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क्या सच में परायी होती हैं बेटियाँ?

कभी माँ, कभी पत्नी, कभी बहन, कभी भाभी, हर रूप में खूबसूरती से ढल जाती हैं बेटियाँ।जाने फिर भी क्यूँ परायी कहलाती हैं बेटियाँ?

कभी माँ, कभी पत्नी, कभी बहन, कभी भाभी, हर रूप में खूबसूरती से ढल जाती हैं बेटियाँ।जाने फिर भी क्यूँ परायी कहलाती हैं बेटियाँ?

शादी के बाद बेटी की विदाई हो जाती है
क्या सच में बेटियाँ परायी हो जाती हैं?
हर बार यही बात दोहराई जाती है,
बेटियाँ पराया धन हैं, दान में लायी जाती हैं।

पैदा होते ही अफसोस जताया जाता है,
बेटी को कंधे का बोझ बताया जाता है।
क्यूँ टुकड़ों में बंट जाती हैं बेटियाँ?
ना मायके ना ससुराल की रह जाती हैं बेटियाँ।

दहलीज से जब उनकी डोली उठती है,
माँ बाप की आत्मा कितना कचोटती है।
कहने को तो दो दो घर होने चाहिए बेटियों के,
पर पिता के घर से परायी और पति के घर में सताई जाती हैं बेटियाँ।
क्या सच में परायी हो जाती हैं बेटियाँ?

कभी माँ, कभी पत्नी, कभी बहन, कभी भाभी,
हर रूप में खूबसूरती से ढल जाती हैं बेटियाँ।
जाने फिर भी क्यूँ परायी कहलाती हैं बेटियाँ? 

मूल चित्र: Panasonic Lumix GH5 Via Youtube

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Shivangi Srivastava

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