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एडीएचडी को खत्म नहीं किया जा सकता और एडीएचडी वाले बच्चे की मां बनना आसान नहीं है। यह बच्चे 'सामान्य व्यवहार' के हर नियम को तोड़ते हैं।
एडीएचडी को खत्म नहीं किया जा सकता और एडीएचडी वाले बच्चे की मां बनना आसान नहीं है। यह बच्चे ‘सामान्य व्यवहार’ के हर नियम को तोड़ते हैं।
मैं हमेशा से ही दो बच्चों की प्यारी मां बनना चाहती थी। पहली बार गर्भपात होने के बाद जब दूसरी बार अक्षत पेट में आया तो डॉक्टर के कहे अनुसार हमने पूरी सावधानियां बरतीं। 8 महीने पूरे होते ही अक्षत पैदा हो गया, मतलब वह प्रि-टर्म था और उसका वजन जन्म के समय कम था।
मैं अपना हर मिनट उसके साथ बिताती, यहां तक कि शाम का खाना बनाना या नहाना भी तभी होता जब वह सो जाता था। मुझे अब भी याद है कि मुझे उसकी कितनी चिंता थी जब बेटी होने के समय पर उसे दो हफ्ते के लिए छोड़ना पड़ा था।
हर बच्चा अपनी तरह का इकलौता और खास होता है। अक्षत में भी चीजों को समझने और सीखने की काबिलियत बहुत ज्यादा है। वो अपनी कक्षा में पढ़ाई लिखाई के मामले में हमेशा सबसे आगे, सबसे तेज बच्चों में रहा है। उसकी टीचर भी कहतीं थीं कि वह और बच्चों से आगे की समझ रखता है, सिलेबस से बाहर के प्रश्न पूछता है।
कक्षा में अपना काम सबसे पहले कर लेता था। मुझे और उसकी टीचरों को ऐसे तरीके निकालने पड़ते थे जिससे बाकी समय वह व्यस्त रहे और दूसरे बच्चों को डिस्टर्ब ना करे। इसके लिए टीचर की अनुमति से वह आर्ट का या ऑरिगेमी का काम किया करता था। जब कभी टीचर उसे कंट्रोल नहीं कर पाती तो उसे स्पेशल एजुकेटर के कमरे में भेज देती जिससे वह किसी तरह की अच्छी एक्टिविटी में व्यस्त रहे।
हम दुनिया की सबसे प्रदूषित जगहों में से एक दिल्ली एनसीआर में रहते हैं। इस वजह से और कुछ पारिवारिक इतिहास की वजह से अक्षत को 3 साल की उम्र में रिएक्टिव एयरवेज की प्रॉब्लम शुरू हुई। इसके लिए हमें लगभग हर दूसरे महीने बच्चों के डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता था।
जांच के समय उसे सीधे बैठे रहने में परेशानी होती थी और वह लगातार डॉक्टर की मेज पर रखी हुई चीजों को छूता रहता था ।वहीं पर उसकी हरकतों को देखकर डॉक्टर ने हमें सुझाव दिया कि हम किसी चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट के पास जाएं।
जब वह सात साल का था, हम आसपास के सबसे अच्छे बाल मनोवैज्ञानिक से मिले। हमें पता चला कि उसे हल्का एडीएचडी (ADHD- Attention Deficit Hyperactivity Disorder) या ध्यान का अभाव एवं अतिसक्रियता विकार है। डॉक्टर ने बताया कि अक्षत को दवाई की जरूरत नहीं है। सिर्फ चार पांच सेशन में यह समझ में आ गया कि इस कंडीशन के साथ हमें, अक्षत को और उसके टीचरों को किस तरह का व्यवहार करना चाहिए।
एडीएचडी को कभी खत्म नहीं किया जा सकता, बस उसे समझा जा सकता है, जिससे वह हमारी पारिवारिक और सामाजिक ज़िंदगी में दखल ना दे। डॉक्टर ने अक्षत, उसकी बहन और हम दोनों से अलग अलग और कभी साथ में, कभी हम सभी के साथ बातें करीं।
एडीएचडी वाले बच्चे की मां बनना आसान नहीं है। यह बच्चे ‘सामान्य व्यवहार’ के हर नियम को तोड़ते हैं। बच्चों को हर एक की हर बात समझ में आती है लेकिन अपनी जानकारी और समझ को दर्शाने में उन्हें दिक्कत होती है।
उसकी टीचरें कई बार कहती हैं कि “ऐसा लगता है जैसे अक्सर कुछ सुन ही नहीं रहा, कुछ काम नहीं कर रहा है, अपनी स्टेशनरी से खेल रहा है। पर जब मैं पास जाकर देखती हूं तो उसका काम पूरा होता है।”
कई बार उसका मूड भी अलग होता है, किताबें बस्ते में होती हैं मगर वह निकालता नहीं, लिखने में उसे बड़ा आलस है। अपना पाठ वह भले ही याद रखे मगर छोटे-छोटे निर्देश भूल जाता है। इधर-उधर रखी हुई चीजों को छूना छेड़ना उसकी फितरत है इसलिए चीजें टूटती और खराब भी होती रहती हैं।
जैसे जैसे मेरी बेटी बड़ी होती गई वह अक्षत की हरकतों से कुढ़ने लगी। भाई उसे परेशान करता, छेड़ता, डिस्टर्ब करता रहता था। लेकिन इस कोरोना महामारी के चलते इन दोनों को साथ में ज्यादा समय बिताने का मौका मिला और अब इन दोनों में काफी अच्छा तालमेल बन गया है।
आसपास के बदलते माहौल को लेकर अक्षत कूल और प्रैक्टिकल रहता है। दोनों बच्चे भावनात्मक रूप से मेरा बहुत साथ देते हैं। अब समय आ गया है कि समाज भी थोड़े अलग और स्पेशल बच्चों का भी साथ दे क्यूंकि हम सभी में किसी ना किसी रूप में कुछ ना कुछ डिसऑर्डर है।
इस महामारी के समय में मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर चर्चाएं होने लगी हैं, उन पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा है। यह काफी अच्छा संकेत है क्योंकि किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए उस समस्या को अच्छे से जानना ज्यादा जरूरी होता है। अगर आपके परिवारजनों में किसी भी तरह का मेन्टल डिसऑर्डर है तो उसे सही जगह पर सही सलाह जरूर लेनी चाहिए।
मूल चित्र : Still from Surf Excel/Are Your Children Ready For Life, YouTube
I am a civil society volunteer, Zero waste enthusiast, plant lover, traveler and juggling mother. read more...
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