज किया गया है।
कुछ चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन के कुछ दिनों के भीतर पिरीयड्ज़ प्रवाह में वृद्धि के पीछे एक संभावित कारण गर्भाशय या एंडोमेट्रियम के अस्तर पर इसका प्रभाव हो सकता है।
एंडोमेट्रियम प्रतिरक्षा प्रणाली का एक हिस्सा है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के कई प्रकोष्ठों के माईक्रोबायोम को बनाए रखने में शामिल है। (यहाँ ‘माइक्रोबायोम क्या है‘ की एक सरल व्याख्या है।) ये वैक्सीन द्वारा प्रतिरक्षा बनने की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं, और साथी रक्तस्राव बढ़ने के पीछे का एक कारण हो सकता है। प्रक्रिया मनोग्रंथि है, और निश्चित रूप से केवल एक ‘कॉज़ एंड इफ़ेक्ट’ परिदृश्य नहीं है।
आस पास हो रहे परिवर्तनों के तनाव को भी एक संभावना मान जिम्मेदार ठहराया जाता सकता है। शुरुआत से ही इस महामारी ने हमारे मासिक धर्म चक्र पर प्रभाव डाला है।
जनवरी में प्रकाशित एक अध्ययन ने कोरोना वायरस महामारी में मासिक धर्म चक्र पर परिवर्तन होने वाले लोगों का प्रतिशत रेकर्ड किया। अध्ययन किए गए 177 रोगियों में से, 28% ने अपने चक्रों में परिवर्तन और 25% ने प्रवाह की मात्रा में परिवर्तन दर्ज किया। इस अध्ययन में जुड़े लोगों में से कुछ ने पीरियड्स के दौरान कोविड वैक्सीन लेने का अपना अनुभव भी दर्ज किया, और इनमें से किसी के भी पिरीयड्ज़ या चक्र का वैक्सीन से सह-सम्बंध की और इशारा नहीं करता है।
इन परिवर्तनों जिम्मेदार वैक्सीन को ठहराया जा सकता है या नहीं यह एक उचित सवाल है जिसका जवाब स्वास्थ्य विशेषज्ञ ही दे सकते है।
औरतें और अन्य व्यक्ति जो पिरीयड्ज़ से गुजरते हैं, उन्हें इन सवालों का जवाब और साथ ही इन परिवर्तनों से निपटने और उसी के लिए अपने शरीर को तैयार करने के तरीके के बारे में स्पष्टीकरण मिलना उनका हक़ है। लेकिन लोगों को इस स्थिति का गलत फायदा उठा, गलत दावे फैलाने भी नहीं दिया जा सकता है, इससे लोगों में पहले से ही महामारी द्वारा बनी घबड़ाहट और बढ़ेगी।
चारों ओर फैली गलत सूचनाएँ, यह दावा करने से लेकर कि वैक्सीन इन्फर्टिलिटी का कारण बन रही हैं, किसी को पीरियड्स के दौरान टीकाकरण नहीं करवाना चाहिए तक, या कैसे एक व्यक्ति से ‘शेड’ करके दूसरे व्यक्ति में प्रजनन समस्याओं का कारण हो सकती है वैक्सीन।
इनमें से किसी भी बात पर बिना जाने, समझे विश्वास नहीं करना चाहिए।
हम एक पितृसत्तात्मक समाज की गहराई में जीते हैं, जो महिलाओं की उर्वरता को एक अनुचित महत्व देता है, और इसे महिलाओं के पहचान का एकमात्र तर्क मानता है। नतीजतन, यह अफवाहें की टीकाकरण बांझपन का कारण बन सकता हैं, इस तरह के संकट में स्वास्थ्य देखभाल के महत्व को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, भले ही कोई ऐसा कोई डेटा न हो जो बताता है कि कोविड टीकाकरण प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।
इस प्रकार, ये निराधार और आधारहीन अफवाहें महिलाओं के वैक्सीन लेने में आढ़े आएँगी, जो कि उनके स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकती है।
पुरुषों के सम्मान में महिलाओं की भलाई पहले से ही समाज में नीचे दर्जे पर रखी जाती है, और ये अफ़वाए पितृसत्तात्मक वर्गों के दिमाग में नकारात्मक धारणाओं को और मजबूत करती हैं।
इसके अलावा, समाज पहले से ही पीरियड्स पर बातचीत से मुह मोड़ लेता है। अब इन अफवाहों के द्वारा, समाज के कठोर वर्गों को पिरीयड्ज़ और उससे जुड़े स्वास्थ्य को और अधिक कलंकित करने के लिए नई ‘चिकित्सा भाषा’ मिल जाएगी।
आज हमारे पास जो वैक्सीन उपलब्ध हैं, वे सीरम इंस्टीट्यूट के द्वारा होमग्रोन कोविशिल्ड और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गयी कोवाक्सिन है।
हालांकि, पीरियड्स में साइड-इफेक्ट्स पर कोई डेटा मौजूद नहीं है, कुछ रिपोर्ट कोवाक्सिन में ‘कम साइड-इफेक्ट्स’ का सुझाव देती हैं, जिससे यह आबादी का झुकाव इसकी तरफ ज्यादा है।
पीफाइजर वैक्सीन की भी सरकारी चैनलों के माध्यम से शुरू होने की उम्मीद है, और रूस से स्पुतनिक वी मई के अंत से उपलब्ध होसकता है। यह हमें चुनने के लिए वैक्सीनस की एक विस्तृत श्रृंखला देता है।
सरकार 1 मई से युवाओं के लिए वैक्सीन उपलब्ध करा रही है, इस के लिए हम बस यह कहना चाहेंगे कि पीरियड्स के दौरान, या उससे पहले, या उसके बाद कोविड वैक्सीन लेने की चिंता का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है – और ये स्थितियां बिल्कुल भी वैक्सीन की प्रभावकारिता पर कोई अंतर नहीं लाती और न ही वे प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं।
हमें इन फैलाए हुए डर को आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल लेने से खुद को नहीं रोकने देना चाहिए।
इसलिए साइड इफेक्ट को परिप्रेक्ष्य में रखें, लेकिन साथ ही गलत सूचना पर आँख मूँद के विश्वास ना करे। साथ ही उन लोगों को समझाए, वार्तालाप करे जो गलत जानकारी विश्वास कर, वैक्सीन लगवाने से झिझक रहे हों।
हां, आप पीरियड्स के दौरान कोविड वैक्सीन ले सकती हैं, और नहीं, इसका आपकी प्रजनन क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह वायरस के घातक परिणाम होते हैं, वैक्सीन के अधिक से अधिक सिर्फ़ दुष्प्रभाव होंगे।
डिस्क्लेमर : यहां दी गयी जानकारी एक्सपर्ट राय नहीं है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या एक एक्सपर्ट की राय लेना ना भूलें
मूल चित्र: kfuhlert on pixabay
A postgraduate student of Political Science at Presidency University, Kolkata. Describes herself as an intersectional feminist and an avid reader when she's not busy telling people about her cats. Adores walking around and exploring read more...
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