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“ये देखो शर्मा जी ने अपने फ्लेट को एक अकेली लड़की को किराये पर दे दिया है, बुढ़ऊ का दिमाग ख़राब हो गया है।" लीना ताई ने मुँह बिचकाते हुए कहा।
“ये देखो शर्मा जी ने अपने फ्लेट को एक अकेली लड़की को किराये पर दे दिया है, बुढ़ऊ का दिमाग ख़राब हो गया है।” लीना ताई ने मुँह बिचकाते हुए कहा।
“आज पड़ोस के शर्मा जी के फ्लेट में एक नई लड़की आई है, अकेली रहती है।” मनोज ने पान पराग खाते हुए दोस्तों से आँख मारते हुए कहा।
“क्या सही में अकेली है, तब तो जल्दी पट जाएगी।” उसके दोस्त नीरज ने मुस्कराते हुए कहा।
“हाँ, हाँ ऐसी लड़कियाँ तो तैयार ही रहती हैं। दो चार गिफ्ट में ही बिस्तर पर आ जाती हैं। आज ही ट्राई मारता हूँ।” ये सुनते ही पार्क में बैठे सारे दोस्त खी-खी करके ठहाका लगाने लगे।
उसी पार्क में दूसरी तरफ खड़ी चार महिला अपनी भड़ास निकाल रही थीं, “ये देखो शर्मा जी ने अपने फ्लेट को एक अकेली लड़की को किराये पर दे दिया है, बुढ़ऊ का दिमाग ख़राब हो गया है बुढ़ापे में। अब मोहल्ले के सारे आदमी वहीं मँडराएँगे। पूरी सोसाएटी का माहौल ख़राब होने वाला है देखने लेना।” लीना ताई ने मुँह बिचकाते हुए कहा।
हमारे समाज में कुछ विकृत मानसिकता हैं जो कामकाजी, होस्टल में रहने वाली, बड़े शहरों में अकेली रहने वाली या देर से शादी करने वाली लड़कियों के बारे में बनी हुई है। केवल पुरुष ही नहीं स्त्रियों के मन में भी इन महिलाओं के बारे में बड़ी विकृत सोच होती है। भारत में कामकाजी महिला को ऐसे अनेक बुरे अनुभवों से गुज़रना पड़ता है।
अकेली महिला को किसी अच्छी जगह मकान किराए पर मिलना बड़ा मुश्किल होता है। सोमा जब दिल्ली में पहली बार नौकरी करने गई तो मकान किराए पर लेने की उसकी हर कोशिश बेकार हो गई। हर जगह अकेली लड़की के लिए पहला प्रश्न होता था शादी हो गई और नहीं सुनते ही कुछ बहाना बना दिया जाता था।
उसे अनुभव हुआ अगर कामकाजी महिला अकेली है तो उसे घर किराए पर मिलना बड़ा मुश्किल है। लोगों को भय डर होता है कि अकेली और स्वतंत्र महिला चरित्रहीन होगी और अपने पुरुष मित्रों को रात में घर बुलाएगी।
उनकी सोच इतनी विकृत होती है कि वो सोचना ही नहीं चाहते कि अकेली महिला भी एक नार्मल इंसान होती है और एक सामान्य जीवन जीती है। ऐसी स्वतंत्र महिला किराएदारों को मकान मालिक घर से बाहर निकालने का मौका हमेशा ढूँढते रहते हैं। अगर कोई भी कमी या भूल हो जाये तो फ़ौरन उनसे मकान खाली करवा लिया जाता है।
हमारे भारतीय समाज में अगर कोई महिला 26 या 27 वर्ष की आयु तक विवाह नहीं करती तो उसे अनेक अड़चनों का सामना करना पड़ता है।
आज भी समाज में महिला का अविवाहित होना एक कलंक के समान है। अगर किसी महिला में अपना केरियर बनाने के लिए शादी नहीं की तो यह समझा जाता है कि उसमें कोई कमी होगी या उसका कैरेक्टर ठीक नहीं है।
भारत में महिला कितना भी पढ़ लें या आत्मनिर्भर हों उन पर विवाह करने का दबाव हमेशा रहता है। उनसे बार बार यही सवाल हमेशा पूछा जाता कि शादी कब करोगी। हमारे भारतीय समाज में एक अकेली लड़की की पहचान और व्यक्तित्व शादी के ही चारों ओर घूमता है।
भारतीय महिला को बचपन से ही भविष्य में एक सर्वगुण संपन्न बहू और पत्नी की जिम्मेदारी सिखाई जाती है।
अगर किसी महिला ने शादी की निर्धारित आयु तक शादी नहीं की तो परिवार, रिश्तेदारों और जान-पहचान के लोगों का दबाव पड़ने लगता है। उसके माँ बाप तरह तरह के सवालों की बौछारों से परेशान किया जाता है और माँ बाप भी सोचने लगते हैं कि अपनी बेटी को अपने निर्णय लेने की आज़ादी देकर वे कहीं कुछ ग़लत तो नहीं कर रहे।
कुछ वर्षों से भारतीय समाज में बदलाव आने लगा है पर अभी भी किसी लड़की की शादी की आयु, उसका अकेले रहना। नौकरी करना भारतीय मान्यताओं के अनुसार इन बातों में अधिक सुधार नहीं आया है। पढ़े-लिखे लोगों की सोच भी इस मामले में बहुत विकसित नहीं है।
जब महिलाओं की बात आती है तो समाज पुरानी पीढ़ी के मुताबिक ही सोचने लगता है। अविवाहित महिला आसानी से उपलब्ध नहीं होती है इस सोच को बदलने की बहुत आवश्यकता है।
मूल चित्र: Still from Short film Cheap Dress, YouTube
I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | read more...
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