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वेब सीरीज़ एस्पायरेंट्स क्यों छू रही है युवाओं के दिल के तार…

वेब सीरीज़ एस्पायरेंट्स यूपीएससी तैयारी करने वालों के सवलों को जवाब देती है या नही? मसलन अगर सफल नहीं हुए तो प्लान बी क्या रहेगा?

वेब सीरीज़ एस्पायरेंट्स यूपीएससी तैयारी करने वालों के सवलों को जवाब देती है या नही? मसलन अगर सफल नहीं हुए तो प्लान बी क्या रहेगा?

लालबत्ती वाली नौकरी और उससे जुड़ी ठाट-बाट का आकर्षण भारतीय युवाओं के एक बड़े धड़े में इतना अधिक आकर्षण है, उसे हर कोई पाना चाहता है। पर, इस पाने के चाहत में धैर्य, लग्न, मेहनत, पैसा के साथ-साथ बहुत कुछ दांव पर लगाना पड़ता है।

जैसे शास्त्रों में आदर्श विद्यार्थी के पांच गुण काकचेष्ठा (सभी ओर ध्यान), बंकोध्यानम (एंकाग ध्यान), श्वांग निंद्रा (कुत्ते के तरह नींद), अल्पहारी (कम भोजन करने वाला), गृहत्यागी (घर-गृहस्थी से कोई मोह नहीं) बताये गए हैं। उसी तरह लालबत्ती वाली नौकरी यूपीएससी के लिए धैर्य, लग्न, मेहनत, पैसा और संबंधों को भी दांव पर लगाना पड़ता है क्योंकि यह दुनिया का सबसे टफ कम्पीटिशन है।

इस कम्पीटिशन को निकालने में स्टूडेट जिस मनोदशा से लड़ते-भिड़ते है उसको पांच एपिसोड में समेटने की कोशिश डायरेक्टर अपूर्व सिंह ने द वाइरल फ़ीवर (TVF) की नई सीरीज एस्पायरेंट्स (Aspirants) में की है जो पिछले एक महीने से यू-टूयूब पर रिलीज हो रही है।

इसका अंतिम एपिसोड 8 मई को रिलीज हुआ।

ऐस्पिरंट्स के कहानी को बुनने और सुनाने में भावनाओं का उछाल इतना अधिक है कि यह हर किसी के दिल को छू रही है। और पसंद इसलिए हो रही है कि कलाकारों ने अपने अभिनय में निराश नहीं किया है, खासकर नवीन कस्तूरिया और सन्नी हिंदूजा ने।

क्या है वेब वेरीज़ एस्पायरेंट्स की कहानी?

तीन दोस्त है अभिलाष शर्मा (नवीन कस्तूरिया), एसके (अभिलाष थपियाल) और गुरी (शिवांकित सिंह परिहार), जिनकी जोड़ी को कालेज में सभी ट्रायपांड कहते है। तीनों यूपीएससी का सपना लेकर राजेंद्र नगर इलाके में कोचिंग कर रहे है।

जिज्ञासु प्रवृत्ति वाले अभिलाष शर्मा  नौकरी के दौरान तीन प्रयास कर चुके हैं और यह उनका यूपीएससी के लिए आखिरी प्रयास है। इस बार वह नौकरी से कुछ महीनों की छुट्टी लेकर आए हैं।

फिर क्या वही नए कमरे में आने वाली परेशानी की कहानी, दोस्तों के साथ चाय की दुकान, देश-दुनिया पर बहस, सीनियर्स संदीप भईया (सन्नी हिंदूजा) से मिलता ज्ञान। मकान-मालिक के साथ चिक-चिक और एक लड़की को अपने सपने के बीच में आने के कारण छोड़ देना और सोचना कि  वह समझेगी।

कहानी सुनाने में आए यह सब बाते ही कहानी को बांधते है। ट्रायपॉड के जोड़ी में किसका यूपीएससी निकलता है किसका छूट जाता है, कहानी में बस नमक के तरह आई धैर्या (नमीता दूबे) से ब्रेकअप के बाद क्या होता है?

सीनियर्स संदीप भैया का ज्ञान उनके काम आता है या नहीं? इन सवालों के जवाब के लिए आपको एस्पायरेंट्स देखनी चाहिए जो यूटूयूब पर उपलब्ध है।

हर जगह तारीफ क्यों पा रही है एस्पायरेंट्स?

ओटीटी के बड़े प्लेटफार्म को छोड़कर यूटूयूब पर एस्पायरेंट्स ने रिलीज होकर जिस तरह वाह-वाही बटोरी है, वह कोरोना संकट के दूसरी लहर में एक नया प्रयोग के तरह ही है, जो अपनी सफलता से यह बताती है कि कन्टेट अच्छा हो तो दर्शक झक मार कर भी मिलेंगे ही।

मिडिल क्लास को ध्यान में रखते हुए इतनी साधारण तरीके से कमाल के लिखावट, डायरेक्शन और अदाकारी के साथ कहानी सुनाई गई है कि वह कमाल ही है। कहानी में हर किरदार का अभिनय दिल को छू लेता है। खासकर अभिलाष और संदीप भैया का हर संवाद युवाओं के लिए शानदार बन गया है। साथ ही वालिया अंकल के मकान मालिक के चरित्र को शानदार तरीके से बयां किया है।

क्यों ज़रा सी खटक भी जाती है एस्पायरेंट्स की कहानी…

पूरी कहानी में सब्जी में नमक के तरह आई धैर्या और संदीप भैया की प्रेमिका कुसुम (जिनका सिर्फ नाम ही आता है) का जिस तरह से इस्तेमाल हुआ है, वह खटकता है। वह अभिलाष के लिए अगर डिशट्रेक्शन है, तो संदीप भैया के लिए वही प्रेरणा जो वह स्थापित बात दोहराती है कि हर सफल इंसान के पीछे किसी महिला का हाथ होता है।

महिला पात्रों के चित्रण में गहराई हो सकती थी, या जानबूझ कर उनको अनदेखा किया गया?

एक ही कहानी में दोनों ही महिला पात्रों को अलग-अलग तरीके से दिखाना। जाहिर तौर से बताता है कि सूत्रधार खुद ही असमंजस में है। उसको नहीं मालूम है कि तमाम एस्पायरेंट्स के लिए महिला साथी प्रेरणा है या डिशट्रेक्शन। फिर उन महिला एस्पायरेंट्स का क्या उनके लिए पुरुष मित्र या साथी क्या होंगे?

प्रेरणा या डिशट्रेक्शन या मोटीवेशन या बस माध्यम या फिर एस्पायरेंट्स का वही जुमला कि ओल्ड राजेन्दनगर में लवस्टोरी यही रह जाती है।

डायरेक्टर अपूर्व सिंह इसको और भी अच्छे तरीके से प्रस्तुत कर सकते थे क्योंकि पूरी कहानी में एस्पायरेंट्स मोटीवेशन के लिए एक महिला आईएसएस के लेक्चर ही सुनते हैं।

बहरहाल ऐस्पिरंट्स अपने किस्सागोई में यूपीएससी तैयारी करने वालों के सवलों को जवाब देती है या नही? मसलन अगर सफल नहीं हुए तो प्लान बी क्या रहेगा? या क्या वाकई सब्जेक्ट गर्लफ्रेड के तरह ही होती है? इसका पता नहीं। पर मनोरंजन करने में कामयाब जरूर होती है यह कुछ ही हफ्तों में मिलीयन व्यू को देकर ही पता चलता है।

एस्पायरेंट्स के कहानी को नायाब तरीके से सुनाने और अपने अदाकारी से दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए पूरी टीम बधाई के हकदार तो है इसमें कोई दो राय नहीं है।

 

मूल चित्र: Stills from Show Aspirants

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