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छः महीने हुए थे शादी को नई-नई शादी में मनु के भी अरमान थे, लेकिन मम्मीजी ने उन्हें अकेले नहीं छोड़ा था, हर जगह साथ लग जाती।
फ़ोन की आवाज़ सुन मनु रसोई से भाग के रूम में गई। देखा तो अवि का नाम और उसका प्यारा सा चेहरा स्क्रीन पे था। अभी फ़ोन कट ही जाता की मनु ने कॉल उठा लिया।
“क्या कर रही है मेरी श्रीमती जी?” अवि की आवाज़ ही काफ़ी थी मनु के चेहरे पे एक बड़ी सी मुस्कान लाने के लिए।
“कुछ भी नहीं बस चाय बना रही थी अपने और मम्मीजी के लिए”, मनु ने कहा।
“अच्छा सुनो शाम को तैयार रहना कहीं बाहर चलते है डिनर बाहर ही लेंगे, मम्मी पापा का कुछ बना कर रेडी हो जाना।” अवि की बात सुन मनु ने हाँ कहा और फ़ोन रख दिया।
मनु को समझ नहीं आ रहा था की खुश हो की दुखी। छः महीने हुए थे शादी को लेकिन एक दो बार छोड़ दो तो, मम्मीजी ने उन्हें अकेले नहीं छोड़ा था हर जगह साथ लग जाती।
नई-नई शादी में मनु के भी अरमान थे पति के साथ मूवी देखे, बाहों में बाहें डाल घूमे, एक ही कोन से आइसक्रीम खाये। सारे अरमान धरे के धरे रह जाते। नई शादी थी तो संकोच से ना अवि को और ना ही मम्मीजी को कुछ कह पाती।
अवि का भी यही हाल था वो भी लिहाज और संकोच में रह जाता। आज भी यही हुआ जब मनु की सास को उनके प्लान का पता चला वो भी तैयार हो गई और मनु को कह अवि के पापा के लिए दलिया बनवा दिया, मन मसोस कर मनु और अवि रह गए।
एक दिन पापा जी ने बताया की उनकी बुआ आने वाली है, यानि की अवि की बुआ दादी जो की शादी में बीमार होनें के कारण नहीं आ पाई थी। अब मनु को देखने और आशीर्वाद देने आना चाहती थी।
जब से मम्मीजी ने सुना की उनकी बुआ सास आ रही है, तब से मुँह लटक गया उनका।
मनु ने अपनी सास को इस तरह देखा तो अवि से पूछा, “क्या बात है अवि? जब से मम्मीजी ने सुना है की बुआ दादी आ रही है वो चुप चुप हो गई हैं और थोड़ी परेशान भी दिख रही हैं।”
फिर अवि ने जो कहा वो सुन मनु मन ही मन मुस्कुरा दी और बेसब्री से बुआ दादी का इंतजार करने लगी।
जिस दिन बुआ दादी को आना था मनु ने उनका कमरा खूब अच्छे से सजाया। खाने में भी पापाजी से पूछ कर उनकी सारी पसंद की चीज़े बनाई क्यूंकि मम्मीजी तो कुछ बता ही नहीं रही थीं।
ट्रेन के टाइम पे अवि जा के बुआ दादी को ले आया। खूब अच्छे से तैयार हो मनु बुआ दादी के सामने गई लाल बॉर्डर की नारंगी सिफॉन की साड़ी, लम्बे बालों की चोटी में ढेरों मोगरे के गजरे, आँखों में काजल, होठों पे सुर्ख लाली, बड़ी सी लाल बिंदी और सिंदूर से भरी मांग।
दादी ने जब मनु का ऐसा रूप देखा तो देखती ही रह गईं। मनु जब पाँव छूने झुकी तो गले लगा लिया बुआ दादी ने। चुपके से अवि ने भी इशारे में बता दिया, “क़यामत लग रही हो।”
खूब प्यार से मनु ने दादी की सेवा की, खिलाया पिलाया। मनु के रूप और गुण देख दादी निहाल हो गई और खूब खूब आशीर्वाद दिया।
बुआ दादी को आये एक हफ्ता हो गया था। रविवार के दिन सब खाना खा के बैठे थे, दादी ने देखा मनु नहीं है तो उसके कमरे में चली गई।
“क्या कर रही हो बहु?” दादी की आवाज़ सुन मनु उठ के बैठ गई।
“कुछ नहीं बुआ दादी बस फ़ोन पे हमारे शादी के तस्वीरें देख रही थी।”
“अच्छा तो मुझे भी दिखा कहाँ कहाँ घूमे हो दोनों?”
“ठीक है दादी”, और मनु शादी और बाद के सारे पिक्चर्स दादी को दिखाने लगी।
पिक्चर्स देख दादी को थोड़ा अजीब लगा हर पिक्चर में मनु की सास रेखा भी दिख रही थी।
“अरे बहु ! एक बात तो बता ये तेरी सास क्यूँ है सब तस्वीरों में, क्या हर जगह साथ लग जाती है तुम दोनों के?” दादी की बात सुन मनु ने कुछ नहीं बोला सिर्फ सिर हाँ में हिला दिया।
बुआ दादी ने मन ही मन कुछ सोचा और बाहर जा अवि को कहा, “अरे अवि! आज तो संडे है छुट्टी का दिन बहु को घुमा ला। नई नई शादी हुई है अभी नहीं तो कब घूमने जाओगे और हाँ ख़बरदार जो दस बजे के पहले घर आया।”
‘अंधा क्या चाहे दो आँख’, अवि और मनु यही तो चाहते थे बस तुंरत अच्छे बच्चों की तरह तैयार होने लगे।
बुआ दादी की बात, सुन रेखा बेचैन हो उठी अब उनके साथ जा तो सकती नहीं थी क्यूंकि अपनी सास का डर जो था। ईधर दादी खूब समझ रही थी रेखा के चेहरे के भाव देख कर।
मनु को तैयार होता देख रेखा ने कहा, “बहु एक काम कर रात का खाना बना जा मुझसे नहीं होगा गर्मी बहुत है।”
अभी मनु कुछ जवाब देती तभी दादी की कड़कती आवाज़ आयी, “क्यूँ रेखा दो रोटी भी बनाना भूल गई क्या बहु के आने से? या मैं भारी लगने लगी तुझे? चल रसोई में मुझे चाय पिला अदरक वाली और साथ में पकोड़े भी। बच्चों को जाने दो घूमने।”
अपने सास के डर से रेखा जी रसोई में चली गई और मन ही मन मुस्कुराती अपनी दादी सास को धन्यवाद देती मनु अपने अवि के साथ बाइक पे निकल गई घूमने। आखिर सास की सास आने पर ही तो मनु को सांस आयी थी।
मनु और अवि के जाने के बाद बुआ दादी ने रेखा को अपने पास बिठाया और प्यार से समझाया “देख रेखा बहु, अवि अब सिर्फ तेरा बेटा नहीं मनु बहु का पति भी है। नई शादी के उनके भी कुछ अरमान और शौक हैं, इस तरह उनके बीच दखल देना ठीक नहीं।
आज वो लिहाज में चुप है कल को जवाब दे उससे पहले संभल जा। बहुत ही प्यारी और सुलझी हुई बहु मिली है उसकी क़द्र कर। अपनी इज़्ज़त अपने हाथ होती है आगे तू खुद समझदार है।”
इतना कह बुआ दादी तो अपने रूम में चली गई और पीछे से रेखा सोचती रह गई की सही समय पे उनकी सास ने उनके घर की बात बिगड़ने से बचा ली।
मूल चित्र: Dishtv via Youtube
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