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माँ की नींद!

माँ के मुस्कुराते ही मुस्कुरा उठती हैं सूखे वृक्षों की सभी शाखाएं! माँ की नींद पर सदैव भारी पड़ती है पिता की अनुपस्थिती!

माँ के मुस्कुराते ही मुस्कुरा उठती हैं सूखे वृक्षों की सभी शाखाएं! माँ की नींद पर सदैव भारी पड़ती है पिता की अनुपस्थिती!

माँ की नींद में खलल न पड़े,
इस कारण चाँद
पूरी रात जागता है!

माँ के जगते ही,
वह जंभाई भर
निश्चिंत होकर
सोने चला जाता है!

माँ के सोने और जागने से
तय होती हैं बारियाँ,
ब्रह्मांड में विचरण करते सभी ग्रहों,
उल्काओं और नक्षत्रों के सोने, उठने, बैठने
खेलने, खाने और विलुप्त होने की!

माँ प्रसन्न हो तो
ग्रहों की चाल सीधी रहती है,
माँ की नाराज़गी भर से
काँपने लगती है पृथ्वी,
और चुपके से खिसक जाती है,
पैरों के नीचे से!

माँ के आँसू की एक बूंद गिरते ही
भारी हो जाते हैं ग्रह,
उन आँसुओं की सभी वजहों के!

माँ के मुस्कुराते ही मुस्कुरा उठती हैं
सूखे वृक्षों की सभी शाखाएं!
माँ की नींद पर सदैव भारी पड़ती है,
पिता की अनुपस्थिती!

मूल चित्र : Still from Mezan Cooking Oil Ad, YouTube

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