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इस दौर में कहते हैं सब, हम लिखेंगे नई कहानियां, जन्म लूं मैं किसी भी सदी में, क्यों लगता है बिकती हैं बस मेरी जवानियां?
हां, हां छोटी हूं मैं, बड़े हो तुम। बाजारों में सरेआम बिकती हूं मैं, तुम ही बेचो और तुम ही खरीदार हो मेरे, रंग बिरंगी रोशनी में, एक अंधेरा हूं मैं।
हां छोटी हूं, मैं बड़े हो तुम।
मेरी आंखों का काजल, मेरे होठों की लाली, झुमका चूड़ियां या हो बाली, हर चीज की सरेआम बोली लगाते हो तुम।
हां मैं छोटी और बड़े हो तुम।
हो झगड़ा चाहे वह किसी भी बात पर, राजनीति का हो कोई दंगल, या धर्म पर तुम्हारी कोई बहस, सिखाना हो तुम्हें कभी मुझे कोई भी सबक, बेझिझक तार-तार कर सकते हो कभी भी तुम मेरी इज्जत।
हां छोटी हूं मैं और बड़े हो तुम।
हो अगर एक भी जुर्म हो तुम्हारे ऊपर, तो चीख पुकार मचाते हो तुम, चाहते हो तब मैं साथ दूँ तुम्हारा, जब मैं चीखूँ तब पितृसत्तात्मक सोच के पीछे छुप जाते हो तुम।
हां छोटी हूं मैं, बड़े हो तुम।
सर झुकाए जब पीछे-पीछे चलती हूं मैं, तब हूं संस्कारी खूबसूरत और हसीन मै, मांगू जब जीने के समान अधिकार तो, तो मुंहफट, मुंहज़ोर और बेबाक हूं मैं।
इस दौर में कहते हैं सब, हम लिखेंगे नई कहानियां, जन्म लूं मैं किसी भी सदी में बिकती है बस मेरी जवानियां, दाम लगता है कभी मेरा गुमनाम अंधेरी गलियों में, लगाते हो कभी दाम मेरा, सजाकर मेहंदी मेरी हथेलियों में।
4 साल की हूं या 23 की या 55 क्या फर्क पड़ता हैं तुम्हें? मर्द होने का अहंकार शायद मुझे कुचलने से ही मिलता है तुम्हें। खुद को समझो तुम खुदा, शैतान भी तुम्हें देखकर नजर झुका लेगा, इतना खौफनाक किरदार है तेरा।
मां, बेटी, बहन ,बीवी या दोस्त, नाम के रिश्ते हैं बस सोच तुम्हारी है वही सदियों पुरानी सड़ी गली, सदियों से माफ कर दिया रही हूं मैं तुम्हें, हां फिर भी लगे तुम्हें, छोटी हूं मैं बड़े हो तुम?
मूल चित्र: Dark Skin Short Film/Content Ka Keeda, YouTube(for representational purpose only)
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