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उम्र चाहे मेरी कुछ भी, बचपन का या पचप्पन का, शर्म का घूँघट मैं ही रख लेती हूँ, क्योंकि जनाब नारी हुँ मैं? सिर्फ इसलिए कि नारी हूँ मैं...
उम्र चाहे मेरी कुछ भी, बचपन का या पचप्पन का, शर्म का घूँघट मैं ही रख लेती हूँ, क्योंकि जनाब नारी हुँ मैं? सिर्फ इसलिए कि नारी हूँ मैं…
हर वक्त मुझ पर प्रश्न चिन्ह लगा रहता है, क्योंकि जनाब नारी हूँ मैं?
कुछ लोग मुँह से बोल कर प्रश्न पूछते है, तो कुछ लोग प्रश्न चिन्ह निगाहों से देखते हैं। क्योंकि जनाब नारी हूँ मैं।
घर की इज्ज़त, मान सम्मान, परवरिश, गृहस्थी सब की जिम्मेदारी मेरी है। कुछ गलत हुआ तो हजारों प्रश्नों से घेरी जाती हूं, लेकिन प्रसंशा की मैं अधिकारी नहीं। क्योंकि जनाब नारी हूँ मैं।
तकलीफ नहीं मुझे कि क्यों प्रश्न किये जाते मुझसे, तकलीफ तो ये है कि फिर क्यों सम्मान नहीं मिलता मुझे। जननी, शक्ति, अर्धांगिनी फिर भी हूँ मैं अस्तित्वहीन। क्योंकि जनाब नारी हूँ मैं?
पहनावे से नापी जाती हूं, कभी फटी जीन्स, कभी छोटी स्कर्ट, साड़ी में भी गन्दी नजरों से देखी जाती हूं। क्योंकि जनाब नारी हूँ मैं।
उम्र चाहे मेरी कुछ भी, बचपन का या पच्चपन का,शर्म का घूँघट मैं ही रख लेती हूँ। क्योंकि जनाब नारी हूँ मैं।
संस्कारों की दुहाई मुझे देने वालो, थोड़े संस्कार तो तुम भी रखो। नारी हूँ कोई वस्तु नहीं, झुकी निगाहें कभी तुम भी तो रखो।
क्योंकि जो तुम्हारे घरों में बसती है, वो भी तो जनाब एक नारी है। क्योंकि जनाब नारी हूँ मैं?
मूल चित्र: Still from movie Lipstick Under My Burkha
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