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पीरियड्स मिस होने के कारण मानसिक स्थिति ख़राब हो रही थी। दिमाग में केवल एक बात ही चलती रहती कि क्या हुआ है मुझे? कब होंगे पीरियड्स?
हर महीने पीरियड्स होने की एक सामान्य प्रक्रिया है। वहीं अगर पीरियड्स रुक जाएं, तब शरीर के संकेतों को समझना बहुत जरुरी हो जाता है कि शरीर में कोई बीमारी अपनी पैठ बना रही है या कोई अन्य बात है।
पीरियड्स पर खुलकर बात करने का माहौल बनने और लोगों को अपनी परेशानियों को साझा करने में काफी वक्त लग गया, मगर अब भी पीरियड्स से ही संबंधित ऐसे अनेक मुद्दे हैं, जिस पर बात करनी अभी बाकी है।
जबसे मेरे पीरियड्स होना शुरु हुए, तबसे वह हमेशा समय से आते थे। हालांकि उसमें एक-दो दिन की देरी हो जाया करती थी, क्योंकि शरीर के हार्मोन हमेशा एक जैसे नहीं होते। वहीं आसपास का माहौल भी हमेशा एक प्रकार का नहीं होता कि तय समय पर पीरियड्स शुरु हो जाए।
मेनारके अर्थात पीरियड्स की शुरुआत से लेकर मवर्तमान समय तक मेरे पीरियड्स बिल्कुल तय समय के आसपास हुए। मगर इस बार तय तारीख बीतने के बाद भी पीरियड्स नहीं हुए, जिस कारण मेरे अंदर बीमारी का डर कौंधने लगा।
चूँकि प्राकृतिक प्रक्रिया में देरी होना सही बात नहीं थी। अपने अत्यधिक सोचने के स्वभाव के कारण मेरी सेहत बिगड़ने लगी कि क्यों मेरे पीरियड्स आने में देरी हो रही थी।
पीरियड्स मिस होने के कारण मानसिक स्थिति ख़राब हो रही थी। दिमाग में केवल एक बात ही चलती रहती कि क्या हुआ है मुझे?
मेरे पीरियड्स देर होते रहे, इसलिए मैंने युट्युब आदि पर भी जाकर पीरियड्स जल्दी होने के उपाय देखने लगी ताकि मेरे पीरियड्स जल्दी हो जाएं।
वहां कमेंट सेक्शन को पढ़ने पर मुझे पता चला कि केवल मैं ही नहीं बल्कि मेरे जैसी अनेक लड़कियां वहां थीं, जिन्हें पीरियड्स नहीं हो रहा था और वह परेशान थीं।
सबके कमेंट्स को पढ़ने के बाद मुझे एहसास हुआ कि पीरियड्स के होने पर जब एक लड़की उदास होती है, उतनी ही उदास-परेशान एक लड़की पीरियड्स ना होने पर भी होती है।
भले लड़की अंतरिक रुप से बीमार हो, मगर पीरियड्स ना होने पर लोग लड़की के चरित्र पर सवाल उठाने लग जाते हैं कि कहीं उसने शादी से पहले सेक्स तो नहीं कर लिया और प्रेगनेंट तो नहीं हो गई। समाजिक ढ़ांचे और लोगों की मानसिकता के कारण लड़कियों को हर एक कदम पर परेशानी उठानी पड़ती है।
मेरे पीरियड्स नहीं हो रहे थे और चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा था। पीएमएस होने के कारण गुस्सा भी जल्दी आ रहा था। साथ ही पीरियड्स के डेट मिस होने के कारण मानसिक स्थिति भी ख़राब हो रही थी। कुछ भी करने का मन नहीं होता। हर समय दिमाग में केवल एक बात ही चलती रहती कि आखिर पीरियड्स कब होंगे? क्या हुआ है मुझे?
कुछ दोस्तों से बात की ताकि अच्छा महसूस हो, मगर दिमाग में अधकचरा ज्ञान भर गया कि पीरियड्स मिस होने पर लड़कियों को परेशानी होने लगती है।
हालांकि सच है कि शरीर में हार्मोन असंतुलित अगर हो तब, परेशानी उठानी पड़ती है मगर उसे जिस लहजे में परोसा गया, उसने मेरी परेशानी को और बढ़ा दिया।
मैं एक तरह से मेंटल ट्रामा में थी कि मुझे क्या हुआ है? मूड स्विंगस बहुत हो रहे थे और डॉक्टर के यहां नंबर आने में समय था क्योंकि तुरंत डॉक्टर के यहां जाने की इच्छा नहीं हो रही थी।
धीरे-धीरे मैंने अपनी लाइफ-स्टाइल को चेंज किया।
सुबह उठकर हेल्दी फूड खाना शुरु किया। अपने मील्स समय से लिए और साथ में योगा भी किया, जिसके बाद मेरे पीरियड्स आए।
उसके बाद मैंने डॉक्टर को दिखाया, तब पता चला कि शरीर में खून की कमी हो गई थी, जिस कारण पीरियड्स आने में देरी हो रही थी। हालांकि पीरियड्स के आने पर इतनी ज्यादा खुशी हुई कि मन मयूर हो गया।
खुद के पीरियड्स मिस होने पर एक बात मेरे समझ में आ गई कि लड़कियों को पीरियड्स शुरु होने पर उतनी परेशानियां नहीं उठानी पड़ती है, जितनी परेशानी पीरियड्स मिस होने पर होती हैं।
वहीं अगर कोई लड़की शादी-शुदा हो, तब उसके लिए परेशानी का सबब घट जाता है क्योंकि उसकी शादी हो गई है। मगर एक अविवाहित लड़की के पीरियड्स अगर नहीं आएं, तब मामला गंभीर हो जाता है।
लोगों की दकियानूसी सोच और अधूरे ज्ञान के कारण परेशानियां बड़ी लगने लगती है। हालांकि ऐसा होना नहीं चाहिए क्योंकि पीरियड्स अगर प्रेगनेंसी के कारण बंद हो, तब बात अलग है मगर किसी अन्य कारण से परेशानियां हो रही हैं, तब ध्यान देना बहुत जरुरी हो जाता है।
सोशल मीडिया और युट्युब पर पोस्ट पढ़ने और वीडियो देखने पर लोगों के कमेंट्स से भी यही पता चला कि पीरियड्स नहीं होना एक लड़की के लिए घोर चिंता का विषय बन जाता है। साथ में अगर आपके दोस्तों में लड़कों की संख्या ज्यादा हो, तब तो हाथों में बिन मांगे कैरेक्टर सर्टिफ़िकेट चमकने लगता है।
माहवारी अनेक कारणों से देर से आती है, जिसमें ये कुछ कारण हैं
केवल प्रेगनेंसी से पीरियड्स को जोड़ देना सरासर गलत है।
घंटों स्क्रिन पर समय बीताने से भी हार्मोन का स्तर गड़बड़ा जाता है क्योंकि दिमाग को शांति नहीं मिलती और कुछ ना कुछ बातें हमेशा जहन में चलती रहती है। इन सबसे बचने के लिए बेहतर है, खुद के लिए समय निकालना।
पीरियड्स अगर ना हो, तब भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक लड़की के लिए यह किसी मेंटल ट्रामा से कम नहीं होता है क्योंकि पीरियड्स होना, आपके स्त्री तत्व का प्रतीक होता है।
वहीं अगर हर महीने आने वाली चीज़, सही समय से ना आए तब परेशानी का बवंडर मंडराने लगता है। एक तरफ शरीर की चिंता होने लगती है, वहीं लोगों की बातों का डर। हालांकि कोई किसी से साझा नहीं करता मगर जब लोग जान जाते हैं, तब परेशानी बढ़ जाती है।
सबको यह समझना होगा कि पीरियड्स का रुकना केवल प्रेगनेंसी नहीं है इसलिए सबको एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए।
मूल चित्र: Still from Teaspoons of Sugar/Life Tak, YouTube
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