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तुम्हारी भाभी तुम्हारे हर फ़ैसले में तुम्हारा साथ देगी…

वाह मां क्या बात कही आपने क्या सिर्फ भाई और आप ही अच्छे हैं बाकी दुनिया में जो भी लव मैरिज करे वो सब बेकार और खराब ही है?

वाह मां क्या बात कही आपने क्या सिर्फ भाई और आप ही अच्छे हैं बाकी दुनिया में जो भी लव मैरिज करे वो सब बेकार और खराब ही है?

रक्षा आजकल घर मे बने तनावपूर्ण माहौल से परेशान थी। रक्षा की सास सरला जी और ससुर उमेश जी हर वक्त गुस्से में रहते। सरला जी कुछ दिनों से बात बात में रक्षा से तुनक जाती और गुस्सा कर या तो उल्टा सीधा सुनाकर डांट देती या फिर बात करना ही बंद कर देती।

रक्षा को सबसे ज्यादा आश्चर्य इस बात का था कि आजकल सरला जी रक्षा की ननद सिया से भी गुस्से में रहती। हँसमुख और मिलनसार सिया आजकल कुछ उदास और उखड़ी-उखड़ी सी रहने लगी थी।

रक्षा को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसके हँसते खेलते परिवार को किस की नज़र लग गयी। रक्षा पूछे भी तो किस से क्योंकि ना तो कोई कुछ बोलने बताने को तैयार ना ही सुनने के लिए तैयार।

पूरा महीना निकल गया ऐसे ही तनाव भरे माहौल में, रक्षा ने अपनी शादी के पांच सालों में घर वालों  का ऐसा व्यवहार कभी नहीं देखा था।

एक दिन उसने अपने पति अमन से पूछा, “अमन सच सच बताओ कोई बात है क्या? जो सब इतना परेशान है सबके चेहरे से हँसी ही गायब हो गयी है, कोई किसी से कुछ बोलता भी नहीं, कुल मिलाकर 6 लोगों का तो परिवार है। उसमें भी ऐसी स्थिति में घर में तो अच्छा ही नहीं लगता। माँजी भी आजकल सिया से जब भी बात करती है कमरा बंद करके ही बात करती हैं।

और सिया जिसकी बातें और हँसना कभी बंद ही नहीं होती थी आजकल चुप्पी लगाए रहती है।अमन तुम सुन भी रहे हो मैं क्या बोल रही हूँ कि खाली चुपचाप सुन रहे हो?”

जवाब में अमन ने सिर्फ दो टूक कहा, “रक्षा रात बहुत हो गयी है, सो जाओ कल बात करते हैं।”

रक्षा को जिस बात की उम्मीद थी वही हुआ, इतना कहकर अमन दूसरी तरफ करवट बदलकर सो गया और रक्षा देखती रह गयी। लेकिन इधर रक्षा के मन मे उधेड़बुन चलती रही।

रविवार के दिन रक्षा दोपहर में करीब तीन बजे के करीब पानी पीने रसोई की तरफ बढ़ी थी कि तभी उसको सिया के कमरे से आवाज आई, जैसे कोई कुछ गुस्से में बोल रहा हो।

रक्षा तेज कदमों से भागती हुई कमरे की तरफ बढ़ी और कमरे के बाहर पहुंचते ही उसको एक जोरदार थप्पड़ की आवाज आयी। कमरे का दरवाजा खुला था रक्षा ने देखा की रक्षा के ससुर जी सास और अमन तीनों कमरे में मौजूद थे और ससुर जी ने सिया को एक जोरदार थप्पड़ गाल पर मारा था।

सिया रोते रोते सिर्फ इतना ही कह रही थी कि “ये घर और आप लोगों की कोई जोर ज़बरदस्ती मुझे रोहन से शादी करने से नहीं रोक सकती। मैं जब भी शादी करूँगी रोहन से करूँगी वरना मर जाऊंगी लेक़िन किसी और से शादी नही करूँगी।

माँ क्यों आप सब ने भैया को लव मैरिज करने से नहीं रोका और विरोध किया? तब तो सबने खुशी खुशी रक्षा भाभी को स्वीकार कर लिया। और आज आप सब मुझसे कह रहे है कि मैं रोहन को भूल जाऊं, जब भाई के लवमैरिज करने से समाज मे बदनामी नहीं हुई तो मेरे ऐसा करने से कैसे बदनामी होगी?”

रक्षा की सास सरला जी ने जवाब दिया, “अच्छा, तो तुमको ये प्यार का नशा रक्षा को देखकर चढ़ा? एक बात कान खोलकर सुन लो सिया अच्छे संस्कारों और परवरिश वाली लड़कियां ये सब नहीं करतीं, और हम अच्छे थे तुम्हारा भाई अच्छा था, इसलिए रक्षा को कोई समस्या नहीं हुई लेकिन सब इतने अच्छे नहीं होते, इसलिए ये प्यार का भूत जितनी जल्दी तुम्हारे सिर से उतर जाए उतना ही अच्छा होगा।”

“वाह मां क्या बात कही आपने क्या सिर्फ भाई और आप ही अच्छे हैं बाकी दुनिया में जो भी लव मैरिज करे वो सब बेकार और खराब ही है?” सिया ने अपनी माँ को जवाब दिया। 

तभी भई अमन ने कहा, “देखो सिया हम तुम्हारे दुश्मन नहीं है। बस वो लड़का हमारी बराबरी और बिरादरी का नही है, और ऐसे लड़के सिर्फ और सिर्फ लड़कियों का इस्तेमाल करते है। कल को कुछ ऊंच नीच हुई या कोई बात हुई तो कैसे सारी चीजों का सामना करोगी? इसलिए, कान खोलकर एक बात सुन लो कि गलती से भी अगर तुमने उस लड़के से बात की या कोई गलत कदम उठाया तो हमारा तुम्हारा कोई रिश्ता नहीं। फिर तुम्हारे साथ जो भी हो तुम उसकी खुद जिम्मेदार होगी, हम सबसे कोई उम्मीद मत रखना की हम सब तुम्हारा साथ देंगे।”

“सिया कोई दे या ना दे लेकिन मैं हमेशा तुम्हारा साथ तुम्हारे हर फैसले में दूँगी, और जब भी तुमको जरूरत होगी तुम्हारी ये भाभी हमेशा तुम्हारे साथ खड़ी होगी”, रक्षा ने कमरे का दरवाजा खोलते हुए कहा।

और रोती सिसकती सिया को अपने गले से लगा लिया।

सिया ने रोते हुए कहा, “आप सच कह रही हो भाभी?”

“हाँ, सिया मैं बिलकुल सच कह रही हूं।अगर तुम सही हो तो इसके लिए अगर मुझे पूरे परिवार के खिलाफ भी जाना पड़े तो मैं तैयार हूं, तुम तो मुझे अपना दोस्त कहती थी ना फिर ये बात क्यों छिपाई अपने दोस्त से?” 

तभी अमन ने रक्षा को चुप रहने के लिए कहा, “रक्षा तुम्हे जब पूरी बात नहीं पता, तो तुम इस विषय पर चुप ही रहो तो अच्छा होगा।”

“पूछा तो था तुमसे अमन लेकिन तुमने बताई पूरी बात? नहीं ना, क्यों जान सकती हूँ? शायद तुम्हारे पास इसका कोई जवाब ही नही।” रक्षा ने  जवाब देते हुए कहा 

“मुझे दो दिन पहले ही पता चल गया था कि सिया किसी से प्यार करती है जब माँजी और सिया की बहस हो रही थी तब मैंने उनकी थोड़ी बात सुनी थी। लेकिन प्यार करके सिया ने कोई जुर्म तो किया नही, सिया क्या गलत कह रही है माँजी , अगर इस घर मे अमन को प्यार करके अपनी पसंद की लड़की से शादी करने का अधिकार है तो सिया को क्यों नही है। लड़के लड़की में ये भेद क्यों?

और अमन तुम शायद भूल रहे हो तो मैं तुम्हें याद दिला दूँ, कि हैसियत की बराबरी तो मेरी और तुम्हारी भी नहीं थी। मैं ने भी सिया की तरह ही अपने पापा से जिद करके तुमसे शादी की थी। तब उन्होंने भी यही कहा था मुझे की एक दिन पछताओगी अपने फैसले पर। और तब तुमने कहा था कि मेरे पापा की सोच पुराने ख्यालों की गांवरों वाली है, वो हमारी होने वाली शादी शुदा खुशहाल जिंदगी के विलन बन रहे हैं।

क्या मैं अब तुमसे जान सकती हूँ? कि अब तुम आज के जमाने के होकर खुद लवमैरिज करके किस तरह की सोच पाले बैठो हो? क्या इसको गांवर वाली सोच नहीं कहेंगे? एक बड़ा भाई होने के नाते तो तुम्हारा फर्ज बनना चाहिए था कि तुम सिया को समझते, उसकी बात सुनते ,पहले रोहन और उसके परिवार से मिलते तब कोई निर्णय लेते तुम तो बिना सुनवाई के ही फैसला सुना रहे हो।

मम्मी जी, पापा जी, कब तक हम औरतों के साथ ये दोहरा व्यवहार होता रहेगा? कब तक हम लोग कभी इज्जत? कभी मान मर्यादा के नाम पर कैद किये जायेंगे? कब तक हम लोगों को अपने फैसले शादी से पहले पिता, भाई और शादी के बाद पति, पुत्र से पूछकर लेने होंगे? क्यों एक माँ, एक बेटी, एक पत्नी, एक बहन अपना स्वतंत्र फैसला नहीं ले सकती। एक औरत जो घर चला सकती है, एक बच्चे को नवजीवन देकर उसका पालन पोषण करके उसका भविष्य संवार सकती है, वो खूद के लिए एक फैसला नहीं ले सकती?

क्या पुरुषों के लिए हर फैसले सही ही होते हैं, क्या उनसे गलतियाँ नहीं होती? होती हैं ना।

आज अगर सिया कोई गलत कदम उठाती है और उसके उस फैसले से समाज में बातें होती हैं तो उसके जिम्मेदार हम होंगे वो नहीं।

और जिस समाज की आपको चिंता है ना उसकी याददाश्त बहुत छोटी होती है, कल को यही समाज सिया के कुछ गलत करने से आपको गाली देगा तो हम सब के सिया का साथ देने से वाह वाही भी करेगा।”

इसलिए खुले दिल दिमाग से सोचिए आप सब की 25 साल की आपकी बेटी पर आप को भरोसा है जो आपके हर सुख दुःख में आपका साथ देगी, आप उसका साथ देंगे या समाज के साथ चलेंगे जो आपको कुछ नहीं देने वाला।

आखिर ये अधिकार बेटी को क्यों नही की वो भी बेटे की तरह अपने लिए योग्य वर चुन सके?”

रक्षा की बातें सून अमन ने कहा, “रक्षा तुम सही कह रही हो। मैं गलत था। सिया मुझे माफ़ कर दे, जा जाकर फोन कर दे रोहन को कल मैं उसके घर आने वाला हूं उसके घर वालो से मिलने।”

इतना सुनते सिया खुशी से मुस्कुरा उठी, और रक्षा से कहा “भाभी मेरे मन की जो बात मेरे अपने ना समझ सके, वो आप समझ गयी, काश ऐसे ही हर औरत दूसरी औरत का साथ देने लग जाये तो हम लड़कियों की ज़िंदगी स्वर्ग बन जाये।”

आज पूरे पांच साल बाद सिया अपनी शादी की सालगिरह पर रोहन के साथ घर मे खुशी खुशी मौजूद थी सब खुश थे और समाज के लोग आज रक्षा के खुशहाल परिवार की मिसाल देते हुए कहते है ‘कि ऐसी बहु (रक्षा)और दामाद(रोहन) सबको मिले।’

मूल चित्र: Sabhyata Via Youtube

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